देश की राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट के पास नए संसद परिसर के निर्माण को मंजूरी मिल गई है। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को परियोजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 2:1 के बहुमत के फैसले में कहा कि परियोजना के लिए जो पर्यावरण मंजूरी दी गई है तथा भूमि उपयोग में परिवर्तन के लिए जो अधिसूचना जारी की गई है वे वैध हैं।
Supreme Court says Heritage Conservation Committee approval needed for construction work to begin. Supreme Court directs project proponents to get approval from the Committee.
— ANI (@ANI) January 5, 2021
न्यायमूर्ति खानविलकर ने खुद की और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की ओर से यह फैसला लिखा जिसमें सेंट्रल विस्टा परियोजना के प्रस्तावक को सभी निर्माण स्थलों पर स्मॉग टॉवर लगाने और एंटी-स्मॉग गन का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया गया है।
पीठ के तीसरे न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने भी परियोजना को मंजूरी पर सहमति जताई हालांकि उन्होंने भूमि उपयोग में बदलाव संबंधी फैसले पर और परियोजना को पर्यावरण मंजूरी दिए जाने पर असहमति जताई।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नए संसद की आधारशिला रखी थी। पिछली सुनवाई के दौरान सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया था कि जब तक अदालत इसपर कोई निर्णय नहीं देता तब तक कोई निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा। परियोजना का शिलान्यास कार्यक्रम 10 दिसंबर को आयोजित हुआ था।
इस परियोजना की घोषणा पिछले साल सितंबर में हुई थी, जिसमें एक नए त्रिभुजाकार संसद भवन का निर्माण किया जाना है। इसमें 900 से 1200 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी। इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है, जब देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। इस परियोजना के तहत साझा केंद्रीय सचिवालय 2024 तक बनने का अनुमान है। यह परियोजना लुटियंस दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर लंबे दायरे में फैली हुई है।