नियमित व्यायाम मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, लेकिन मध्यम शारीरिक गतिविधियां जैसे तेज चलना, साइकिल चलाना हमारे मस्तिष्क के लिए व्यायाम से डेढ़ गुना प्रभावशाली हैं। यह बात पिछले 30 वर्षों में प्रकाशित आंकड़ों के आधार पर हाल ही में किए गए एक अध्ययन में सामने आई है।
यह अध्ययन ओटावा विवि के स्वास्थ्य विज्ञान संकाय से जुड़े एसोसिएट प्रोफेसर मैथ्यू बोइसगोंटियर और स्विस सेंटर फॉर एफेक्टिव सांइसेज यूनिवर्सिटी डे जेनेवा के वरिष्ठ शोधकर्ता बोरिस चेवाल के निष्कर्षों पर आधारित है।
24 विश्लेषणों की समीक्षा
इस अध्ययन के बाद स्वास्थ्य और तंत्रिकाविज्ञान के शोधकर्ताओं ने करीब ढाई लाख लोगों पर अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला कि संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली पर मध्यम और तीव्र शारीरिक गतिविधि दोनों का ही सकारात्मक असर होता है। संज्ञान में मानव की विभिन्न मानसिक गतिविधियों का समन्वय होता है। इस संबंध में किए गए पहले अध्ययन में 24 मेटा विश्लेषणों (सांख्यिकीय विश्लेषण) की समीक्षा है। यह विश्लेषण एक ही प्रश्न के कई वैज्ञानिक अध्ययनों के परिणामों को जोड़ता है।
इस तरह किया अध्ययन
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में 11 हजार से अधिक स्वस्थ्य लोगों के व्यायाम संबंधी डाटा की जांच की। इससे निष्कर्ष निकला कि नियमित व्यायाम का संज्ञानात्मक कार्य पर सकारात्मक असर पड़ा, लेकिन किए गए विश्लेषण उप-इष्टतम (सब-ऑप्टिमल) थे।
- दूसरा अध्ययन लगभग साढ़े तीन लाख लोगों को शामिल करने वाला एक आनुवंशिक अध्ययन है। इसके परिणाम मध्यम और तीव्र शारीरिक गतिविधि के संज्ञानात्मक लाभों के लिए वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध कराते हैं।
- यह साक्ष्य मेंडेलियन और रेंडमाइजेशन पद्धति पर आधारित है, जो हमारे डीएनए में रैंडम भिन्नताओं के कारण गर्भधारण से पहले ही पैदा हो जाते हैं। जब किन्हीं दो मनुष्यों की तुलना की जाती है तो उनकी 99.9 फीसदी आनुवंशिक सामग्री एक समान होती है।
स्वस्थ रहने के लिए खुद को थकाना जरूरी नहीं
अध्ययन में पता चला कि शारीरिक गतिविधि संज्ञानात्मक कार्यशैली में सुधार करती है, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि मध्यम शारीरिक गतिविधि का प्रभाव जोरदार शारीरिक गतिविधि (दौड़ना, फुटबाल-बास्केटबाल खेलना) से डेढ़ गुना अधिक है। खासतौर से 40-45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए यह जरूरी है।
भारतीय योग पद्धति भी कारगर
धर्मगुरु, योगा मास्टर और फिलांथ्रोपिस्ट अक्षर जी के अनुसार, कुछ योगाभ्यास ऐसे हैं, जिन्हें हम अपने दैनिक जीवन में शामिल करें तो यह हमारे मस्तिष्क और समग्र स्वास्थ्य का ख्याल रखेंगे। योग के साथ-साथ सकारात्मक जीवनशैली भी मस्तिष्क और हृदय को स्वस्थ्य रखने के लिए आवश्यक हैं। इन आसनों में पद्मासन, चक्रासन, धनुरासन, हलासन और शीर्षासन शामिल हैं।
विशेष रिपोर्ट-
सुरेन्द्र कुमार
‘एक्सपर्ट एडवाइजर’ -ELE India News