एसआईटी करेगी भोपाल ‘निर्भया’ केस की जांच, 34 दिन बीतने के बाद प्रशासन की नींद खुली !

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मध्यप्रदेश के भोपाल में रहने वाली 24 साल की एक लड़की के साथ हुई वारदात के 34 दिन बीतने के बाद प्रशासन की नींद खुली है। कलेक्टर अविनाश लवानिया और डीआईजी इरशाद वली ने पीड़िता के घर जाकर शुक्रवार को मुलाकात की। मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। डीआईजी ने मामले में कोलार थाने के टीआई सुधीर अरजरिया की लापरवाही स्वीकारी है।

पहले टीआई का निलंबन आदेश टाइप किया गया लेकिन दोपहर को केवल नोटिस देकर जवाब मांगा गया। पुलिस ने शुक्रवार को एफआईआर में रेप की कोशिश और जानलेवा हमले की धारा भी जोड़ दी है। हालांकि इस मामले में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। जांच अधिकारी श्वेता शर्मा का कहना है कि हफ्तेभर पहले ही मेडिकल रिपोर्ट आई है और इसी आधार पर धाराएं बढ़ाई गईं हैं। प्रशासन पीड़िता के इलाज का पूरा खर्च उठाएगा।

पीड़िता की मां ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने जिस आरोपी को गिरफ्तार किया है, वह घटना के सीसीटीवी फुटेज में दिख रहे व्यक्ति से अलग है। वहीं पुलिस का कहना है कि पीड़िता ने आरोपी का जो हुलिया और उम्र बताई है वो आरोपी अनिल से मिलती है। आरोपी ने वारदात के समय जो नीले रंग की हूडी पहनी थी उसे उससे जब्त कर लिया गया है। एक प्रत्यक्षदर्शी ने भी उसकी पहचान की है। 

केस में अब तक क्या-क्या हुआ

16 जनवरी- शाम को वॉक पर निकली पीड़िता के साथ आरोपी ने वारदात को अंजाम दिया। उसी दिन एम्स ने बागसेवनिया थाने में घटना की सूचना दी।
17 जनवरी- एम्स और बागसेवनिया पुलिस ने कोलार पुलिस को इसकी सूचना दी। पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज की।
18 जनवरी- पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। जांच के लिए एक टीम हरियाणा भेजी। वहां एक संदिग्ध युवक से पूछताछ की। 
19-22 जनवरी- पुलिस के बुलाने पर संदिग्ध युवक के परिजन भोपाल आए। 
25 जनवरी- पीड़िता एम्स से डिस्चार्ज होकर घर आई।
9 फरवरी- पुलिस ने आरोपी अनिल को गिरफ्तार किया। उसे अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेजा गया।
19 फरवरी- कलेक्टर-डीआईजी ने पीड़िता से मुलाकात की। जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया। अन्य धारां जोड़ीं।

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