इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की आखिरी तारीख नजदीक है। इंडिविजुअल और सैलरीड एम्पलॉई जिनको अकाउंट ऑडिट की जरूरत नहीं है उनके लिए फाइनेंशियल ईयर 2021-22 या असेसमेंट ईयर 2022-23 के लिए ITR दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2022 है। ITR दाखिल करना काफी आसान है। इसे आप खुद भी इनकम टैक्स की वेबसाइट पर जाकर भर सकते हैं।
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले टोटल टैक्सेबल इनकम के कैलकुलेशन की जरूरत होती है, ताकि पेमेंट की जाने वाली टैक्स की सही राशि का अनुमान लगाया जा सकें। टोटल टैक्सेबल इनकम का कैलकुलेशन व्यक्ति के आय के सभी स्रोतों के आधार पर किया जाता है। टैक्स लॉ के तहत इसे सैलरी, हाउस प्रॉपर्टी, शेयरों और म्यूचुअल फंड में इनवेस्टमेंट समेत कुल 5 भागों में बांटा गया है:
- सैलरी से इनकम
- हाउस प्रॉपर्टी से इनकम
- कैपिटल गेन्स से इनकम
- बिजनेस और प्रोफेशन से इनकम
- अन्य स्रोतों से इनकम
सैलरी से इनकम
सैलरी से टोटल टैक्सेबल इनकम का कैलकुलेशन फॉर्म 16 के माध्यम से आसानी से किया जा सकता है। सभी सैलरीड इंडिविजुअल्स को फॉर्म 16 मिलता है, जो उनके सैलरी कंपोनेट और फाइनेंशियल ईयर में काटे और जमा किए गए TDS का एक सर्टिफिकेट होता है।
यदि कोई सैलरीड इंडिविजुअल पुरानी कर व्यवस्था का विकल्प चुनता है, तो वह डॉक्यूमेंट्री प्रूफ देकर टैक्स छूट का दावा कर सकता है। इन छूटों और कटौतियों में 50,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन, मकान किराया भत्ता और लीव ट्रैवल कंसेशन शामिल हैं।
जिन लोगों को फॉर्म 16 नहीं मिलता है, वे भी अपनी सैलरी स्लिप से अपनी टैक्सेबल सैलरी इनकम का कैलकुलेशन कर सकते हैं। पेंशनभोगी के टैक्सेबल इनकम का कैलकुलेशन ‘इनकम फ्रॉम सैलरी’ हेड के तहत किया जाता है।
प्रॉपर्टी से इनकम
टैक्स कैलकुलेशन के लिए हाउस प्रॉपर्टीज को तीन कैटेगरी में बांटा गया है। सेल्फ ऑक्यूपाइड प्रॉपर्टी (स्व-अधिकृत संपत्ति), रेंटल प्रॉपर्टी और रेंट पर दी गई प्रॉपर्टी (डीम्ड टू बी लेट आउट)। सेल्फ ऑक्यूपाइड प्रॉपर्टी का मतलब ऐसी संपत्ति से है जिसका उपयोग आप अपने जीवन-यापन के लिए करते हैं।
नियमों के मुताबिक दो संपत्तियों को सेल्फ ऑक्यूपाइड प्रॉपर्टी माना जाता है। इनसे होने वाली आय को शून्य माना जाता है। यदि आपके पास तीसरी संपत्ति है, चाहे आपने इसे किराए पर दिया हो या नहीं, इसे डीम्ड आउट माना जाएगा। तब इससे होने वाली इनकम (रेंट) आपकी इनकम मानी जाएगी।
कैपिटल गेन्स
घर, म्यूचुअल फंड या शेयरों जैसे कैपिटल ऐसेट की बिक्री पर शॉर्ट और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। इसका कैल्कुलेशन उस अवधि के आधार पर किया जाता है जिस अवधि तक कैपिटल ऐसेट इंडिविजुअल के पास था। 10 से 20% तक के कैपिटल गेन के लिए अलग-अलग इनकम टैक्स रेट हैं।
बिजनेस एंड प्रोफेशन
वह इनकम जो एक व्यक्ति फ्रीलांसिंग या किसी अन्य बिजनेस या प्रोफेशन जैसे वकील और सीए से कमाता है, इस कैटेगरी के तहत आती है। यहां, इंडिविजुअल प्रॉफिट/गेन या लॉस को क्लेम कर सकता है।
अन्य सोर्सेज से इनकम
बैंक अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट, डाकघर बचत योजना से मिला इंटरेस्ट, कंपनी के शेयरों से डिविडेंड या फैमिली पेंशन अन्य स्रोतों से आय के अंतर्गत आता है।
टैक्स कैलकुलेशन
सभी सोर्सेज से आई इनकम के कैलकुलेशन से व्यक्ति को ग्रॉस टैक्सेबल इनकम मिल जाएगी। जो लोग अभी भी पुरानी कर व्यवस्था का पालन कर रहे हैं, वे ग्रॉस टैक्सेबल इनकम से सेक्शन 80C, 80D, 80CCD, 80GG आदि के तहत कटौती का दावा कर सकते हैं। कटौती को घटाने के बाद, नेट टैक्सेबल इनकम मिलेगी जिस पर टैक्स कैलकुलेशन किया जाएगा।
कैसे फाइल कर सकते हैं इनकम टैक्स रिटर्न?
- सबसे पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ऑफिशियल साइट https://eportal.incometax.gov.in/iec/foservices/#/login पर जाएं।
- अपना यूजर आईडी भरें और फिर Continue पर क्लिक करें। अपना पासवर्ड डालें और लॉगिन करें। अगर पासवर्ड याद नहीं है तो Forgot Password के जरिए नया पासवर्ड बना सकते हैं।
- लॉगिन करने के बाद के एक पेज ओपन होगा, जहां आप e-file पर क्लिक करें। उसके बाद File Income Tax Return ऑप्शन को सिलेक्ट करें।
- असेसमेंट ईयर 2021-22 को सिलेक्ट करें और फिर continue करें।
- आपको Online और Offline के लिए ऑप्शन मिलेगा। इसमें आप Online को सिलेक्ट करें और ‘पर्सनल’ ऑप्शन को चुनें।
- अब ITR-1 या ITR-4 में से किसी एक ऑप्शन को चुनें और continue करें।
- अगर आप सैलरीड हैं तो फिर ITR-1 को सिलेक्ट करें। उसके बाद आपके सिस्टम पर फॉर्म डाउनलोड हो जाएगा। फिर ‘Filling Type’ में जाकर 139(1)- Original Return सिलेक्ट करें।
- इसके बाद आपके सामने सिलेक्ट किया गया फॉर्म खुल जाएगा, जिसमें सभी मांगी गई जानकारियां भरें और सेव करते रहें। इसमें बैंक खाते की डिटेल सही से भरें।
- अगर आप ऊपर OFFLINE मोड सिलेक्ट करते हैं तो फिर डाउनलोड फॉर्म में सभी जानकारियां भरने के बाद आपको Attach File का ऑप्शन नजर आएगा, जहां अपने फॉर्म को अटैच करें।
- फाइल को अटैच करने के बाद, साइट फाइल को वैलिडेट यानी सत्यापित कर देगी और वैलिडेशन के बाद “Proceed To Verification” पर क्लिक करें।
- इस तरह से कुछ ही मिनटों के भीतर आपका रिटर्न फाइल हो जाएगा और अब आप अपने रिटर्न को वैरिफाई करने के लिए E-Verification कर सकते हैं।
ITR भरने के फायदे !
अगर आप इनकम टैक्स के दायरे में नहीं भी आते हैं तब भी आपको रिटर्न फाइल करना चाहिए। अगर आप ITR फाइल करते हैं, तो इससे आपको कई फायदे होते हैं। ये हैं ITR भरने के फायदे…
- टैक्स रिफंड क्लेम करने के लिए: टैक्स रिफंड क्लेम करने के लिए ITR दाखिल करना जरूरी है। आप जब ITR दाखिल करते हैं तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उसका एसेसमेंट करता है। अगर रिफंड बनता है तो वह सीधे बैंक अकाउंट में क्रेडिट कर दिया जाता है।
- वीजा के लिए जरूरी: कई देशों की वीजा अथॉरिटीज वीजा के लिए 3 से 5 साल का ITR मांगते हैं। ITR के जरिए वे चेक करते हैं कि जो आदमी उनके देश में आना चाहता है कि उसका फाइनेंशियल स्टेटस क्या है।
- इनकम का रहता है प्रूफ: ITR फाइल करने पर एक प्रमाण पत्र मिलता है। जब भी ITR दाखिल होता है तब उसके साथ फॉर्म 16 भरा जाता है, फॉर्म 16 वहां से मिलता है जहां व्यक्ति नौकरी कर रहा है। इस तरह एक सरकारी तौर पर प्रमाणिक कागजात हो जाता है जिससे यह साबित होता है कि व्यक्ति की इतनी रुपए सालाना नियत आय है। आय का रजिस्टर्ड प्रमाण मिलने से क्रेडिट कार्ड, लोन या खुद की क्रेडिट साबित करने में मदद होती है।
- बैंक लोन मिलने में आसानी: ITR आपकी इनकम का प्रूफ होता है। इसे सभी सरकारी और प्राइवेट संस्थान इनकम प्रूफ के तौर पर स्वीकार करते हैं। अगर आप नियमित तौर पर ITR फाइल करते हैं तो आपको बैंक से आसानी से लोन मिल जाता है।
- एड्रेस प्रूफ के रूप में भी आती है काम: ITR रसीद आपके पंजीकृत पते पर भेजी जाती है, जो एड्रेस प्रूफ के रूप में काम कर सकती है। इसके अलावा यह आपके लिए इनकम प्रूफ का भी काम करती है।
- खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए जरूरी है ITR: अगर आप खुद का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो ITR भरना बहुत जरूरी है। इसके अलावा अगर आप किसी विभाग के लिए कॉन्ट्रैक्ट हासिल करना चाहते हैं तो आपको ITR दिखाना पड़ेगा। किसी सरकारी विभाग में कॉन्ट्रैक्ट लेने के लिए भी पिछले 5 साल का ITR देना पड़ता है।
- ज्यादा बीमा कवर के लिए बीमा कंपनियां मांगती हैं ITR: अगर आप एक करोड़ रुपए का बीमा कवर (टर्म प्लान) लेना चाहते हैं तो बीमा कंपनियां आपसे ITR मांग सकती हैं। वास्तव में वे आपकी आय का स्रोत जानने और उसकी नियमितता परखने के लिए ITR पर ही भरोसा करती हैं।