आखिर क्यों अटका था दिल्ली सरकार का बजट और क्या है प्रक्रिया ?

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दिल्ली में आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी अब राज्य में बजट न पेश होने के मामले में आमने-सामने हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गृह मंत्रालय पर दिल्ली का बजट रोकने का आरोप लगाया है। इसके बाद भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि आप सरकार नौटंकी कर रही है। हालांकि, अब केंद्र ने बजट को मंजूरी दे दी है।

बजट पर दिल्ली में हुआ क्या है?

20 मार्च की शाम तक दिल्ली में हर ओर 21 मार्च को पेश होने वाले बजट को लेकर चर्चाएं हो रहीं थीं। आम दिल्लीवालों को भी इंतजार था कि आखिर इस बार बजट में उनके लिए क्या खास होगा। लेकिन सोमवार को रात 8.00 बजते-बजते सबकुछ बदल गया। खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 21 मार्च को बजट पेश नहीं होने के बारे में जानकारी दी।

केजरीवाल ने आरोप लगाया कि गृह मंत्रालय ने दिल्ली का बजट पेश होने से रोक दिया। केजरीवाल ने कहा कि वह मंगलवार को दिल्ली का बजट पेश नहीं कर पाएंगे क्योंकि केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी नहीं दी है। दरअसल, दिल्ली के बजट में कई ऐसे प्रावधान थे जिसे चिह्नित करते हुए गृह मंत्रालय ने उस पर जवाब मांगा था। इसी के बाद आप सरकार ने केंद्र पर आरोप लगाया कि वह दिल्ली का बजट पास नहीं होने दे रहे।

AAP का क्या आरोप है?

आम आदमी पार्टी ने का आरोप है कि एलजी विनय सक्सेना ने बजट को मंजूरी नहीं दी। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि जब गृह मंत्रालय ने बजट पर टिप्पणियां करके 17 मार्च को ही भेज दिया था तो आखिर दिल्ली के मुख्य सचिव और वित्त सचिव ने वो फाइल अपने पास तीन दिन तक क्यों रखी। बजट की इतनी जरूरी फाइल दिल्ली के दोनों सचिव अपने पास कैसे रख सकते हैं। 

स्वास्थ्य मंत्री ने सवाल किया कि वित्त सचिव और मुख्य सचिव किसके लिए काम कर रहे हैं। सौरव भरद्वाज ने यह भी कहा कि बजट बहुत पवित्र होता है और यह लोकतंत्र का एक बहुत बड़ा पर्व है। मुझे याद नहीं आता कि देश क्या पूरे विश्व में किसी राज्य का बजट पेश होने से रोक लिया जाए।

आरोपों के जवाब में क्या कहा गया?

आप के आरोपों पर दिल्ली राजनिवास से भी प्रतिक्रिया आई। एक स्पष्टीकरण में कहा गया कि एलजी ने 9 मार्च  को कुछ टिप्पणियों के साथ वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) 2023-2024 को मंजूरी दी और फाइल मुख्यमंत्री को भेजी। इसके बाद दिल्ली सरकार ने गृह मंत्रालय को एक पत्र भेजकर राष्ट्रपति (कानून द्वारा अनिवार्य) की मंजूरी मांगी। गृह मंत्रालय ने 17 मार्च को दिल्ली सरकार को अपनी टिप्पणियों से अवगत कराया। 

बजट 21 मार्च को पेश किया जाना था। उपराज्यपाल कार्यालय अभी मुख्यमंत्री की ओर से फाइल भेजे जाने का इंतजार कर रहा है। उपराज्यपाल कार्यालय का कहना है कि दिल्ली सरकर से रात 9.25 पर फाइल मिली और एलजी ने मंजूरी देते हुए कानूनन आगे की कार्रवाई के लिए 10.05 पर मुख्यमंत्री को भेज दिया।

किस वजह से आखिरी वक्त पर अटका बजट?

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने सूत्रों और समाचार पत्रों में छपी खबरों के हवाले से कहा कि उपराज्यपाल ने दिल्ली के बजट (Delhi Budget) पर दिल्ली सरकार से कुछ प्रश्न पूछे थे। उपराज्यपाल की सलाहों को मानना बाध्यकारी न होने के बाद भी अरविंद केजरीवाल सरकार ने उन प्रश्नों का समुचित जवाब नहीं दिया है। ये प्रश्न इस प्रकार हैं- 

1- उपराज्यपाल ने पूछा है कि दिल्ली में मूलभूत ढांचे के विकास पर किया जाने वाला खर्च पूरे बजट का केवल 20 प्रतिशत क्यों है? उन्होंने कहा कि सामान्य राज्यों में यह खर्च 40-50 प्रतिशत तक होता है।  

2- दिल्ली सरकार ने अपने प्रचार का खर्च 550 करोड़ रूपये क्यों किया है? पहले यह बजट 270 करोड़ रुपये तक होता था। क्या इस पैसे को अन्य लाभकारी योजनाओं पर खर्च नहीं किया जा सकता था?

3- दिल्ली जलबोर्ड और दिल्ली परिवहन निगम स्वायत्त संस्थाएं हैं। इसका अर्थ है कि ये अपना खर्च स्वयं निकालने के लिए अधिकृत हैं। ये संस्थाएं अपने लिए ज्यादा आय के साधन क्यों नहीं बना रही हैं और इन पर सब्सिडी के माध्यम से भारी धन क्यों खर्च किया जा रहा है?

4- दिल्ली सरकार अपने मंत्रियों के बंगलों और कारों पर ज्यादा धन खर्च क्यों कर रही है, क्या इस अतिरिक्त धन को जनता की कल्याणकारी योजनाओं पर नहीं खर्च किया जा सकता था?

5- केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना दिल्ली में क्यों लागू नहीं की जा रही है जिससे लोगों को 5 लाख रूपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा मिल सके?

दिल्ली का बजट पेश करने की प्रक्रिया क्या है?

दिल्ली सरकार बजट तैयार कर उपराज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजती है। इसके बाद एलजी इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय के जरिए राष्ट्रपति के पास भेजते हैं। दिल्ली विधानसभा में राष्ट्रपति की सहमति के बाद ही बजट पेश किया जाता है। अरविंद केजरीवाल ने सोमवार शाम कहा कि वह कल दिल्ली का बजट पेश नहीं कर पाएंगे क्योंकि केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी नहीं दी है। दरअसल, दिल्ली सरकार द्वारा तैयार और एलजी को भेजे गए बजट में एलजी ने 5 आपत्तियां दर्ज कर गृह मंत्रालय को भेजी थीं।

क्या कभी बजट स्थगित हुआ हुआ है?

ऐसे कोई उदाहरण नहीं मिलता जब किसी राज्य का बजट रोका गया हो। लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाले विपक्ष ने 2012 में उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान बजट का विरोध किया था, तो सरकार ने 28 फरवरी से 16 मार्च तक केंद्रीय बजट की प्रस्तुति को स्थगित कर दिया था।

विशेष रिपोर्ट-
अजीत राय ‘विश्वास’
चीफ एडवाइजर- ELE India News

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