ड्रैगन के दुस्साहस पर BJP को घेरेगी राहुल की टीम !

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अदाणी मामले के बाद अब दूसरा बड़ा मुद्दा, कांग्रेस पार्टी के हाथ लग गया है। राहुल गांधी से लेकर पार्टी अध्यक्ष तक, कांग्रेस के अनेक नेताओं ने अरुणाचल प्रदेश में चीनी नामों की सूची को हाथों-हाथ लिया है। कांग्रेस पार्टी, चीन के इस मुद्दे को ‘रामबाण’ से कम नहीं मान रही। खास बात ये है कि चीन द्वारा तीसरी बार अरुणाचल प्रदेश में भारतीय इलाकों के चीनी नामों की सूची जारी करना, कांग्रेस इस मुद्दे को ‘ड्रैगन को क्लीन चिट’ पंच लाइन से लोगों के बीच ले जा रही है। राहुल गांधी ने भी अपने ट्वीट में लिखा कि 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन चीन ने छीन ली, जगहों के नाम भी बदल रहे, प्रधानमंत्री चुप, कोई जवाब नहीं। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, हमारे 50-60 हजार सैनिक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के ऊपर तैनात हैं। ये बुनियादी सवाल इसलिए उत्पन्न होता है, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी 2013 से लेकर अब तक 19 बार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिल चुके हैं। पांच बार प्रधानमंत्री मोदी चीन गए हैं। भारत का कोई भी प्रधानमंत्री 1947 से लेकर 2023 तक इतनी बार चीन नहीं गया होगा।

विपक्ष को साथ लेकर आगे बढ़ेगी कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि भाजपा चाहे विकास का कितना भी राग अलाप ले, मगर उसके मूल में राष्ट्रवाद है। भाजपा ने 2019 का चुनाव राष्ट्रवाद के नाम पर ही जीता था। इस बार केवल कांग्रेस पार्टी ही नहीं, बल्कि ऐसे दल जो कांग्रेस के साथ चलने के लिए तैयार हैं, वे भी चीन के मुद्दे पर भाजपा को घेरने के लिए तैयार हैं। इस बाबत विपक्षी दलों के साथ विस्तार से चर्चा हो रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आक्रामकता के साथ ‘राफेल’ का मुद्दा उठाया था, लेकिन पार्टी उस पर अकेली पड़ गई थी। विपक्षी दलों का साथ कांग्रेस को नहीं मिल सका था। अब कांग्रेस नहीं चाहती कि कुछ वैसा ही 2024 में भी हो। मौजूदा समय में बॉर्डर पर चीन के दुस्साहस से विपक्ष पूरी तरह अवगत है। यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी, इस मुद्दे पर विपक्ष को साथ लेकर भाजपा को घेरने की रणनीति बना रही है। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। गलवान के बाद, पीएम मोदी द्वारा चीन को क्लीन चिट देने का नतीजा, देश भुगत रहा है।

बॉर्डर को लेकर हुए समझौतों की स्थिति

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी के मुताबिक, चीन की घुसपैठ को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से पिछले 35 महीनों में कोई जवाब नहीं आया है कि नियंत्रण रेखा पर, वो भी इतने व्यापक स्तर के ऊपर और इतनी जगह घुसपैठ क्यों हुई। 1993 से 2013 तक लगभग 20 साल में कांग्रेस, यूनाइटेड फ्रंट व एनडीए-भाजपा की भी सरकार रही। 7 सितंबर, 1993 को एक ‘Agreement of maintenance of peace and tranquility along the line of actual control’, पर हस्ताक्षर किए गए। 29 नवंबर, 1996 को ‘Agreement of confidence building measures in the military field along the LAC’ हुआ। इसके बाद 11 अप्रैल, 2005 को ‘Protocol on the modalities of confidence building measures in the military field along the LAC’ सामने आया। जनवरी 17, 2012 को ‘Agreement on the establishment of a working mechanism for consultation and coordination on the Indo-China border affairs’ और 23 अक्तूबर, 2013 को ‘Border-defence cooperation agreement’ समझौता हुआ था। इन सबके बावजूद हमारे 50, 60 हजार सैनिक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के ऊपर तैनात हैं। 2014 में चुमार हुआ, 2017 में डोकलाम हुआ, 2020 में गलवान हुआ और दिसंबर 2022 में तवांग में जो यांगत्जी दरिया है, वहां पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई।

भारत का ट्रेड डेफिसिट, चीन को फायदा

बतौर मनीष तिवारी, एक तरफ तो ये घुसपैठ है और दूसरी ओर भारत का व्यापार है। चीन के साथ यह व्यापार वर्ष 2022 तक बहुत तेजी से बढ़ा है। वर्ष, 2022 में चीन से हमने 136 बिलियन डॉलर का आयात किया। कुल व्यापार 136 बिलियन डॉलर का था, जिसमें 119 बिलियन डॉलर का हमने इम्पोर्ट किया है। 17.5 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट किया है। भारत का ट्रेड डेफिसिट, जिसमें चीन को फायदा मिलता है, वो आज 100 बिलियन यूएस डॉलर से ज्यादा है। चीन से जो घुसपैठ हो रही है, इसको किसी तरह हम सब्सिडाइज तो नहीं कर रहे। ये कहना कि हमने कॉन्फ्लिक्ट और कॉमर्स को डिहाइफेनेटेड कर दिया है, यह किसी भी तरीके से उचित नहीं है। इतनी भारी संख्या में भारत के सैनिक उन बर्फीले इलाकों में पिछले तीन वर्षों से तैनात हैं। 2020 में गलवान की दुर्भाग्यपूर्ण घटना में हमारे जवान और अफसर वीरगति को प्राप्त हो गए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की सरजमीं में किसी भी तरह की कोई घुसपैठ नहीं हुई।

26 पेट्रोलिंग प्वाइंट पर अपनी पहुंच खो दी

दिसंबर, 2022 में जब डीजीपी और आईजीपी की कॉन्फ्रेंस हुई, तो वहां एसएसपी लद्दाख की तरफ से ‘Security issues pertaining to unfenced border’ प्रस्तुत किया जाता है। उसमें लिखा था कि भारत ने 65 पेट्रोलिंग प्वाइंट्स में से 26 प्वाइंट पर अपनी पहुंच खो दी है। कांग्रेस नेता ने कहा, ये किसी विपक्ष के सांसद या नेता का आरोप नहीं है, ये एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी हैं, जो उस इलाके में तैनात हैं। वहां की सुरक्षा की जिम्मेदारी उनके पास है। उन्होंने अधिकृत तौर पर डीजीपी और आईजीपी कॉन्फ्रेंस में यह रिपोर्ट पेश की है। एक जिम्मेदार विपक्ष की सरकार से मांग है कि इस विषय पर ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई जाए। संसद चल नहीं रही है, नहीं तो बेहतर ये रहता कि संसद में इसके ऊपर चर्चा होती। विपक्ष को भरोसे में लेकर, सरकार को विस्तारपूर्वक यह बताना चाहिए कि पिछले तीन वर्ष में बॉर्डर पर क्या घटनाक्रम हुआ है। उसका ब्यौरा क्या है, किस तरह की नेगोसिएशन चल रही हैं, इसका एक सार, विपक्ष के समक्ष रखना चाहिए।

पहले भी चीनी घुसपैठ का मुद्दा उठा चुकी है कांग्रेस

चीन द्वारा लद्दाख में घुसपैठ, यह मुद्दा कांग्रेस पार्टी पहले भी उठाती रही है। खुद राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर कई बार भाजपा और पीएम मोदी पर हमला बोला है। राहुल ने मंगलवार को अपने ट्वीट में लिखा, 20,000 करोड़ रुपये, अदाणी की शेल कंपनियों में बेनामी पैसे किसके हैं। प्रधानमंत्री चुप, कोई जवाब नहीं!, 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन चीन ने छीन ली, जगहों के नाम भी बदल रहे, प्रधानमंत्री चुप, कोई जवाब नहीं! प्रधानमंत्री जी, आखिर इतना डर क्यों?। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने लिखा, चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। एक बार फिर अरुणाचल में हमारे इलाकों के नाम बदलने की हिमाकत की है। सवाल है, आखिर चीन इतना दुस्साहस कैसे कर पा रहा है। जवाब आप जानते हैं, जब पीएम मोदी खुद चीन को क्लीन चिट देंगे, कहेंगे कि कोई घुसा नहीं है तो मन बढ़ेगा ही।

चुप्पी की कीमत चुकानी पड़ रही है: जयराम रमेश

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, हमें 2020 के जून महीने में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चीन को दी गई क्लीन चिट और चीनी कार्रवाई पर उनकी चुप्पी की कीमत चुकानी पड़ रही है। लगभग तीन साल बाद भी चीनी सेना हमारे गश्ती दल को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण डेपसांग मैदानों तक पहुंचने से रोक रही है, जहां पहले हमारे जवान बिना किसी रोक-टोक के पेट्रोलिंग किया करते थे। अब चीन, अरुणाचल प्रदेश में पहले की स्थिति को बदलने का प्रयास कर रहा है। अरुणाचल प्रदेश, हमेशा से भारत का अभिन्न और अटूट अंग रहा है और रहेगा। अरुणाचल प्रदेश के लोग, भारत के गौरवशाली और देशभक्त नागरिक हैं। इस संदर्भ में भारत और भारत के सभी नागरिकों के सामूहिक संकल्प पर कोई भी संदेह नहीं होना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि धरातल पर इन वास्तविकताओं को किसी भी प्रकार से ठेस न पहुंचे।

यह ‘कोई घुसा हुआ नहीं है’ का नतीजा है

कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने अरुणाचल प्रदेश को लेकर प्रधानमंत्री के पुराने बयान का हवाला दिया है। कोरोनाकाल के दौरान जून 2020 में पीएम मोदी ने गलवान की घटना के बाद कहा था कि हमारी सीमा में न कोई घुसा है और न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है। पीएम मोदी ने कहा था कि भारत, शांति और मित्रता चाहता है, लेकिन संप्रभुता को कायम रखना हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है। हमने उचित कदम उठाने के लिए सेना को खुली छूट दे रखी है। कांग्रेस पार्टी ने अरुणाचल प्रदेश के मुद्दे पर भाजपा को घेरने के लिए अब उसी बयान का सहारा लिया है। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने अपने ट्वीट में लिखा है, यह ‘कोई घुसा हुआ नहीं है’ का नतीजा है। पीएम मोदी की चीन पर चुप्पी खतरनाक है। मीडिया में भी सन्नाटा है। फर्जी देशभक्तों, खून नहीं खौल रहा? तीसरी बार चीन ने अरुणाचल में हमारे इलाकों के नाम बदलने की हिमाकत की है। 2017 में 6 जगहों के नाम बदलने की घोषणा की। 2021 में 15 जगह और अब 11 जगहों के नाम बदलने की घोषणा कर दी है। जयराम रमेश ने कहा, चीनी अतिक्रमण पर प्रधानमंत्री की चुप्पी उसे ऐसी हरकतों के लिए प्रोत्साहित करती है।

भाजपा के राष्ट्रवाद की काट निकाल रही है कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी के एक बड़े नेता का कहना है कि मिशन 2024 के लिए भाजपा के राष्ट्रवाद की काट निकालने की तैयारी हो रही है। मोदी सरकार के दौरान चीन ने कब और किस इलाके में घुसपैठ का प्रयास किया है या कथित तौर पर भारतीय इलाकों पर कब्जा किया है, इस बाबत एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है। लद्दाख के किन इलाकों में पहले भारतीय सेना गश्त करती थी, मगर अब वहां तक हमारे सैनिक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इस बात को भी रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा। 2014 से पहले पड़ोसी मुल्कों से लगती सीमाओं पर कैसी स्थिति थी, इसे भी जनता के बीच रखा जाएगा। सुप्रिया श्रीनेत ने अपने ट्वीट में लिखा है कि चीन की लगातार अरुणाचल प्रदेश में जगहों का नाम बदलने की हिमाकत सिर्फ और सिर्फ पीएम मोदी के एक झूठ का नतीजा है। चीन को सबक सिखाना है, गलबहईंया नहीं करनी है। इस देश के कानून मंत्री किरेन रिजिजू जो अरुणाचल से आते हैं, राहुल गांधी को ट्रोल करना छोड़ कर कुछ कहेंगे क्या?

विशेष रिपोर्ट-
अजीत राय ‘विश्वास’
चीफ एडवाइजर- ELE India News

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