कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के 8 दिसंबर को होने वाले भारत बंद को कांग्रेस, डीएमके, आप, बसपा और टीआरएस ने भी समर्थन देने का एलान किया है। अब तक 11 से ज्यादा विपक्षी दल और दस ट्रेड यूनियन भारत बंद का समर्थन कर चुकी हैं। इस बीच, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने केंद्र सरकार को चेताया है कि अगर गतिरोध जारी रहता है तो आंदोलन दिल्ली तक ही सीमित नहीं रहेगा, पूरे देश के लोग किसानों के समर्थन में उतरेंगे।
सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही थी। इसके बाद केंद्र ने गतिरोध समाप्त करने के लिए नौ दिसंबर को एक और बैठक बुलाई है। किसान नेता बलदेव सिंह यादव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ”यह आंदोलन केवल पंजाब के किसानों का नहीं है, बल्कि पूरे देश का है। हम अपने आंदोलन को मजबूत करने जा रहे हैं और यह पहले ही पूरे देश में फैल चुका है।”
विपक्षी दलों समेत कई क्षेत्रीय संगठनों ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों द्वारा आठ दिसंबर को किए गए ‘भारत बंद’ के आह्वान को रविवार को अपना समर्थन दिया। इन कानूनों को निरस्त किये जाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन पिछले 11 दिन से जारी है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के प्रमुख एम के स्टालिन तथा गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला समेत प्रमुख विपक्षी नेताओं ने रविवार को एक संयुक्त बयान जारी कर किसान संगठनों द्वारा बुलाए गये ‘भारत बंद का समर्थन किया और केंद्र पर प्रदर्शनकारियों की वैध मांगों को मानने के लिये दबाव बनाया।
8 दिसंबर को किसान क्रांति के समर्थन में शांतिपूर्ण भारत बंद है। हम इसका पूर्ण रूप से समर्थन करेंगे।
देश के अन्नदाता से अत्याचार और अन्याय असहनीय है।
‘अदानी-अंबानी कृषि क़ानून’ वापस लो! pic.twitter.com/qlSpRtYnhW
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 7, 2020
सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही थी। इसके बाद केंद्र ने गतिरोध समाप्त करने के लिए नौ दिसंबर को एक और बैठक बुलाई है। किसान नेता बलदेव सिंह यादव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ”यह आंदोलन केवल पंजाब के किसानों का नहीं है, बल्कि पूरे देश का है। हम अपने आंदोलन को मजबूत करने जा रहे हैं और यह पहले ही पूरे देश में फैल चुका है।”
उन्होंने सभी से बंद को शांतिपूर्ण बनाना सुनिश्चित करने की अपील करते हुए कहा, ”चूंकि सरकार हमारे साथ ठीक से व्यवहार नहीं कर रही थी, इसलिए हमने भारत बंद का आह्वान किया।” उन्होंने कहा, ”हम किसी को भी इसे हिंसक बनाने की अनुमति नहीं देंगे। हम सभी से बंद में शामिल होने का अनुरोध करते हैं।” किसान नेताओं ने कहा कि बंद के दौरान दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहेंगे। एंबुलेंस और अन्य आपात सेवाओं को छूट दी गई है।
इस दिन क्या-क्या रहेगा बंद
वहीं, स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने कहा, मंगलवार को सुबह से शाम तक भारत बंद रहेगा। दोपहर तीन बजे तक चक्का जाम रहेगा। दूध, फल व सब्जी पर रोक रहेगी। शादी व इमरजेंसी सेवाओं पर किसी तरह की रोक नहीं होगी।
विपक्षी दलों ने रविवार शाम संयुक्त बयान जारी कर कहा, संसद में बिना वोटिंग व चर्चा के जल्दबाजी में पास कराए गए कृषि कानून भारत की खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा हैं। ये हमारे किसानों व कृषि को तबाह करने वाले हैं।
केंद्र सरकार को लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन करते हुए हमारे अन्नदाता किसानों की मांगें माननी चाहिए। बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, गुपकार अलायंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व अन्य के हस्ताक्षर हैं।
इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, किसानों के समर्थन में कांग्रेस सभी जिला व राज्य मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेगी और भारत बंद की सफलता सुनिश्चित करेगी। डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने कहा, कानूनों को वापस लेने की किसानों की मांग एकदम जायज है। अभिनेता कमल हासन की मक्कल निधि मयम ने भी किसानों का समर्थन किया है।
आप नेता गोपाल राय ने कहा, पार्टी के सभी कार्यकर्ता और वालियंटर्स किसानों के समर्थन में बंद में हिस्सा लेंगे। शनिवार को वाम दलों, टीएमसी, राजद और दस ट्रेड यूनियनों ने भी भारत बंद का समर्थन करने की घोषणा की थी।
तोमर ने जूनियर मंत्रियों के साथ किया मंथन
किसानों के साथ शनिवार को पांचवें दौर की वार्ता भी असफल रहने के बाद कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को राज्यमंत्री कैलाश चौधरी व पुरुषोत्तम रुपाला के साथ बैठक की। अब किसानों के साथ अगले दौर की बातचीत नौ नवंबर को होनी है।
कृषि कानून वापस नहीं होंगे: चौधरी
तीनों कृषि कानून किसानों के हक में है और इन्हें वापस नहीं लिया जाएगा। अगर जरूरी हुआ तो सरकार किसानों की कुछ मांगों को मानते हुए इनमें संशोधन कर सकती है। देश के असली किसान कानूनों से चिंतित नहीं है और अपने खेतों में काम कर रहे हैं। कुछ दलों ने राजनीतिक फायदे के लिए आंदोलन कर रहे लोगों को लालच दिया है। लिहाजा उन्हें ऐसे लोगों के लालच में नहीं आना चाहिए।
कैलाश चौधरी, कृषि राज्यमंत्री
विजेंद्र ने दी खेल रत्न अवार्ड लौटाने की चेतावनी
ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज विजेंद्र सिंह ने कहा, अगर कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो वह अपना राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड लौटा देंगे। विजेंद्र रविवार को सिंघु बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों का समर्थन करने पहुंचे थे। इस बीच, दो बार के एशियन खेलों के स्वर्ण पदक विजेता पद्म श्री पहलवान करतार सिंह 30 दिग्गज खिलाडिय़ों के अवार्ड वापस करने के लिए रविवार की शाम दिल्ली पहुंच गए।