केंद्र द्वारा लाए कृषि अध्यादेशों के खिलाफ हरियाणा में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर हुआ लाठीचार्ज

0
724

कें‍द्र सरकार द्वारा पिछले दिनों लाए गए तीन कृषि अध्यादेशों को किसान विरोधी बताते हुए, इसके विरोध में किसानों ने आज हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के पिपली में राष्ट्रीय राजमार्ग पर ज़ोरदार प्रदर्शन किया. लगातार गिरफ्तारियों के बावजूद बड़ी तादात में किसान सड़कों पर उतर आए. हरियाणा पुलिस ने नेशनल हाईवे जाम होने का हवाला देकर लाठीचार्ज कर दिया जिसमें बहुत सारे किसानों को गम्भीर चोटें आईं. खट्टर सरकार के इस रवैया से किसानों में जबरदस्त गुस्सा है. मोदी सरकार की ओर से लाए गए इन आध्यादेशों को किसान ‘काला कानून’ कह कर लगातार विरोध कर रहे हैं लेकिन सरकार इसे ‘सुधार’ का नाम देकर अपनी पीठ थपथपाने में लगी है.

आज किसानों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर हरियाणा में राजनीति भी गर्मा गई है। जहाँ हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी शैलजा और कांग्रेस के मीडिया इंचार्ज रणदीप सुरजेवाला ने खट्टर सरकार पर निशाना साधा, वहीं इस मामले को लेकर किसान कांग्रेस ने भी खट्टर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। दिल्ली में मौजूद किसान कांग्रेस-AICC के संगठन प्रभारी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेन्द्र सोलंकी ने इस घटना की जानकारी मिलते ही एक वीडियो संदेश जारी कर मोदी सरकार में किसानों पर हो रहे अत्याचार को लेकर चेतावनी दी और कुरुक्षेत्र पहुँचकर इस बर्बरता का विरोध करने की बात कही। देर शाम उनके हरियाणा पहुँचकर किसानों से मुलाकात करने की जानकारी मिली है।

आपको बता दें कि किसान कांग्रेस, सुरेंद्र सोलंकी के नेतृत्व में लॉकडाउन के दौरान भी किसानों के मुद्दे को लेकर लगातार संघर्ष कर रही है। चाहे कृषि मंत्री के घर के बाहर प्रदर्शन करने की बात हो, कृषि मंत्री से मिलकर उन्हें अपनी मांगो का लिखित पत्र देने की बात हो, महामहिम राष्ट्रपति से गुहार लगाने की बात, कृषि भवन के बाहर प्रदर्शन करते हुए गिरफ्तारी देने की बात हो, या फिर सोशल मीडिया में #किसान_कर्जा_मुक्ति और किसान_के_बोल अभियान को टॉप ट्रेंड कराने की बात हो, किसान कांग्रेस लगातार, केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाने का काम कर रही है। फिलहाल किसान कांग्रेस की ओर से #KisanKeBol2 अभियान के तहत देश भर के किसानों से सीधा संवाद का कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इसके लिए किसान कांग्रेस ने एक मिस्ड कॉल नंबर- 9971210202 भी जारी किया है.

जहाँ तक आज हरियाणा में किसानों की ओर से हुए इस विरोध प्रदर्शन की बात है तो दरअसल किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन अध्यादेशों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को कॉरपोरेट एवं व्यापारियों के रहमोकरम पर जीना पड़ेगा. जबकि मोदी सरकार इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. उसका कहना है कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं.

आपको बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन किया है, जिसके जरिये खाद्य पदार्थों की जमाखोरी पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया. सरकार ने एक नया कानून- कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020 पेश किया है, जिसका उद्देश्य कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी मंडियों) के बाहर भी कृषि उत्पाद बेचने और खरीदने की व्यवस्था तैयार करना है. केंद्र ने एक और नया कानून- मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020 किया है, जो कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को कानूनी वैधता प्रदान करता है ताकि बड़े बिजनेस और कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट पर जमीन लेकर खेती कर सकें. ज़ाहिर अब इन कानूनों पर किसानों का विरोध लंबा चलेगा.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here