कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ कितनी असरदार होंगी कोरोना वैक्सीन? डेल्टा वेरिएंट से सबसे ज्यादा सुरक्षित कौन?

0
225

कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन का असर आठ गुना कम होगा। एक नई स्टडी में इस बात का दावा किया गया है। इसका मतलब है कि वुहान वैरिएंट की तुलना में डेल्टा वैरिएंट पर कोरोना वैक्सीन से बनी एंटीबॉडीज का प्रभाव कम होगा। गौरतलब है कि डेल्टा वैरिएंट को लेकर डब्लूएचओ पहले ही चिंता जता चुका है। यह स्टडी सर गंगाराम हॉस्पिटल में की गई है। इसमें यह भी कहा गया है ​कि डेल्टा वैरिएंट ठीक हो चुके कोरोना मरीजों पर भी कम प्रभावी होगा। 

रिसर्च स्क्वॉयर द्वारा की गई इस रिसर्च के मुताबिक री—इंफेक्शन और ट्रांसमिशन ने डेल्टा वैरिएंट के फैलाव में अहम भूमिका निभाई है। सिर्फ यही नहीं वैक्सीनेटेड हेल्थकेयर वर्कर्स में ट्रांसमिशन क्लस्टर में भी डेल्टा वैरिएंट की भूमिका दिखी। स्टडी में कहा गया है कि पूरे भारत से तीन सेंटर्स के 100 वैक्सीनेटेड हेल्थ वर्कर्स पर एनालिसिस में देखा गया कि डेल्टा वैरिएंट नॉन डेल्टा वैरिएंट की तुलना में न सिर्फ अधिक प्रभावी है। बल्कि हेल्थवर्कर्स में इसके संक्रमण की रफ्तार भी काफी ज्यादा है।

गौरतलब है कि 2020 के आखिर में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट की पहचान सबसे पहले महाराष्ट्र में हुई थी। इसके बाद धीरे—धीरे देशभर में इसके केसेज मिलने लगे थे। अब भारत में कोरोना के अन्य वैरिएंट्स की तुलना में डेल्टा वैरिएंट सबसे ज्यादा प्रभाव वाला वैरिएंट बन चुका है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक स्टडी में यह भी कहा गया है कि यह वैरिएंट स्पाइक प्रोटीन को बढ़ावा देता है। इसके चलते वायरस फेफड़ों की कोशिकाओं पर असर दिखाता है और वुहान वैरिएंट की तुलना में ज्यादा लोगों को संक्रमित करता है। साथ ही इसकी प्रसार क्षमता भी ज्यादा है। इसके चलते यह इसका संक्रमण और खतरनाक हो सकता है।

कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से सबसे ज्यादा सुरक्षित कौन

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)ने अपने एक अध्ययन में बताया है कि कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से सबसे ज्यादा सुरक्षित कौन है। पता चला है कि कोविड-19 से उबरने पर टीके की एक या दोनों खुराक ले चुके लोगों को आगे कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप से ज्यादा सुरक्षा मिलती है। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। अध्ययन की अभी समीक्षा की जानी है और इसे शुक्रवार को ‘बायोरेक्सिव प्रीप्रिंट सर्वर पर पोस्ट किया गया था। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, पुणे और न्यूरोसर्जरी विभाग, कमांड हॉस्पिटल (दक्षिणी कमान) के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के संबंध में कोविशील्ड टीके को लेकर अध्ययन किया है।

भारत में बी.1.617 के मामलों में हालिया उभार के बाद लोक स्वास्थ्य के लिए नयी चिंताएं पैदा हो गयी है। अध्ययन में कहा गया, ”स्वरूप में आगे बी.1.617.1 (कप्पा), बी.1.617.2 (डेल्टा) और बी.1.617.3 बदलाव हुआ। जाहिर है, डेल्टा स्वरूप धीरे-धीरे दूसरे स्वरूप पर हावी हो गया है। इसी के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे चिंता का विषय बताया है।अध्ययन में कहा गया, ”डेल्टा स्वरूप के ज्यादा प्रसार से भारत में महामारी की दूसरी लहर पैदा हुई, जिसने लाखों लोगों को प्रभावित किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here