देश में कोरोना संक्रमण से मचे हाहाकार के बीच पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है और वैक्सीनेशन को तेज करने का सुझाव दिया है। कोरोना से हो रही तबाही का जिक्र करते हुए पूर्व पीएम ने वैक्सीनेशन को लेकर 5 सुझाव दिए हैं। इनमें यह भी कहा गया है कि 45 साल से कम उम्र के लोगों के टीकाकरण की भी छूट दी जाए।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा है कि महामारी को काबू करने के लिए टीकाकरण महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा है कि कितने लोगों को टीका लगा है, यह आंकड़ा ना देखकर हमें इस पर फोकस करना चाहिए कि आबादी के कितने फीसद लोगों को टीका लगा है।
Former PM Dr Manmohan Singh writes PM Narendra Modi, “The key to our fight against COVID19 must be ramping up the vaccination effort. We must resist the temptation to look at the absolute numbers being vaccinated, and focus instead on the percentage of the population vaccinated” pic.twitter.com/OiDXnngIJ8
— ANI (@ANI) April 18, 2021
मनमोहन सिंह ने कहा कि सबसे पहले सरकार को अगले छह महीने के लिए टीकों के दिए गए ऑर्डर, किस तरह से टीके राज्यों के बीच वितरित होंगे, इस बारे में बताना चाहिए। उन्होंने कहा, ”सरकार को यह बताना चाहिए कि अलग-अलग वैक्सीन उत्पादकों को कितने ऑर्डर दिए गए हैं, जिन्होंने अगले छह महीने में डिलीवरी का वादा किया है। यदि हम लक्षित संख्या में लोगों को टीका लगाना चाहते हैं तो हमें अडवांस में पर्याप्त ऑर्डर देने चाहिए ताकि उत्पादक समय से आपूर्ति कर सकें।”
दूसरी सलाह में पूर्व पीएम ने कहा, ”सरकार को यह बताना चाहिए कि इन संभावित टीकों का वितरण राज्यों के बीच किस तरह पारदर्शी फॉर्मूले के आधार पर किया जाएगा। केंद्र सरकार 10 फीसदी आपातकालीन जरूरत के लिए रख सकती है, लेकिन बाकी का राज्यों को साफ सिग्नल मिले ताकि वे उस तरह टीकाकरण की योजना बना सकें।”
तीसरी सलाह में पूर्व पीएम ने कहा है कि राज्यों को यह छूट दी जाए कि वे फ्रंटलाइन वर्कर्स की कैटिगरी तय करें, जिन्हें 45 साल से कम उम्र के बावजूद टीका लगाया जा सके। उदाहरण के तौर पर राज्य स्कूल टीचर, बस, थ्री व्हीलर और टैक्सी ड्राइवर्स, म्यूनिसिपल और पंचायत कर्मियों और वकीलों को टीका लगाना चाहेंगे। 45 साल से कम उम्र के बावजूद इन्हें टीका लगाया जा सकता है।
पूर्व पीएम ने यह भी कहा कि पिछले कुछ दशकों में भारत सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक के रूप में उभरा है। उन्होंने आगे कहा, ”अधिकांश क्षमता निजी क्षेत्र में हैं। जनस्वास्थ्य के लिए मौजूदा आपात स्थिति में भारत सरकार को वैक्सीन उत्पादकों को मदद देनी चाहिए, ताकि वे तेजी से मैन्युफैक्चरिंग क्षमता का विस्तार कर सकें।” उन्होंने इसके लिए कंपनियों को फंड और छूट देने की सलाह दी।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने यह भी कहा कि वैक्सीन के घरेलू आपूर्तिकर्ता सीमित हैं, इसलिए ऐसे किसी भी टीके जिसे यूरोपीय मेडिकल एजेंसी या यूएसएफडीए ने मंजूरी दी हो, देश में आयात की मंजूरी देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए देश में ट्रायल के बिना ही उन्हें मंजूरी देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आपात स्थिति में यह छूट न्यायोजित है।