किसान आंदोलन 20वें दिन में पहुंच गया, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा-किसानों को इन कानूनों को समझना चाहिए

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केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन तेज होता जा रहा है. किसान आंदोलन 20वें दिन में पहुंच गया है. किसान और सरकार के बीच कानूनों को लेकर गतिरोध बढ़ता जा रहा है. किसानों ने कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए सोमवार को एक दिन का अनशन किया और देशभर के कई हिस्सों में जिला कलेक्ट्रेट का घेराव किया. किसान संगठनों और किसान नेताओं ने प्रदर्शन को और तेज करने के भी संकेत दिए हैं. इस बीच, सरकार की ओर से कहा गया है कि किसानों के साथ वार्ता की अगली तारीख तय करने के लिए सरकार उनसे संपर्क में है. 

अहम जानकारियां :

  1. किसान आंदोलन 20वें दिन में प्रवेश कर चुका है और हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं. इस बीच, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “किसानों को आना चाहिए और इन कानूनों को समझना चाहिए. हमारी सरकार किसानों के लिए समर्पित है और उनके सुझावों को स्वीकार करने के लिए तैयार है. हमारी सरकार में किसानों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा.” 
  2. गडकरी ने कहा कि कुछ लोग किसानों को गुमराह करने की कोशिश करके उनके प्रदर्शन का गलत उपयोग कर रहे हैं. यह गलत है. किसानों को तीन कृषि कानूनों को समझने की कोशिश करनी चाहिए. 
  3. दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर सोमवार को करीब 32 किसान संगठनों के नेता केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में एक दिन के लिए भूख हड़ताल पर बैठे तथा देश के अन्य हिस्सों में कई किसानों ने इन कानूनों के विरोध में प्रदर्शन किए. 
  4. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को जोर देकर कहा कि कृषि क्षेत्र ‘जननी’ है और इसके खिलाफ प्रतिगामी कदम उठाने का सवाल ही नहीं है. हालिया सुधार भारत के किसानों की बेहतरी को ध्यान में रखकर किए गए हैं.
  5. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को कहा कि किसानों के साथ वार्ता की अगली तारीख तय करने के लिए सरकार उनसे संपर्क में है. तोमर ने कहा, ‘‘बैठक निश्चित रूप से होगी. हम किसानों के साथ संपर्क में हैं.”उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी समय बातचीत के लिए तैयार है. किसान नेताओं को तय करके बताना है कि वे अगली बैठक के लिए कब तैयार हैं.
  6. प्रदर्शनकारी किसानों की 40 यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ सरकार की बातचीत की अगुवाई तोमर कर रहे हैं. इसमें उनके साथ केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग तथा खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश शामिल हैं. केंद्र और किसान नेताओं के बीच अब तक वार्ताएं बेनतीजा रही हैं.
  7. किसानों का प्रदर्शन तीन हफ्ते से चल रहा है और किसान संघों का दावा है कि इस आंदोलन में अब और लोग शामिल हो सकते हैं. यूनाइटेड फार्मर्स फ्रंट ने कहा कि नेताओं ने बीते 18 दिन में दिल्ली की सीमाओं पर कथित रूप से जान गंवाने वाले 20 प्रदर्शनकारियों की याद में दो मिनट का मौन भी रखा.
  8. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नये कृषि कानूनों को ‘किसान विरोधी और आम आदमी विरोधी’ करार देते हुए सोमवार को कहा कि इनसे बेतहाशा महंगाई बढ़ेगी और इससे केवल कुछ पूंजीपतियों को फायदा होगा.
  9. भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा है कि किसानों के आंदोलन की वजह से आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है जिससे आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है. सीआईआई ने कहा कि किसानों के आंदोलन की वजह से अर्थव्यवस्था में मौजूदा पुनरोद्धार का सिलसिला भी प्रभावित हो सकता है. 
  10. किसानों के संगठन ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के चलते बीते कई दिनों से कुछ प्रमुख सड़कें बंद होने से लोगों को हो रही असुविधा के लिये सोमवार को ”हाथ जोड़कर”” माफी मांगी और कहा कि उन्हें ”मजबूरी में” प्रदर्शन करना पड़ रहा है. दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी ओर से खेद प्रकट करने के लिये हरियाणा-राजस्थान सीमा के निकट जयपुर-दिल्ली राजमार्ग पर यात्रियों को हिंदी में लिखे पर्चे बांटे. संयुक्त किसान मोर्चा के पर्चों पर लिखा था, ”सड़कें बंद कर लोगों को परेशान करना हमारा मकसद नहीं है. हम मजबूरी के तहत यहां बैठें हैं. अगर हमारे आंदोलन से आपको असुविधा हुई हो तो हम उसके लिये हाथ जोड़कर माफी मांगते हैं.”

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