केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं के साथ ही हरियाणा और पंजाब में अलग-अलग जगहों पर धरना-प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपने आंदोलन के छह माह पूरे होने पर बुधवार को ‘काला दिवस’ मनाया और इस दौरान उन्होंने काले झंडे फहराए, सरकार विरोधी नारे लगाए, पुतले जलाए और प्रदर्शन किया।
अमृतसर: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने काले झंडे के साथ विरोध-प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे एक किसान ने बताया, “किसानों को प्रदर्शन करते हुए 6 महीने हो गए है लेकिन फिर भी सरकार सोई हुई है इन्हें जगाने के लिए हम एक बार फिर सड़कों पर उतरे है।” #Farmslaws pic.twitter.com/UBIUSQ3mhi
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 26, 2021
दिल्ली के गाजीपुर में प्रदर्शन स्थल पर थोड़ी अराजकता की भी खबर है, जहां किसानों ने भारी संख्या में पुलिस कर्मियों की तैनाती के बीच केन्द्र सरकार का पुतला जलाया। ‘काला दिवस’ प्रदर्शन के तहत किसानों ने तीन सीमा क्षेत्रों सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर काले झंडे लहराए और नेताओं के पुतले जलाए। वहीं, पलवल के अटोंहा धरना स्थल पर भी काले झंडे लगाकर किसान काले कानूनों का विरोध करते दिखे।
दिल्ली पुलिस ने लोगों से कोरोना वायरस संक्रमण से हालात और लागू लॉकडाउन के मद्देनजर इकट्ठे नहीं होने की अपील की है और कहा कि प्रदर्शन स्थल पर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए वह कड़ी नजर बनाए हुए है।
दिल्ली: कृषि कानूनों के विरोध में किसान द्वारा आज मनाए जा रहे काले दिवस को देखते हुए दिल्ली के कई जगहों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। ग्रेटर कैलाश के SHO ने बताया,”हम सभी गाड़ियों की जांच कर रहे हैं,चाहे वो परमिट गाड़ी भी हो क्योंकि कहीं उस गाड़ी में कोई किसान न जा रहा हो।” pic.twitter.com/ypZIOWyBhG
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किसान नेता अवतार सिंह मेहमा ने कहा कि न केवल प्रदर्शन स्थल पर बल्कि हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के गांवों में भी काले झंडे लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने अपने घरों और वाहनों पर भी काले झंडे लगाए हैं। मेहमा ने कहा कि सरकार के नेताओं के पुतले जलाए गए। आज का दिन यह बात दोहराने का है कि हमें प्रदर्शन करते हुए छह माह हो गए हैं, लेकिन सरकार जिसके कार्यकाल के आज सात वर्ष पूरे हो गए, वह हमारी बात नहीं सुन रही है।
गौरतलब है कि दिल्ली के निकट टीकरी बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर तथा गाजीपुर बॉर्डर पर किसान पिछले साल 26 नवंबर से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों की मांग तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दिए जाने की है। हालांकि, सरकार इन तीनों कृषि कानूनों को किसान हितैषी बताकर किसी भी कीमत पर पीछे हटने को तैयार नहीं है।
इस मामले में बीच का रास्ता निकालने के लिए केंद्र सरकार और प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच हुई कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही है। दोनों के बीच आखिरी वार्ता 22 जनवरी को हुई थी। 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा के बाद से दोनों पक्षों के बीच पूरी तरह बातचीत बंद है।