पितृपक्ष महालया श्राद्ध
आज 1 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है, जानिए इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी. जिन जीव आत्मा को मोक्ष प्राप्ति नहीं होती तो वह इस मृत्युलोक पृथ्वी में ही विचरण करते हैं,अतृप्त जीव आत्माओं की शांति के निमित्त श्राद्ध पक्ष नियत है. साथ ही प्रत्येक अमावस्या को भी पित्र पूजा का प्रावधान है. भादो मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक श्राद्ध पक्ष रहता है जो कि 16 दिनों का होता है. श्राद्ध क्या है- पूर्वज यानी पितरों की प्रसन्नता के लिए हविष्यान्न पिंड प्रदान करना तर्पण इत्यादि कार्य श्राद्ध कहलाता है. श्राद्ध से पितरों को तृप्ति मिलती है और वे अपने वंशजों को ऐश्वर्य सुख शांति पुत्र पौत्र आदि एवं आरोग्यता का आशीर्वाद देते हैं.
पुराणों में श्राद्ध में कई प्रकार बताए गए हैं नित्य श्राद्ध प्रतिदिन पितरों को नियमित किया गया श्राद्ध नित्यश्राद्ध कहलाता है. शास्त्रोक्त पद्धति से किए गए श्राद्ध को नैमित्तिक श्राद्ध कहते हैं. किसी कामना को लेकर किया गया श्राद्ध काम्य श्राद्ध कहलाता है, जिस तिथि को व्यक्ति देह त्यागता है उस तिथि को किया गया श्राद्ध सांवत्सरिक श्राद्ध कहलाता है. एक ही उद्देश्य मात्र से किए गए श्राद्ध को एकोदिष्ट श्राद्ध कहते हैं, तीर्थ स्थानों में किए गए श्राद्ध को तीर्थ श्राद्ध कहते हैं. साथ ही पितृ श्राद्ध मध्यान्ह काल में किया जाता है इस समय सूर्य देवता अपनी किरणों से अन्न का रस सोखकर पितरों को तृप्त करते हैं इसलिए पितरों का श्राद्ध मध्यान्ह के समय किया जाना चाहिए. इस समय किए गए तर्पण व श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ती प्रदान होती है. श्राद्ध पक्ष में पित्र गण पितृलोक से अपनी संतानों के घर आते हैं तथा अपने वंशजों से तर्पण श्राद्ध इत्यादि की आशा करते हैं. यदि विधि विधान से श्राद्ध कर्म नहीं किया जाता है तो वह निराश होकर लौटते हैं, उनकी निराशा ही श्राप का कारण बनती है इसलिए पितरों की प्रसन्नता हेतु श्राद्ध कर्म अत्यंत आवश्यक है.
सामान्यतः कैसे करें प्रतिदिन पितरों के निमित्त श्राद्ध
सर्वप्रथम एक जल के कलश मे कच्चा दूध काले तिल और जो मिलाकर पूर्व दिशा में भगवान सूर्य को अर्ध्य देवे और पितरों के मोक्ष की कामना करें. तत्पश्चात (आपका मुंह दक्षिण दिशा में हो) दक्षिण दिशा में एक पाटले पर सफेद वस्त्र बिछाकर श्रीफल श्वेत पुष्प सफेद चंदन दक्षिणा खीर का प्रसाद चढ़ाकर अत्यंत भाव से अपने पूर्वजों की पूजा अर्चना करें, फिर एक जलते हुए उपले पर 3 बार खीर का भोग लगाएं जल से आचमन करा कर कौवे गाय और कुत्ते को खीर पुरी खिलाएं ब्राह्मणों को भोजन कराएं व यथाशक्ति दान देवे गाय को चारा डालें, यथाशक्ति प्रेम से किए गए इस श्राद्ध से निश्चित रूप से पूर्वजों को अक्षय तृप्ति मिलती है .
पितृ श्राद्ध आरम्भ
पूर्णिमा श्राद्ध – 2/9/20, बुधवार
1 प्रतिपदा श्राद्ध – 3/9/20 गुरुवार
2 द्वितीया श्राद्ध – 4/9/20 शुक्रवार
3 तृतीया श्राद्ध- 5/9/20 शनिवार
4 चतुर्थी श्राद्ध-6/9/20 रविवार
5 पंचमी श्राद्ध- 7/9/20 सोमवार
6 षष्ठी श्राद्ध-8/9/20 मंगलवार
7 सप्तमी श्राद्ध- 9/9/20 बुधवार
8 अष्टमी श्राद्ध- 10/9/20 गुरुवार
9 नवमी श्राद्ध- 11/9/20 शुक्रवार
10 दशमी श्राद्ध- 12/9/20 शनिवार
11 एकादशी श्राद्ध- 13/9/20 रविवार
12 द्वादशी श्राद्ध- 14/9/20 सोमवार
13 त्रयोदशी श्राद्ध- 15/9/20 मंगलवार
14 चतुर्दशी श्राद्ध- 16/9/20 बुधवार
15 सर्वपितृ अमावस श्राद्ध 17/9/20 गुरुवार
भव्यशक्ति ज्योतिष अनुसंधान- ध्यान योगी रोहित गुरु जी द्वारा प्रतिदिन श्राद्ध पक्ष में पित्र दोष के कारण एवं निवारण जानने के लिए जुड़े रहिये ELE India News से.
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