अहमद पटेल के निधन से राजस्थान में कुछ ज्यादा बेचैनी, कौन संभालेगा असंतुष्टों को?

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कांग्रेस के ‘संकटमोचक’ कहे जाने वाले वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के निधन से वैसे तो पूरा कांग्रेस परिवार शोक में है लेकिन खासतौर से राजस्थान कांग्रेस में कुछ ज्यादा ही बेचैनी है। दरअसल राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व सचिन पायलट के बीच सियासी दुश्मनी से पैदा हुए बगावत को शांत करने की जिम्मेदारी अहमद पटेल के ही कंधों पर थी। 

करीब 4 महीने से कांग्रेस का असंतुष्ट गुट कमेटी के समक्ष अपनी सुनवाई का इंतजार कर रहा था लेकिन अब पटेल के निधन के बाद उनकी उम्मीद धराशाई हो गई है। अब इस बात की उम्मीद कम ही है कि यह कमेटी सियासी विवाद को किसी सम्मानजनक समाधान के अंजाम तक पहुंचाएगी। ऐसे में डर यह भी है कि कांग्रेस के असंतुष्ट खेमे में नाराजगी फिर बढ़ने न लग जाए।

सचिन पायलट की गहलोत सरकार से नाराजगी को दूर करने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने पटेल की अगुवाई में तीन सदस्यीय कॉर्डिनेशन कमेटी बनाई थी।  इसमें अहमद पटेल के अलावा कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल व राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन शामिल किए गए थे। 

गहलोत सरकार से पायलट की नाराजगी से शुरू हुए सियासी संकट को थामने के लिए अगस्त में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस कमेटी का गठन किया था। इसके गठन से यह संकेत दिए गए थे कि राजस्थान में सत्ता और संगठन के बड़े फैसले कमेटी के जरिए ही होंगे। खुद पायलट व उनके समर्थकों ने कई मौकों पर यह बयान दिए थे कि यह कमेटी उनकी सुनवाई जल्द करेगी। 

ऐसा माना जा रहा था कि कमेटी की सुनवाई पूरी होने के बाद पायलट व उनके समर्थकों की राजस्थान की सत्ता व संगठन में सम्मानजनक वापसी होगी। अब अहमद पटेल के निधन के बाद सारा मामला ठप पड़ गया है। दरअसल, राजस्थान में सियासी बगावत के बाद जब पायलट अपने समर्थकों के साथ दिल्ली जा बैठे थे, तब अहमद पटेल ही उन्हें मनाकर वापस लाए थे। यही नहीं पटेल के कहने पर ही पायलट की सुनवाई के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का ऐलान किया गया था।
 
सरकार बचाने वालों को भी दिया था मंत्री बनने का भरोसा
सचिन पायलट का साथ छोड़कर सरकार बचाने में मदद करने वाले कुछ विधायकों को भी अहमद पटेल ने अपने स्तर पर मंत्री बनने का भरोसा दिया था, लेकिन अब पटेल के जाने से ऐसे विधायकों की भी उम्मीद पर पानी फिर गया है। ऐसे विधायक अब किसके पास जाकर वादा पूरी करने के लिए अपनी बात कर पाएंगे।

कांग्रेस में विवाद से चार को हुआ राजनीतिक नुकसान
राजस्थान कांग्रेस में गहलोत-पायलट विवाद में कांग्रेस के चार नेताओं को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। सचिन पायलट को डिप्टी सीएम, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से हाथ धोना पड़ा, जबकि विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को कैबिनेट मंत्री का पद गंवाना पड़ा है। इसके अलावा कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे को राजस्थान जैसे महत्वपूर्ण राज्य से रवानगी हो गई। इसके बाद पांडे बिहार विधानसभा चुनाव में गए, जहां कांग्रेस की स्थिति पहले से भी ज्यादा खराब हो गई।

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