केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली के विज्ञान भवन में किसान संगठनों के नेताओं और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच बैठक बुधवार दोपहर से जारी है। इस बैठक में सरकार ने किसानों की कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को ठुकरा दिया। हालांकि, सरकार ने कृषि कानूनों के लिए एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया है। मालूम हो कि दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर बड़ी संख्या में किसान पिछले एक महीने से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे हैं। किसानों की मांग तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने की है।
सरकार बातचीत के जरिए मामले को सुलझाना चाहती है तो यह अच्छी बात है। किसान तो बातचीत के लिए तैयार हैं। किसान बातचीत में अड़चन पैदा नहीं कर रहे हैं। बॉर्डर सील होने से जनता को नुकसान हो रहा है। यह हमारी मजबूरी है,अपनी बात कहां रखे?: नरेश टिकैत, भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष pic.twitter.com/bGyN8SH5kd
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 30, 2020
बैठक में मौजूद एक वरिष्ठ किसान प्रतिनिधि ने कहा कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और सोम प्रकाश ने न्यूनतम कीमतों की गारंटी पर एक कानून की संभावनाओं पर चर्चा की। मंत्रियों ने पहले राउंड की बैठक के बाद दोपहर में विज्ञान भवन में किसानों के साथ लंच किया। आज पहले राउंड की बैठक में किसानों ने एक बार फिर से तीनों मंत्रियों के सामने कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग दोहराई। इसके साथ ही, किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर एक कानून बनाने की भी मांग रखी।
भारतीय किसान यूनियन के एक धड़े के नेता जोगिन्दर सिंह उग्राहन ने कहा, ”मंत्रियों ने इस पर कुछ भी नहीं कहा, लेकिन उन्होंने बताया कि वे एमएसपी पर कानून के संबंध में की गई मांग पर चर्चा करना चाहते हैं।” लंच के बाद हो रही दूसरे दौर की बैठक में सरकार ने किसानों से कहा है कि वह तीनों कानूनों की जांच करने के लिए एक कमेटी बना सकती है। बैठक के दौरान सरकारी अधिकारी ने किसानों को एमएसपी पर कानून बनाने के फायदे और नुकसानों के बारे में भी समझाया। कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि निजी व्यापारी एमएसपी दरों पर खरीदारी नहीं कर सकते हैं यदि ऐसा करना उनके लिए लाभदायक नहीं होगा तो।
‘किसान नए साल का जश्न मनाने के लिए घरों को लौट जाएं’
वहीं, बैठक से पहले वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश, जो खुद पंजाब से सांसद हैं, ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह निर्णायक बैठक होगी और सरकार चाहती है कि प्रदर्शनकारी किसान नए साल का जश्न मनाने के लिए अपने घरों को लौट जाएं। पूर्व में, तोमर ने भी कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि 2020 के समाप्त होने से पहले गतिरोध का समाधान निकल आएगा। बैठक के लिए आयोजन स्थल पर प्रवेश से पहले भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं हो जातीं, किसान दिल्ली नहीं छोड़ेंगे और राजधानी की सीमाओं पर ही नए साल का जश्न मनाया जाएगा। इसके अलावा, बैठक के लिए पहुंचे पंजाब के किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने कहा, ”हमारा कोई नया एजेंडा नहीं है। सरकार यह कहकर हमारी छवि खराब कर रही है कि किसान बातचीत के लिए नहीं आ रहे। इसलिए हमने वार्ता के वास्ते तारीख दी।”
कृषि मंत्री कर रहे सरकारी पक्ष का नेतृत्व
Delhi: Union Ministers Narendra Singh Tomar and Piyush Goyal arrive at Vigyan Bhawan to hold talks with farmer leaders pic.twitter.com/EkuaE6E2Gn
— ANI (@ANI) December 30, 2020
केंद्रीय मंत्रियों और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच बैठक आज अपराह्न लगभग ढाई बजे शुरू हुई। सरकारी पक्ष का नेतृत्व तोमर कर रहे हैं। दोनों पक्षों के बीच यह छठे दौर की वार्ता है। पांचवें दौर की वार्ता पांच दिसंबर को हुई थी। आंदोलन कर रहे किसान अपनी इन मांगों पर डटे हुए हैं कि केवल तीनों नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की प्रक्रिया और एमएसपी पर कानूनी गारंटी प्रदान करने समेत अन्य मुद्दों पर ही चर्चा होगी। केंद्र ने सितंबर में लागू तीनों नए कृषि कानूनों पर गतिरोध दूर करने के लिए खुले मन से तार्किक समाधान तक पहुंचने के लिए यूनियनों को 30 दिसंबर को वार्ता के लिए आमंत्रित किया था।