आठवें दौर की वार्ता भी रही बेनतीजा, किसान बोले- कानून वापसी नहीं तो घर वापसी भी नहीं

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सरकार और किसानों के बीच 8वें दौर की बातचीत में भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया। विज्ञान भवन में करीब 4 घंटे चली बैठक के बाद किसानों ने कहा कि हमने केंद्र के सामने कृषि कानूनों की वापसी की ही बात रखी। किसान नेता राकेश टिकैत बोले कि कानून वापसी नहीं तो घर वापसी भी नहीं। इधर, लगातार मीटिंगों में नतीजा न निकलने पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ताली तो दोनों हाथ से बजती है।

सोमवार की मीटिंग में MSP को कानूनी रूप देने के मुद्दे पर भी सहमति नहीं बन पाई। हालांकि, सरकार और किसान 8 जनवरी को दोबारा बातचीत करने पर राजी हो गए है। मीटिंग के बाद राकेश टिकैत ने कहा, ‘अगली बैठक में हमारा मुद्दा MSP और कानूनों की वापसी ही रहेगा।’ इधर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘किसान चाहते हैं कि सरकार रास्ता निकाले और उन्हें आंदोलन खत्म करने का रास्ता मिले। सरकार पूरे देश को ध्यान में रखकर ही फैसला करेगी। कानून और MSP ही मुख्य मुद्दे हैं।’

सरकार बोली- दोनों पक्ष समाधान चाहते हैं
किसानों से आठ दौर की बातचीत बेनतीजा रहने पर तोमर ने कहा, ‘ऐसे मामलों में चर्चा आगे बढ़ती है और फिर पीछे जाती है। चर्चा ठीक वातावरण में हुई है और दोनों पक्ष ही जल्द समाधान चाहते हैं। 8 तारीख को 2 बजे बैठक होगी और उसमें चर्चा आगे बढ़ेगी। जब हम तारीख तय करते हैं तो किसान संगठनों की मंजूरी से ही तय करते हैं। स्वाभाविक है कि रास्ता निकालने के लिए दोनों हाथों से ही तालियां बजती हैं।’

किसानों ने फिर ठुकराया सरकारी खाना
सोमवार की मीटिंग के दौरान लंच में सरकार ने किसानों के लिए खाने की व्यवस्था की थी। लेकिन, किसानों ने सरकार का खाना खाने से इनकार कर दिया। उन्होंने अपने लंगर का खाना ही खाया। किसानों की बैठक के दौरान करीब 200 लोगों का खाना लंगर से विज्ञान भवन पहुंचाया गया था। पिछली मीटिंग में भी किसानों ने लंगर का खाना ही खाया था। उस समय केंद्रीय मंत्रियों ने भी किसानों के साथ ही लंच किया था।

अब तक की हाइलाइट्स

  • पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह राज्य में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पास करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएंगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को तुरंत इन तीनों कानूनों को वापस ले लेना चाहिए।
  • मीटिंग में आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के लिए 2 मिनट का मौन रखा गया।
  • सरकार ने किसानों से अलग-अलग इश्यू पर बातचीत करने को कहा, लेकिन किसानों ने MSP को कानूनी दर्जा देने पर ही चर्चा की मांग की।
  • किसान आंदोलन के समर्थन में पंजाब-हरियाणा में रिलायंस जियो के टावर और ऑफिसों में तोड़फोड़ हुई थी। रिलायंस ने सोमवार को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अर्जी लगाई। कंपनी ने कहा कि सरकार को तुरंत दखल देकर गुंडागर्दी रोकनी चाहिए।

30 दिसंबर की मीटिंग में 2 मुद्दों पर सहमति बनी थी
1. पराली जलाने पर केस दर्ज नहीं होंगे: अभी 1.करोड़ रुपए जुर्माना और 5 साल की कैद का प्रोविजन है। सरकार इसे हटाने को राजी हुई।
2. बिजली अधिनियम में बदलाव नहीं: किसानों को आशंका है कि इस कानून से बिजली सब्सिडी बंद होगी। अब यह कानून नहीं बनेगा।

सरकार के साथ दो मुद्दों पर सहमति बनने के बाद किसानों के रुख में नरमी दिखी थी और उन्होंने 31 दिसंबर को होने वाली ट्रैक्टर रैली को टाल दिया था।

पिछली 7 में से सिर्फ 1 बैठक का नतीजा निकला

पहला दौरः 14 अक्टूबर
क्या हुआः 
मीटिंग में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जगह कृषि सचिव आए। किसान संगठनों ने मीटिंग का बायकॉट कर दिया। वो कृषि मंत्री से ही बात करना चाहते थे।

दूसरा दौरः 13 नवंबर
क्या हुआः 
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के साथ मीटिंग की। 7 घंटे तक बातचीत चली, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।

तीसरा दौरः 1 दिसंबर
क्या हुआः 
तीन घंटे बात हुई। सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी बनाने का सुझाव दिया, लेकिन किसान संगठन तीनों कानून रद्द करने की मांग पर ही अड़े रहे।

चौथा दौरः 3 दिसंबर
क्या हुआः साढ़े 7 घंटे तक बातचीत चली। सरकार ने वादा किया कि MSP से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। किसानों का कहना था सरकार MSP पर गारंटी देने के साथ-साथ तीनों कानून भी रद्द करे।

5वां दौरः 5 दिसंबर
क्या हुआः 
सरकार MSP पर लिखित गारंटी देने को तैयार हुई, लेकिन किसानों ने साफ कहा कि कानून रद्द करने पर सरकार हां या न में जवाब दे।

6वां दौरः 8 दिसंबर
क्या हुआः 
भारत बंद के दिन ही गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की। अगले दिन सरकार ने 22 पेज का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान संगठनों ने इसे ठुकरा दिया।

7वां दौर: 30 दिसंबर
क्या हुआ: 
नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के 40 प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। दो मुद्दों पर मतभेद कायम, लेकिन दो पर रजामंदी बनी।

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