लगातार दिखाई दे रहे ड्रोन ने भारत की परेशानी बढ़ा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे गंभीरता से लेते हुए मंगलवार को उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, एनएसए अजीत डोभाल शामिल हुए। सुरक्षा मामलों से जुड़ी इस बैठक में जम्मू-कश्मीर की स्थिति, लद्दाख में चीन के साथ चल रही तनातनी और जम्मू-कश्मीर में दिखाई दे रहे ड्रोन के बाबत चर्चा होने की खबर है। माना जा रहा है कि ड्रोन आने के स्रोत, इसे रोकने के उपाय समेत अन्य बिंदुओं पर चर्चा हुई है। इससे पहले भारत ने इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में भी उठाया।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में दुनिया की उच्चस्तरीय काउंटर टेररिज्म कॉन्फ्रेंस में इस मामले को उठाते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में ड्रोन के जरिए भारतीय वायुसेना स्टेशन पर बम गिराया गया। यह बहुत गंभीर विषय और चिंता की बात है। भविष्य में आतंकी संगठन इसका (ड्रोन) आतंकी हमलों में इस्तेमाल कर सकते हैं। भारत ने कहा कि आतंकी इसके जरिए देश के रणनीतिक ठिकानों को भी निशाना बना सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र में भारत का पक्ष विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) वीएसके कौमुदी ने रखा। उन्होंने मुद्दा उठाते हुए सूचना एवं संचार तकनीक के दुरुपयोग को गंभीर चिंता का विषय बताया।
ड्रोन को मार गिराना आसान नहीं
भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार आसमान में छोटे-छोटे पक्षियों की तरह दिखाई देने वाले ड्रोन को मार गिराने की अभी फिलहाल भारत के पास कोई कारगर तकनीक नहीं है। भारतीय सेना की इन्फ्रैंट्री डिवीजन के एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि वायुसेना जैसे रणनीतिक स्थानों की सुरक्षा के लिए हम एक प्रणाली का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन अभी छोटे आकार वाले ड्रोन दिखाई देने पर जमीन से सैनिक उस पर गोलियां दागते हैं।
इसलिए यह आने वाले समय के हिसाब से चिंता की बात है। बताते हैं इस तरह के ड्रोन बहुत मंहगे नहीं हैं और यदि इन्हें मारकर गिराया जाए तो इसे भेजने वाले को कोई शारीरिक क्षति नहीं होगी। दूसरे ड्रोन में हाई रिजॉल्यूशन कैमरा समेत अन्य तकनीक का इस्तेमाल करके आतंकी इससे सैन्य टुकड़ियों, शिविरों आदि पर भी हमला कर सकते हैं। इसलिए आने वाले समय में सीमापार से आतंक फैलाने वालों का यह बड़ा हथियार बन सकता है।
300 से अधिक ड्रोन कर चुके हैं भारतीय सीमा में प्रवेश
केंद्रीय खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि 2019 से अब तक 300 से अधिक ड्रोन भारतीय वायु क्षेत्र में दिखाई दे चुके हैं। इनमें से कुछ ड्रोन द्वारा सीमा पार से हथियार लेकर आने और भारतीय सीमा में गिराए जाने की सूचना है। बताते हैं कि इन हथियारों में एके-47, हैंड ग्रेनेड आदि भी शामिल हैं। कुछ ड्रोन ने पंजाब और आस-पास के क्षेत्र में नशीले पदार्थों को भी गिराया है। इन ड्रोन की संख्या के बारे में सुरक्षा और खुफिया सूत्रों का कहना है कि 2019 में 167, 2020 में 77 और 2021 में अब तक 66 ड्रोन या इससे मिलती-जुलती चीजें आसमान में उड़ती हुई देखी गई हैं। बताते हैं कि इन सभी का ब्योरा प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई उच्चस्तरीय बैठक में रखा गया है। सुरक्षा एजेंसी से जुड़े अधिकारी यह भी बताते हैं कि पाकिस्तान के पास 50 से अधिक हमला करने में सक्षम ड्रोन हैं। इसे पड़ोसी देश ने चीन से लिया था। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में बम गिराने वाले ड्रोन के बारे में भी कहा जा रहा है कि ये चीन से पाकिस्तान और वहां से आतंकियों के हाथ लगे हो सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव है कारगर विकल्प
सेना के पूर्व अधिकारियों का कहना है कि मक्खियों की तरह आसमान में दिखाई देने वाले ड्रोन को नष्ट करना बहुत आसान नहीं है। वह भी जब संख्या में एक से अधिक होंगे तो मुश्किल बढ़ेगी। अभी इनसे आने वाली चुनौतियों से निबटने के लिए कोई कारगर हथियार नहीं है। सेना से अवकाश प्राप्त ब्रिगेडियर सपन चटर्जी का भी कहना है कि कई तकनीकी दिक्कतें हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि भारत इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने के साथ-साथ ड्रोन के इस्तेमाल का मानक तय करने का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष दबाव बनाएगा। इसे सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद के विरुद्ध बड़े हथियार के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।