देश के बड़े बिज़नेसमैन रतन टाटा (Ratan Tata) ने एक बार फिर सब के सामने मनावता का एक उदाहरण पेश किया है। रतन टाटा की कंपनी टाटा स्टील (Tata Steel) ने कोविड-19 (COVID-19) से मरने वाले कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की घोषणा की है। टाटा स्टील ने ऐलान किया है कि कंपनी कोरोना से जान गंवाने वाले कर्मचारियों के परिजनों को कर्मचारी की रिटायरमेंट यानी 60 साल की उम्र तक उनके आश्रितों को पूरी सैलरी देती रहेगी। सैलरी का यह अमाउंट मृत कर्मचारी की आखिरी सैलरी के बराबर होगा।
इतना ही नहीं कंपनी का कहना है कि कोरोना से जान गंवाने वाले कर्मचारी के परिवार को सभी मेडिकल फायदे और हाउसिंग सुविधाएं भी जारी रहेंगी। कंपनी ने साथ ही कोविड-19 की चपेट में आकर जान गंवाने वाले फ्रंटलाइन कर्मचारियों (Frontline Workers) के बच्चों की पढ़ाई को लेकर भी अहम घोषणा की है। कंपनी ने कहा है कि ऐसे कर्मचारी के बच्चों की ग्रेजुएशन पूरी होने तक भारत में पढ़ाई लिखाई का पूरा खर्चा टाटा स्टील वहन करेगी।
इसके अलावा, यदि कोई फ्रंटलाइन कर्मचारी काम के दौरान संक्रमित हो जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है, तो कंपनी उसके बच्चों के ग्रेजुएट होने तक उसकी पढ़ाई का सारा खर्च वहन करेगी। आपको बता दें कि इसी तरह Tata Group की दूसरी कंपनी Tata Motors कोविड-19 से जान गंवाने वाले अपने कर्मचारियों के आश्रितों को रिटायरमेंट की उम्र तक बेसिक सैलरी का 50% सैलरी मंथली अलाउंस के रूप मे देती रहेगी। साथ ही कंपनी परिवार को राहत पहुंचाने के लिए वन-टाइम पेआउट भी देगी।
#TataSteel has taken the path of #AgilityWithCare by extending social security schemes to the family members of the employees affected by #COVID19. While we do our bit, we urge everyone to help others around them in any capacity possible to get through these tough times. pic.twitter.com/AK3TDHyf0H
— Tata Steel (@TataSteelLtd) May 23, 2021
सोशल मीडिया पर वाहवाही
कंपनी की इस पहल की सोशल मीडिया पर काफी तारीफ हो रही है। गौतम चौहान लिखते हैं कि कंपनी का यह फैसला सराहनीय है। देश की हर कंपनी को टाटा से सीखने की जरूरत है। वहीं समीर पडारिया ने लिखा कि रतन टाटा को इस फैसले के लिए सलाम। उन्होंने दिखा दिया है कि वह सचमुच बड़े दिल वाले हैं। अमित शांडिल्य ने लिखा कि यह टाटा के काम करने का तरीका है। मुझे खुशी है कि मैं इस कंपनी से जुड़ा हूं। टाटा ग्रुप कोई बिजनस नहीं है यह एक कल्चर है।
टाटा की कंपनियों ने स्थापित किए नए आदर्श
टाटा ग्रुप की कंपनियां हमेशा से अपने कर्मचारियों की मदद करती रही है। टाटा कंसल्टैंसी सर्विसेज (TCS) जैसी कंपनियों ने कर्मचारियों के फायदों के लिए अलग ही स्टैंडर्ड सेट किया है। टाटा स्टील देश की वह पहली कंपनी थी जिसने अपने कर्मचारियों के लिए 8 घंटे काम, मुनाफा आधारित बोनस (Profit based bonus), सोशल सिक्योरिटी (Social Security), मैटरनिटी लीव (Maternity Leave), कर्मचारी भविष्य निधि (Employee provident fund) जैसी सुविधाओं को बेहतर तरीके से लागू किया। टाटा की पहल के बाद ही देश की दूसरी कंपनियों ने भी ऐसे मानदंड अपनाए।
छंटनी पर उठाए सवाल
टाटा ग्रुप के Chairman Emeritus रतन टाटा ने न केवल एक सफल उद्योगपति के रूप में बल्कि एक महान इंसान और परोपकारी व्यक्ति के रूप में भी इज्जत कमाई है। पिछले साल कोरोना के कारण बिजनस प्रभावित हुआ तो कई कंपनियों ने छंटनी शुरू कर दी थी। उनका कहना था कि कंपनियों की शीर्ष लीडरशिप में सहानुभूति की कमी हो गई है। कर्मचारी अपना पूरा करियर कंपनी के लिए लगाते हैं और कोरोना वायरस महामारी जैसे संकट के समय में इनका सहयोग करने के बजाय ये बेरोजगार हो रहे हैं। टाटा ने कहा कि जिन्होंने आपके लिए काम किया, आपने उन्हें ही छोड़ दिया।
रतन टाटा का कहना था कि मुनाफा कमाना गलत नहीं है, लेकिन मुनाफा कमाने का काम भी नैतिकता से करना चाहिए। आप मुनाफा कमाने के लिए क्या कर रहे हैं, ये आवश्यक है। इतना ही नहीं, कंपनियों को ग्राहकों व शेयरधारकों का भी ध्यान रखना चाहिए। ये तमाम पहलू महत्वपूर्ण हैं। अधिकारियों को खुद से पूछना चाहिए कि उनके द्वारा लिए जा रहे फैसले सही हैं भी या नहीं।