इन तीन ऋणों से कैसे पाएं मुक्ति, जानिए ध्यान योगी रोहित गुरु जी से

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जो मनुष्य जन्म लेता है वह अपने जन्म काल से ही प्रारब्ध में ही तीन प्रकार के ऋण लेकर आता है- पहला देव ऋण, दूसरा ऋषि ऋण, तीसरा पितृऋण. प्रत्येक मनुष्य को शास्त्रों में वर्णित विभिन्न पूजा कर्म अनुष्ठान के द्वारा इन ऋणों से मुक्ति के लिए योग्य ब्राह्मण द्वारा शांति कर्म अवश्य करवाना चाहिए.

देव ऋण — हम सभी सृष्टि के रचयिता पालनकर्ता एवं संहारकर्ता त्रिदेव ब्रह्मा विष्णु महेश की संतान है यह भी हमारे पूर्वज ही है. भगवान सूर्यदेव भी पिता के रूप में ही पूजे जाते हैं, विशेष यह ऋण भगवान विष्णु का माना जाता है. इसलिए देवताओं के लिए देव पूजन यज्ञ हवन अनुष्ठान इत्यादि समय-समय पर संपन्न कराना चाहिए. धर्म की पालना करना चाहिए. देवी देवताओं का अपमान नहीं करना चाहिए, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ एवं सतनारायण भगवान की कथा संपन्न कराना चाहिए. पीपल वृक्ष की सेवा एवं रोपण करवाना चाहिए. कुल देवी देवताओं का पूजन करना चाहिए, मंदिरों के निर्माण कार्य में यथाशक्ति सहायता प्रदान करना चाहिए व धार्मिक अनुष्ठान में सहभागी बनना चाहिए. इस प्रकार हमें अपना देव ऋण चुकाना चाहिए.

ऋषि ऋण — यह ऋण भगवान शिव का माना जाता है, सप्त ऋषियों की पूजा अर्चना व तर्पण करना चाहिए. महामृत्युंजय के जाप एवं अनुष्ठान कराना चाहिए. गुरुजनों – ऋषि महर्षियों -ब्राह्मणों -साधु-संतों का मान सम्मान व सेवा करना चाहिए. धार्मिक सत्संग का अनुष्ठान कराना चाहिए, गीता का पाठ करना एवं कराना चाहिए, धार्मिक पुस्तकें दान करना चाहिए ,विद्या का दान करना चाहिए, ऐसे अनेक आदि कर्मों से ऋषि ऋण से मुक्ति प्राप्त होती है.

पित्र ऋण –यह ऋण ब्रह्मा जी का माना जाता है, यह अपने स्वयं का अपने माता-पिता भाई-बहन एवं रिश्तेदारों का ऋण माना जाता है. इसके लिए तर्पण श्राद्ध कर्म आदि प्रमुख माना गया है. पिंड दान हवन इत्यादि कर्म करना, मुख्य तीर्थों पर अपने पूर्वजों के निमित्त तर्पण इत्यादि करना, ब्राह्मणोंको यथाशक्ति दान करना ,गौ सेवा एवं गोदान करना, जरूरतमंदों को अपने पूर्वजों के नाम से सहायता प्रदान करना अपने कुल की परंपराओं का निर्वाह करना ,अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा रखना, उच्च कर्म करना जिससे पूर्वजों और कुल के मान की वृद्धि हो, इत्यादि कर्म से पित्र ऋण चुकाते हैं.

भव्यशक्ति ज्योतिष अनुसंधान- ध्यान योगी रोहित गुरु जी द्वारा प्रतिदिन श्राद्ध पक्ष में पित्र दोष के कारण एवं निवारण जानने के लिए जुड़े रहिये ELE India News से..

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