गर्भपात की मंजूरी मांगने पर बोला दिल्ली हाई कोर्ट- मारने से अच्छा है किसी को दे दो !

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दिल्ली हाई कोर्ट ने 25 साल की अविवाहित युवती को गर्भपात की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। यही नहीं मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की कि हम बच्चे की हत्या की अनुमति नहीं देंगे। इसकी बजाय उसे किसी को गोद देने का विकल्प चुन सकती हैं। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने कहा, ‘बच्चों को मारना क्यों चाहती हैं? हम आपको एक विकल्प देते हैं। देश में बड़े पैमाने पर गोद लेने के इच्छुक लोग हैं।’ चीफ जस्टिस ने कहा कि हम युवती को बच्चे के लिए पालने के लिए मजबूर नहीं करते। लेकिन वह एक अच्छे अस्पताल में जाकर उसे जन्म दे सकती है।

जज ने कहा, ‘हम उस पर दबाव नहीं डालते कि वह बच्चे का पालन-पोषम करे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि वह एक अच्छे अस्पताल में जाएं। उसके बारे में किसी को पता भी नहीं चलेगा। बच्चे को जन्म दे और वापस आ जाए।’ यही नहीं उन्होंने यहां तक कहा कि यदि उसके अस्पताल का खर्च सरकार वहन नहीं करेगी तो मैं उसे अदा करूंगा। युवती के वकील ने कहा कि 23 सप्ताह 4 दिन की गर्भवती है और उसकी शादी नहीं हुई है। ऐसी स्थिति में यदि वह बच्चे को जन्म देती है तो फिर उसके लिए यह मुश्किल भरा होगा। समाज के लिहाज से भी यह ठीक नहीं होगा। 

वकील ने कहा कि युवती शारीरिक, मानसिक और वित्तीय तौर पर बच्चे को जन्म देने के लिए फिट नहीं नहीं है। इसके अलावा समाज के लिहाज से भी उसके लिए यह परेशानी भरा होगा। वहीं सरकारी वकील ने कहा कि गर्भपात की अनुमति देना ठीक नहीं होगा। इसकी वजह यह है कि भ्रूण लगभग पूरी तरह से तैयार हो गया है और वह दुनिया को देखने के लिए तैयार है। इस पर अदालत ने भी सहमति जताई और कहा कि इस अवस्था में गर्भपात की परमिशन देना एक तरह से बच्चे की हत्या करने जैसा ही होगा। 

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