अर्थव्यवस्था को राहत पहुंचाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किए आज कई ऐलान

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कोविड- 19 की दूसरी लहर से प्रभावित अर्थव्यवस्था में स्वास्थ्य, एमएसएमई, पर्यटन, निर्यात क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों को सहारा देने के लिये कुल मिलाकर 6,28,993 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की। संगठित क्षेत्र में नई भर्तियों के प्रोत्साहन के लिये पिछले साल अक्टूबर में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना की समयसीमा को मार्च 2022 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इसके तहत सरकार कर्मचारी भविष्य निधि के अंशदान में मदद करती है।
     
वित्त मंत्री ने कोविड महामारी से दबाव में आये स्वास्थ्य ढांचा सहित अन्य क्षेत्रों के लिये एक लाख 10 हजार करोड़ रुपये की रिण गारंटी योजना की घोषणा की। वहीं पिछले साल मई में आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत घोषित की गई आपात रिण गारंटी योजना का आकार 1.50 लाख करोड़ रुपये बढ़ाकर 4.50 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। इस योजना के तहत गारंटी और रिण सीमा को मौजूदा बकाये के 20 प्रतिशत के स्तर से आगे बढ़ाने का भी प्रस्ताव है।  

वित्त मंत्री ने अर्थव्यवस्था के पुनरूत्थान के लिये इस नये प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा ऐसे समय की है जब इस वित्त वर्ष की शुरुआत में अप्रैल और मई माह के दौरान कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने आम आदमी के साथ साथ अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को झकझोर कर रख दिया है। इस दौरान खासतौर से चिकित्सा सुविधाओं का अभाव, आक्सीजन की कमी और दवाओं की उपलब्धता को लेकर समस्यायें सामने आईं। 
     
यही वजह है कि वित्त मंत्री ने नये प्रोत्साहन पैकेज में स्वास्थ्य क्षेत्र में मौजूदा परियोजनाओं को पूरा करने और नई परियोजनाओं को विकसित करने के लिये 50,000 करोड़ रुपये की रिण गारंटी योजना की घोषणा की है। इस योजना में मुख्य तौर पर कम सुविधाओं वाले और पिछड़े जिलों में स्वास्थ्य ढांचे के विकास को प्रोत्साहित किया गया है। इसमें अधिकतम 100 करोड़ रुपये तक का कर्ज होगा और तीन साल की गारंटी अवधि होगी। यह कर्ज 7.95 प्रतिशत की ब्याज दर पर दिया जायेगा। वहीं स्वास्थ्य क्षेत्र के अलावा अन्य क्षेत्रों के लिये 60,000 करोड़ रुपये की रिण गारंटी दी जायेगी जिसमें 8.25 प्रतिशत की ब्याज दर पर रिण उपलब्ध होगा। 
     
वित्त मंत्री ने सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में बच्चों और बाल चिकित्सा, चिकित्सा बिस्तरों के साथ अल्पकालिक आपात तैयारियों पर केन्द्रित नई योजना के तहत एक साल के लिये 23,220 करोड़ रुपये की घोषणा की है। इसमें केन्द्र सरकार का हिस्सा 15,000 करोड़ रुपये का होगा। इसके तहत चिकित्सा, नर्सिंग छात्रों के जरिये चिकित्सा क्षेत्र में मानव संसाधन बढ़ाने, उप-जिला, जिला, केन्द्रीय स्तर पर आईसीयू बिस्तरों और आक्सीजन आपूर्ति बढ़ाने पर जोर दिया जायेगा। 
     
वित्त मंत्री ने बताया कि आपात रिण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) में अब तक 1.1 करोड़ इकाइयों को 2.69 लाख करोड़ रुपये का कर्ज वितरित किया जा चुका है। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों, 25 निजी क्षेत्र के बैंकों और 31 गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों ने कर्ज उपलब्ध कराया है। योजना के तहत अब कुल रिण गारंटी सीमा को मौजूदा तीन लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 4.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। 
     
वित्त मंत्री ने छोटे कर्ज के लिये सूक्ष्म वित्त संस्थानों के जरिये प्रति लेनदार 1.25 लाख रुपये तक के कर्ज के लिये बैंकों को रिण गारंटी देने की घोषणा की है। इस योजना के तहत 25 लाख छोटे ग्राहकों को कर्ज उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिये सरकार ने बैंकों से कर्ज की सीमांत लागत (एमसीएलआर) दर से दो प्रतिशत अधिक की ब्याज दर तय की है। योजना के तहत बैंक एनबीएफसी और सूक्ष्म वित्त संस्थानों को कर्ज उपलब्ध करायेंगे जिसे आगे छोटे लेनदारों को दिया जायेगा। योजना पर चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकारी खजाने से 7,500 करोड रुपये खर्च होने का अनुमान है। 
     
सीतारमण ने पर्यटन में 11 हजार से अधिक पंजीकृत पर्यटक गाइडों, ट्रैवल और पर्यटन क्षेत्र से जुड़ी इकाइयों के लिये वित्तीय समर्थन की घोषणा की है। ट्रैवल और टूरिज्म स्टेकहोल्डर्स (टीटीएस) के लिये दस लाख रुपये तक के कर्ज पर शत प्रतिशत गारंटी दी जायेगी जबकि कि लाइसेंस धारी यात्री गाइडों को एक लाख रुपये तक के कर्ज पर सरकार गारंटी देगी। योजना को पर्यटन मंत्रालय द्वारा संचालित किया जायेगा। वहीं वित्त मंत्री ने पर्यटन क्षेत्र के प्रोत्साहन के वास्ते पाबंदियां समाप्त होने के बाद शुरू में दिये जाने वाले पांच लाख वीजा बिना शुल्क जारी करने की घोषणा की है। निशुल्क वीजा से सरकारी खजाने पर 100 करोड़ रुपये का बोझ पड़ने का अनुमान है। 
     
रोजगार के मोर्चे पर उद्योगों को नये रोजगार सृजन के लिये शुरू की गई आत्मनिीार्र भारत रोजगार योजना के तहत दिये जाने वाले लाभ अब 31 मार्च 2022 तक उपलब्ध होंगे। योजना के तहत 1,000 तक कर्मचारी वाले प्रतिष्ठानों में नये कर्मचारी को रोजगार देने पर उनके भविष्य निधि में नियोक्ता और कम्रचारी दोनों की ओर से वेतन के कुल मिला कर 24 प्रतिशत भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है। वहीं एक हजार से अधिक कर्मचारी वाली कंपनियों में कर्मचारी के 12 प्रतिशत का योगदान सरकार द्वारा किया जायेगा। इस योजना के तहत 18 जून 2021 तक 79,577 प्रतिष्ठानों में 21.42 लाख लाभार्थियों को 902 करोड़ रुपये का लाभ उपलब्ध कराया जा चुका है। 
    
 कृषि क्षेत्र में सरकार ने किसानों को उर्वरकों की सस्ते दाम पर उपलब्धता बनाये रखने के लिये इस साल के बजट में आवंटित 42,275 करोड़ रुपये के ऊपर 14,775 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराने की घोषणा की है। इसमें डाय-अमोनियम फास्फेट (डीएपी) के लिये 9,125 करोड़ रुपये और एनपीके के लिये 5,650 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी शामिल है। कोरोना काल में जब कई लोगों का रोजगार छिन गया सरकार ने उन्हें मुफ्त अनाज उपलब्ध कराने के लिये प्रधानमंत्री गरीब कलयाण अन्न योजना की घोषणा की है। ये योजना पिछले साल 26 मार्च को शुरू की गई थी। इसके तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के लाभार्थियों को पांच किलो अतिरिक्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया। पिछले साल योजना को नवंबर 2020 तक लागू रखा गया था। इस साल भी कोरोना की दूसरी लहर के मद्देनजर इसे मई से शुरू कर नवंबर तक लागू रखने का फैसला किया गया है। मुफ्त खाद्यान्न वितरण पर इस साल 93,869 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है जबकि पिछले साल और इस साल योजना से कुल मिलाकर 2,27,841 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ सरकार पर पड़ेगा। 
     
वित्त मंत्री ने राष्ट्रीय निर्यात बीमा खाता (एनईआईए) के तहत परियोजना निर्यात को बढ़ावा देने के लिये 33,000 करोड़ रुपये की गारंटी योजना की घोषणा की हे। इसके तहत एनईआईए अगले पांच साल के दौरान अतिरिक्त 33,000 करोड़ रुपये के परियोजना निर्यात की गारंटी दे सकेगी। इसके साथ ही निर्यात बीमा कवर देने के लिये निर्यात रिण गारंटी निगम (ईसीजीसी) में पांच साल के दौरान इक्विटी डालने का प्रसताव है जिससे निर्यात बीमा कवर में 88,000 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। 
     
देश में प्रत्येक ग्राम सभा को भारत नेट के जरिये ब्रांडबैंड सुविधा से जोड़ने के लिये सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर काम किया जायेगा। इस योजना पर 2021- 22 से लेकर 2022- 23 तक 19,041 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। वित्त मंत्री ने इसके साथ ही बड़े स्तर के इलेक्ट्रानिक विनिर्माण के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन की अवधि का भी विसतार किया है।

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