केंद्र सरकार के तीन कृषि अध्यादेशों पर विरोध तेज होता जा रहा है। एक तरफ जहां किसानों का प्रदर्शन जारी हैं, वहीं मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी भी इन्हें ‘काला कानून’ और ‘किसान विरोधी’ बताकर लगातार विरोध कर रही है। अब केंद्र की एनडीए सरकार में भी इसे लेकर मतभेद साफ तौर उभरते नजर आ रहे हैं। इस मामले में सरकार को अब तक का सबसे बड़ा झटका देते हुए बीजेपी की सबसे पुराने सहयोगी, शिरोमणि अकाली दल के हिस्से से सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने अपना इस्तीफा दे दिया है। आपको बता दें कि- केंद्र की एनडीए सरकार में सहयोगी अकाली दल ने इस मामले में अपने सांसदों को व्हिप जारी किया और संसद के मॉनसून सत्र में आने वाले इन विधेयकों के खिलाफ वोट करने को कहा है।
I have resigned from Union Cabinet in protest against anti-farmer ordinances and legislation. Proud to stand with farmers as their daughter & sister.
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) September 17, 2020
पंजाब के बठिंडा से सांसद और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट कर अपने इस्तीफे की जानकारी दी है। उन्होंने लिखा है कि- “मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने पर गर्व है।”
शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने इस पर चर्चा में कहा था कि इस कानून को लेकर पंजाब के किसानों, आढ़तियों और व्यापारियों के बीच बहुत शंकाएं हैं। सरकार को इस विधेयक और अध्यादेश को वापस लेना चाहिए। इस बारे में अकाली दल का कहना है कि किसानों की पार्टी होने के चलते वो ऐसी किसी भी चीज को समर्थन नहीं दे सकते, जो देश, खासकर पंजाब के ‘अन्नदाताओं’ के खिलाफ जाता हो। सुखबीर बादल ने कहा कि उनकी पार्टी किसानों की पार्टी है और वो उनकी हितों की रक्षा करने के लिए उनकी पार्टी कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है। जाहिर सी बात है की पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए अकाली दल, सरकार के साथ दिखकर राज्य में किसानों की भारी नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती है।
हरसिमरत कौर के सरकार से इस्तीफे के बाद प्रतिक्रिया देते हुए किसान कांग्रेस के संगठन प्रभारी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेंद्र सोलंकी ने ट्वीट करके कहा है कि “अगर यह इस्तीफा राजनीति से प्रेरित नहीं है तो आप NDA से अपना सरोकार तोड़ें और प्रण लें कि जब तक यह किसान विरोधी सरकार तीन काले अध्यादेशों को वापिस नहीं लेती, आप इनके साथ ना चुनाव लड़ेंगे ना कोई सम्बन्ध रखेंगे। अन्यथा यह किसानों के विश्वास के साथ खेलना बंद करें।
अगर यह इस्तीफा राजनीति से प्रेरित नहीं तो आप शपथ ले कि आप NDA से अपना सरोकार तोड़े और प्रण ले कि जब तक यह किसान विरोधी सरकार 3 काले अध्यादेशों को वापिस नहीं लेती आप इनके साथ ना चुनाव लड़ेंगे ना कोई सम्बन्ध रखेंगे
अन्यथा यह किसानों के विश्वास के साथ खेलना बंद करे @HarsimratBadal_ https://t.co/q0xPZwbYNF— Ch Surender Solanki (@SurenderAICC) September 17, 2020
आपको बता दें कि पिछले कई दिनों से पूरे पंजाब में किसान इन विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और इसके खिलाफ अपना आक्रोश जाहिर कर रहे हैं। इन विधेयकों को किसान विरोधी करार देते हुए राज्य के किसानों ने मांग की है कि इन्हें वापस लिया जाए। किसानों ने चेतावनी दे डाली है कि पंजाब का जो भी सांसद इन विधेयकों का संसद में समर्थन करेगा, उसे गांवों ने घुसने नहीं दिया जाएगा।
हरियाणा में कुछ दिनों पहले ही इन तीन अध्यादेशों के खिलाफ किसानों ने कुरुक्षेत्र के पिपली में एकत्र होकर भारी विरोध दर्ज कराया था, जहां पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इसमें बहुत सारे किसानों को गंभीर चोटें आयीं। अब आलम यह है कि किसानों का गुस्सा देखते हुए हरियाणा सरकार में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला अपनी ही सरकार के इस फ़ैसले को गलत बता रहें हैं। जाहिर है कि इस मामले में विरोध के स्वर तेज होते जा रहे हैं और मोदी सरकार इस मामले में घिरती नज़र आ रही है।