ध्यानयोगी श्री रोहित गुरु जी से जानिए चैत्र नवरात्रि की अवधि, शुभ मुहूर्त, घटस्थापना एवं पूजन विधि

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मां भगवती का उपासना पर्व चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल, 2021 मंगलवार से शुरू होगा। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की नौ दिन पूजा-अर्चना की जाती है। मां दुर्गा की असीम कृपा पाने के लिए भक्त नौ दिन तक उपवास भी रखते हैं। पिछले वर्ष लॉकडाउन के कारण देवी मंदिरों में सन्नाटा छाया रहा और इस बार भी कोविड प्रोटोकॉल के कारण भक्तों को सीमित संख्या में ही मंदिरों में प्रवेश करने की अनुमति होगी। किंतु सभी भक्तगण श्रद्धापूर्वक, कोविड नियमों का पालन करते हुए अपने निवास स्थान पर ही माता का पूजन करेंगे। नवरात्र का समापन 21 अप्रैल 2021 को होगा। 

ग्रहीय योग से बढ़ेगा नवरात्र की शुभता– प्रतिपदा तिथि 12 अप्रैल, सोमवार को सुबह 8:00 बजे शुरू हो जाएगी, जो मंगलवार सुबह 10:16 बजे तक रहेगी। इसलिए प्रतिपदा का मान उदया तिथि में 13 अप्रैल को होगा। इस दिन सूर्य की मेष राशि में संक्रांति होगी। इससे सूर्य अपनी उच्च राशि में प्रवेश करेंगे। साथ ही भौमाष्टमी और सर्वार्थ अमृतसिद्धि योग नवरात्र के महात्म्य में वृद्धि करेगा। इसी दिन नवसंवत्सर की शुरुआत होगी।

किसी तिथि का क्षय नहीं 
इस बार चैत्र नवरात्र में किसी तिथि का क्षय नहीं है। 13 अप्रैल को आश्विन नक्षत्र और चंद्रमा मेष राशि में रहेगा। इसे नवरात्र की शुभता बढ़ जाएगी।

स्थापना (घटस्थापना) का शुभ मूहूर्त
– 13 अप्रैल, चल मुहूर्त- सुबह 9:21 बजे से 10:55 बजे तक
– लाभ मुहूर्त – सुबह 10:55 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक  
– अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:05 बजे से दोपहर 12:55 बजे तक  

नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा के साथ कलश स्थापना भी की जाती है। नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना का महत्व शास्त्रों में भी वर्णित है। माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। जान लीजिए कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त, पूजा साम्रगी व घटस्थापना विधि-

चैत्र नवरात्रि घटस्थापना के लिए पूजन सामग्री-

चौड़े मुंह वाला मिट्टी का एक बर्तन, कलश, सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज), पवित्र स्थान की मिट्टी, जल (संभव हो तो गंगाजल), कलावा/मौली, आम या अशोक के पत्ते (पल्लव), छिलके/जटा वाला, नारियल, सुपारी, अक्षत (कच्चा साबुत चावल), पुष्प और पुष्पमाला, लाल कपड़ा, मिठाई, सिंदूर, दूर्वा इत्यादि।

नवरात्रि घटस्थापना पूजा विधि-

-सबसे मिट्टी को चौड़े मुंह वाले बर्तन में रखें और उसमें सप्तधान्य बोएं।
-अब उसके ऊपर कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग (गर्दन) में कलावा बांधें।
-आम या अशोक के पत्तों को कलश के ऊपर रखें।
-नारियल में कलावा लपेटे।
-उसके बाद नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पत्तों के मध्य रखें।
-घटस्थापना पूरी होने के पश्चात् मां दुर्गा का आह्वान करते हैं।

विशेष– भव्यशक्ति ज्योतिष अनुसंधान- ध्यान योगी रोहित गुरु जी द्वारा किसी भी ज्योतिष परामर्श के लिए हमें अपना प्रश्न अपने डिटेल्स के साथ भेजिये। हमारा ईमेल पता है- eleindianews.in@gmail.com हमारा व्हाट्सएप न. है- 9650145075 , 9926026116

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