जितिन प्रसाद के कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़कर भाजपा में जाने के बाद से ही सचिन पायलट का नाम एक बार फिर चर्चा में आ गया है। लोग सोशल मीडिया पर तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बीते साल बगावती तेवर दिखा चुके सचिन पायलट को कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से किए गए वादों के पूरा होने की आस है।
बता दें कि जितिन प्रसाद ने बुधवार को कांग्रेस पार्टी का हाथ को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। इस बीच एक नाम सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। यह नाम है सचिन पायलट का। लोग सोशल मीडिया पर सवाल कर रहे हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद के बा,क्या वह अगले होंगे।
प्रदेश के भाजपा नेताओं को व्यर्थ बयानबाज़ी की बजाय अपनी स्थिति पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। आपसी फूट व अंतर्कलह इतनी हावी है कि राज्य मे भाजपा विपक्ष की भूमिका भी नहीं निभा पा रही।
इनकी नाकाम नीतियों से देश में उपजे संकट में जनता को अकेला छोड़ने वालों को जनता करारा जवाब देगी। https://t.co/HnYaR9yd57— Sachin Pilot (@SachinPilot) June 8, 2021
कारण कि कांग्रेस नेतृत्व ने अभी तक सचिन पायलट के पिछले साल बगावती तेवर दिखाने के भी उनकी ओर से उठाई गई मांगों को अभी तक पूरा नहीं किया है। वहीं दूसरी ओर जितिन प्रसाद के जाने के कुछ घंटे बाद ही पार्टी ने सचिन पायलट को एक संदेश दिया है।
इस संबंध में कांग्रेस की ओर से प्रतिक्रिया देते हुए पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनाते ने कहा कि बदलाव का समय होना चाहिए। सचिन पायलट को धैर्य रखना होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने उन्हें देश का सबसे युवा उपमुख्यमंत्री बनाया है। बता दें कि बीते साल राजस्थान में सचिन पायलट की नाराजगी के बाद घटे राजनीतिक घटनाक्रम को प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार को गिराने के भाजपा के मास्टर प्लान के तौर पर देखा गया था। हालांकि गांधी परिवार के साथ हुई बैठक के बाद पायलट की नाराजगी दूर हुई और उनकी मांगों को पूरा करने के वादे भी हुए। हालांकि ये वादे पूरे नहीं हुए हैं, इस बात का उल्लेख वह बीते सोमवार को दिए एक साक्षात्कार में कर चुके हैं।
उन्होंने साक्षात्कार में कहा था कि अब 10 महीने हो गए हैं। मुझे कहा गया था कि समिति द्वारा त्वरित कार्रवाई की जाएगी, लेकिन अब आधा कार्यकाल बीत चुका है, और उन मुद्दों को हल नहीं किया गया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पार्टी के इतने सारे लोग हैं काम करने वाले और हमें जनादेश दिलाने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुनी जा रही है।
बहराहाल, अब इस पूरे मामले को समय-समय पर टालने के बाद कांग्रेस पार्टी को एक बार फिर राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत और पायलट दोनों को खुश रखने की कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। सूत्रों का कहना है कि ऐसे में राजस्थान में पायलट खेमे के नेताओं को कैबिनेट विस्तार में जगह देकर समस्या का समाधान किया जा सकता है। बता दें कि पायलट की मांगों का मुख्यमंत्री गहलोत विभिन्न कारणों से विरोध कर रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि पायलट की मांगों के लिए तीन सदस्यीय पैनल बना था, लेकिन पिछले अगस्त से इसकी बैठक नहीं हुई है। इसके सदस्यों में से एक और पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के प्रमुख संकटमोचक अहमद पटेल की नवंबर में कोविड-19 की वजह से मृत्यु हो गई है। सूत्रों का कहना है कि अब बस देखना है कि समय कौन सा करवट लेता है।