कांग्रेस के ‘चाणक्य’ अहमद पटेल अब नहीं रहे..

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कांग्रेस के दिग्गज नेता 71 वर्षीय अहमद पटेल का कांग्रेस के शीर्ष परिवार की तीन पीढ़ियों (इंदिरा,राजीव और सोनिया व राहुल) से भरोसे का रिश्ता रहा। कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद कांग्रेस के सीनियर नेता और गुजरात से राज्यसभा सांसद अहमद पटेल को गुरुग्राम के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली। कांग्रेस के वफादार सिपाही माने जाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गांधी परिवार के भरोसेमंद रहे अहमद पटेल का आज तड़के निधन हो गया।

प्रधानमंत्री ने शोक जताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ‘अहमद पटेल जी के निधन से दुखी हूं। उन्होंने कई साल सार्वजनिक जीवन में समाज के लिए काम किया। उन्हें अपने तेज दिमाग के लिए जाना जाता था। कांग्रेस को मजबूत करने के लिए वे हमेशा याद किए जाएंगे। मैंने उनके बेटे फैजल से बात की है। उनकी आत्मा को शांति मिले।’


राहुल गांधी ने कहा, ‘आज दुखद दिन है। अहमद पटेल कांग्रेस पार्टी के स्तंभ थे। वे हमेशा पार्टी के लिए जिए और कठिन वक्त में हमेशा पार्टी के साथ खड़े रहे। हमेशा उनकी कमी खलेगी।’

गांधी परिवार के खास माने जाने वाले अहमद पटेल हमेशा ही कांग्रेस के लिए एक खेवनहार के रूप में सामने आए। गांधी परिवार से उनकी नजदीकी साफ थी। कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक पार्टियों में उनके दोस्त और दुश्मन मुख्यत: इसी वजह से बने थे। 71 वर्षीय पटेल भारतीय संसद में गुजरात का 8 बार प्रतिनिधित्व कर चुके थे। तीन बार वह लोकसभा (1977 से 1989) और 5 बार राज्यसभा से चुनकर संसद पहुंचे हैं। गुजरात से वह फिलहाल एकमात्र मुस्लिम सांसद थे। आइए जानते है कांग्रेस और गांधी परिवार की उनके जीवन में क्या महत्ता रही है !

28 साल में सांसद बन गए थे
पटेल का जन्म 21 अगस्त 1949 को गुजरात के भरूच जिले के पिरामण गांव में हुआ था। वे 3 बार लोकसभा सांसद (1977 से 1989) और 4 बार राज्यसभा सांसद (1993 से 2020) रहे। उन्होंने पहला चुनाव 1977 में भरूच लोकसभा सीट से लड़ा था और 62 हजार 879 वोटों से जीते थे। तब उनकी उम्र सिर्फ 28 साल थी। 1980 में पटेल भरूच से ही 82 हजार 844 वोटों से और 1984 में 1 लाख 23 हजार 69 वोटों से जीत दर्ज की थी।

16 साल तक सोनिया गाँधी के राजनीतिक सचिव रहे

अहमद पटेल को 10 जनपथ का चाणक्य भी कहा जाता था। वो कांग्रेस परिवार में गांधी परिवार के सबसे करीब और गांधियों के बाद ‘नंबर 2’ माने जाते थे। बेहद ताकतवर असर वाले अहमद लो-प्रोफाइल रखते थे, साइलेंट और हर किसी के लिए सीक्रेटिव थे। गांधी परिवार के अलावा किसी को नहीं पता कि उनके दिमाग में क्या रहता था। गांधी परिवार और प्रधानमंत्रियों से लगातार मिलते रहने के बावजूद उनके साथ पटेल की तस्वीरें बेहद चुनिंदा हैं। राजीव के रहते उन्होंने यूथ कांग्रेस का नेशनल नेटवर्क तैयार किया, जिसका सबसे ज्यादा फायदा सोनिया को मिला। अहमद के आलोचक कहते हैं कि गांधी परिवार के प्रति उनकी न डिगने वाली निष्ठा ही हैं, जिस पर कोई सवाल नहीं उठा सकता। उन्होंने करीब 16 सालों तक सोनिया के राजनीतिक सचिव रहे।

राहुल के अध्यक्ष बनने पर भी बने रहे ख़ास

एक समय में कांग्रेस की कमान संभालने के बाद राहुल गांधी ने अहमद पटेल को साइडलाइन करने की भी तैयारी की थी क्योंकि तब पार्टी युवाओं को तरजीह देने की तरफ आगे बढ़ रही थी। दरअसल जब कांग्रेस की कमान सोनिया के हाथ से राहुल के पास आई तब अहमद पटेल काफी दिनों तक साइड लाइन रहे। हालांकि कांग्रेस की नई कार्यसमिति में उन्हें राहुल ने सदस्य बनाया था। एक बार फिर अपने प्रभाव और सोनिया की नजदीकी के चलते उनकी फिर वापसी हुई और राहुल ने उन्हें पार्टी के कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। हालांकि अपने प्रभाव के चलते ये कभी नहीं हो सका और अहमद पटेल की संगठन में मजबूत पकड़ एक बार फिर से सबके सामने आई और वे सोनिया के साथ-साथ राहुल के लिए भी एक मजबूत रणनीतिकार के रूप में उभरकर सामने आए।

निधन पर ये कहा सोनिया गाँधी ने..

अहमद पटेल के निधन पर सोनिया गांधी ने कहा कि ‘मैंने ऐसा सहयोगी खो दिया, जिसने अपनी पूरी जिंदगी कांग्रेस को समर्पित कर दी थी। उनकी विश्वसनीयता, काम के प्रति समर्पण, दूसरों की मदद करने जैसे गुण उन्हें दूसरों से अलग बनाते थे। उनकी क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती। उनके परिवार के साथ मेरी संवेदनाएं हैं।’

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