सरकार के तमाम दावों के बावजूद कोरोना महामारी में प्राइवेट अस्पतालों के द्वारा की जा रही खुली लूट की घटनाएं आए दिन सामने आ रही हैं। जहां प्राइवेट अस्पताल न केवल मजबूरी का फायदा उठाते हुए कोरोना इलाज के नाम पर शासन द्वारा तय मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए मनमानी वसूली कर रहे हैं बल्कि लोगों का ये भी कहना है कि अस्पताल जानबूझकर मरीज के मरने के बाद भी इलाज के नाम पर तीन-चार दिन अधिक रखकर पैसों की वसूली करते हैं। ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के इंदौर में आया है, जहां एक प्राइवेट अस्पताल एप्पल हॉस्पिटल के खिलाफ ऐसी शिकायत सामने आई है।
इंदौर के एक व्यापारी, जिनकी इलाज के दौरान एप्पल हॉस्पिटल में मृत्यु हो गई, के परिजनों ने हॉस्पिटल के खिलाफ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर जिला कलेक्टर तक शिकायत कर के मामले में जांच की मांग की है। शिकायतकर्ता नितिन बरैया ने डाक एवं ईमेल के माध्यम से सीएम इंदौर के डीएम और हेल्थ कमिश्नर को शिकायत पत्र भेजते हुए बताया है कि मेरे पिता दिलीप बरैया को इंदौर के एप्पल अस्पताल में 3 अगस्त को भर्ती करवाया गया था। 8 अगस्त को उनका देहांत कोरोनावायरस से हो गया, जबकि इससे पहले रतलाम मेडिकल कॉलेज में 3 अगस्त को उनकी कोविड-19 रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। किंतु निमोनिया के लक्षण पाए जाने से उन्हें इंदौर के एप्पल अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। एप्पल अस्पताल पहुंचते ही वहां रतलाम की जांच रिपोर्ट जो की नेगेटिव आई थी, उसे नजरअंदाज करके सीधे कोरोना वार्ड में ही आइसोलेट कर दिया गया। उसके बाद सैंपल लेकर जांच के लिए लैब भेज दिया गया। 5 अगस्त को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई जिसके कारण परिवार के किसी सदस्य को उनसे मिलने की अनुमति नहीं दी गई।
ऐसी मुश्किल परिस्थिति में भी इलाज के नाम पर अस्पताल प्रबंधन की ओर से लगातार पैसे की मांग की गई जिसे पूरा भी किया गया। मात्र 6 दिन के इलाज में ही अस्पताल ने ₹320718 का बिल थमा दिया। प्राथमिक दृष्टि में ही इस बिल में कई सारी गड़बड़ियां नजर आ रही हैं जिनकी जांच होनी जरूरी है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि रतलाम की नेगेटिव रिपोर्ट होने के बावजूद सीधे कोरोना वार्ड में डाल दिया गया और कोरोना जाँच की गई जिसका शुल्क ₹5000 वसूला गया जो कि शासन द्वारा निर्धारित शुल्क से अधिक है। इसके अलावा बिल में आइसोलेशन चार्जेस के नाम पर ₹12000 अतिरिक्त वसूले गए जबकि रूम रेंट शुल्क में जो कि ₹60000 है, पहले से आइसोलेशन शुल्क शामिल था। बिल में यूनिवर्सल प्रोटेक्शन के नाम पर ₹9000 वसूले गए जो कि सामान्य व्यक्ति के समझ से परे हैं।
शिकायतकर्ता नितिन ने गंभीर आरोप लगाते हुए एप्पल अस्पताल प्रबंधन पर सवाल खड़ा किया कि- बिल में सिटी स्कैन के ₹8000 ले लिए गए जबकि उनके पिता की सीटी स्कैन जांच कराई ही नहीं गई। मेडिसिन के नाम पर ₹66226 का शुल्क लिया गया जिसका कोई हिसाब भी नहीं बताया गया। अस्पताल प्रशासन का दवा है की 5 से 8 अगस्त तक मरीज को वेंटीलेटर पर रखा गया जिसका शुल्क ₹16000 रहा। जबकि अंतिम बार अस्पताल कर्मियों के द्वारा मरीज की अपने परिजनों से वीडियो कॉल के माध्यम से 5 अगस्त को ही बात हो सकी थी। अस्पताल प्रबंधन ने 5 अगस्त के बाद पीपीई किट पहन कर भी परिजनों को मरीज से मिलने की अनुमति नहीं दी। इसलिए यदि संदेह जताया जा रहा है कि दिलीप बरैया की मृत्यु 5 अगस्त को ही हो गई थी लेकिन फिर भी उन्हें 4 दिन तक जानबूझकर अस्पताल में रखा गया। इसके साथ ही बिल में अस्पताल की ओर से दो इंजेक्शन बाहर से मंगवाए जाने का दावा किया गया है जिनकी कीमत ₹80000 बताई गई है। ऐसे ही तमाम अनियमितताओं और अस्पताल की ओर से की गई लूट की जांच की मांग मृतक दिलीप बरैया के पुत्र नितिन बरैया ने पत्र लिख कर मुख्यमंत्री, इंदौर के जिलाधिकारी और स्वास्थ्य आयुक्त से की है।
(विशेष रिपोर्ट- प्रकाश चंद बारोड़, ELE India News Desk)