सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों को समग्र शिक्षा अभियान के संशोधित रूप के साथ जोड़ने की तैयारी शुरू कर दी है और इसके वित्त व्यय संबंधी मसौदा नोट को विभिन्न मंत्रालयों को विचार के लिए भेजा गया है।
शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने ‘भाषा से कहा, ” समग्र शिक्षा योजना के विस्तार और संशोधन के लिए वित्त व्यय आयोग (ईएफसी) नोट को शिक्षा मंत्री एवं समन्वित वित्त प्रकोष्ठ की मंजूरी के बाद विभिन्न मंत्रालयों को भेजा गया है।
उल्लेखनीय है कि समग्र शिक्षा अभियान, प्री-स्कूल से कक्षा 12 तक स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने का एक कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य स्कूली शिक्षा में सीखने के समान अवसरों के रूप में छात्रों के लिए स्कूल की प्रभावशीलता में सुधार करना और शिक्षण के समान परिणामों को प्राप्त करना है।
मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, समग्र शिक्षा अभियान के विस्तार के तहत बच्चों के लिए अगले एक वर्ष के अंदर चरणबद्ध तरीके से बाल वाटिका स्थापित करने के साथ शिक्षक पाठ्य सामग्री (टी एल एम) तैयार की जाएगी। इसके अलावा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों सहित छात्रावासों वाले स्कूलों का उच्चतर माध्यमिक स्तर पर उन्नयन करने एवं ‘हॉलिस्टिक रिपोर्ट कार्ड की प्रक्रिया को लागू करने पर जोर दिया जाएगा।
इसमें सीखने की प्रक्रियाओं की निगरानी, बच्चों के एक स्कूल से दूसरे स्कूल में प्रवेश सुगम बनाने के साथ उर्दू और हिंदी भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति, शिक्षकों के क्षमता विकास प्रशिक्षण कार्य पर खास ध्यान दिया जाएगा।
मंत्रालय के अनुसार समग्र शिक्षा अभियान का दायरा बढ़ाते हुए विशेष मदद की जरूरतों वाली बालिकाओं के लिए अलग से मानदेय की व्यवस्था तथा प्रखंड स्तर पर विशेष जरूरतों वाले बच्चों और उनके लिए बनाए गए केन्द्रों की पहचान की व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा व्यावसायिक शिक्षा में केंद्र, स्मार्ट कक्षा की भी व्यवस्था की जाएगी।
अधिकारियों ने बताया कि समग्र शिक्षा योजना के लिए सामाजिक ऑडिट दिशा-निर्देशों का मसौदा भी तैयार किया गया है और इसे दूसरे ब्यूरो को टिप्पणियों एवं सुझाव के लिए भेजा गया है।
वहीं, शुक्रवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2020-21 में कहा गया है कि समग्र शिक्षा योजना के तहत शिक्षकों को ऑनलाइन अध्यापक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए 267.86 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। कोविड महामारी के कारण स्कूल बंद होने की वजह से विद्यार्थियों को घर पर ही ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने के लिए डिजिटल शिक्षा पर दिशा-निर्देश तैयार किए गए हैं।
इसमें यह भी कहा गया है कि भारत में अगले दशक तक विश्व में सर्वाधिक युवाओं की जनसंख्या होगी। ऐसे में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में युवाओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने की क्षमता विकसित करने पर जोर दिया गया है।
आर्थिक समीक्षा में सलाह दी गई है कि ई- शिक्षा का उचित उपयोग किया गया तो शहरी और ग्रामीण, स्त्री-पुरुष, उम्र और विभिन्न आय समूहों के बीच डिजिटल भेदभाव तथा शैक्षिक परिणाम में अंतर समाप्त होगा।