कोरोना की दूसरी लहर में जीवन बचाने की जंग के बीच रिकॉर्ड बेरोजगारी मौत पर भारी पड़ती दिख रही है। सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार, दूसरी लहर के कारण देश में एक करोड़ से अधिक लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। मशहूर अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने एक दैनिक अखबार से बातचीत में बताया कि आने वाले दिनों में आर्थिक मंदी के कारण बेरोजगारी की स्थिति और विस्फोटक हो सकती है। इससे बचने के लिए समय रहते केंद्र सरकार और वित्त मंत्रालय को कदम उठाने की जरूरत है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन एकोनॉमी (CMIE) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी महेश व्यास ने कहा कि जिन लोगों की नौकरी गई है, उन्हें दोबारा रोजगार काफी मुश्किल से मिल रहा है क्योंकि इन्फॉर्मल सेक्टर तो कुछ हदतक सुधार कर रहा है, लेकिन संगठित क्षेत्र को वापसी करने में अभी वक्त लगेगा।
30 मई को समाप्त सप्ताह में बेरोजगारी दर
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— CMIE (@_CMIE) May 27, 2021
- 17.88% पर पहुंची शहरी बेरोजगारी 30 मई को समाप्त हुए सप्ताह में
- 12.15% रही इस अवधि में राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर बढ़कर
- 15 दिनों में 3% की बढ़ोतरी हुई शहरी बेरोजगारी दर में
- 02 मई को समाप्त हुए सप्ताह में शहरी बेरोजगारी दर 10.8% थी
क्यों बढ़ी है बेरोजगारी
- लॉकडाउन के कारण बाजार में मांग नहीं
- मांग नहीं होने से नई नियुक्तियां पूरी तरह से बंद
- कंपनियों ने कोरोना को लेकर अनिश्चितता के चलते विस्तार रोका
राहत जल्द मिलने की उम्मीद नहीं
- असंगठित क्षेत्र में नौकरियां जल्द मिलने लगेंगी, लेकिन संगठित क्षेत्र में एक साल तक का वक्त लगेगा।
- लॉकडाउन में ढील दी जा रही है। इससे बेरोजगारी की समस्या थोड़ी-बहुत सुलझेगी, लेकिन पूरी तरह से खत्म नहीं होगी
- इस समय बाजार में श्रम भागीदारी दर घटकर 40% पर आ गया है। महामारी से पहले यह 42.5% था
1.75 लाख परिवारों पर देशव्यापी सर्वे
सीएमआई ने अप्रैल में 1.75 लाख परिवार का देशव्यापी सर्वे का काम पूरा किया। इससे पिछले एक साल के दौरान आय सृजन को लेकर चिंताजनक स्थिति सामने आई है। व्यास के अनुसार सर्वे में शामिल परिवार में से केवल तीन प्रतिशत ने आय बढ़ने की बात कही जबकि 55 प्रतिशत ने कहा कि उनकी आमदनी कम हुई है। सर्वे में 42 प्रतिशत ने कहा कि उनकी आय पिछले साल के बराबर बनी हुई है। उन्होंने कहा, अगर महंगाई दर को समायोजित किया जाए, हमारा अनुमान है कि देश में 97 प्रतिशत परिवार की आय महामारी के दौरान कम हुई है।