जब से अडाणी समूह को लेकर हिंडनबर्ग का सर्वेक्षण आया है, विपक्ष के निशाने पर सरकार आ गई है। विपक्षी दलों की मांग है कि इस मामले में सरकार जवाब दे। इस हंगामे के चलते संसद का बजट सत्र बार-बार स्थगित करना पड़ा। कामकाज बाधित रहे। हालांकि अडाणी समूह इस मामले में लगातार सफाई देने और अपनी स्थिति सुधारने में जुटा हुआ है, मगर शेयर बाजार में उसकी कंपनियों के शेयर लगातार नीचे की तरफ रुख किए हुए हैं।
जब से अडाणी समूह को लेकर हिंडनबर्ग का सर्वेक्षण आया है, विपक्ष के निशाने पर सरकार आ गई है। विपक्षी दलों की मांग है कि इस मामले में सरकार जवाब दे। इस हंगामे के चलते संसद का बजट सत्र बार-बार स्थगित करना पड़ा। कामकाज बाधित रहे। हालांकि अडाणी समूह इस मामले में लगातार सफाई देने और अपनी स्थिति सुधारने में जुटा हुआ है, मगर शेयर बाजार में उसकी कंपनियों के शेयर लगातार नीचे की तरफ रुख किए हुए हैं।
“अडानी सबको लेकर डूब गए हैं…इस मामले में सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है”
अडानी मामले को लेकर सरकार पर बरसीं कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत#Adani #AdaniEnterprises #Congress pic.twitter.com/phFmIAdDSP
— News24 (@news24tvchannel) February 3, 2023
दुनिया के तीसरे नंबर के सबसे अमीर उद्यमी के पायदान से खिसक कर अडाणी शीर्ष बीस की सूची से भी नीचे चले गए हैं। ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर तरह-तरह की चिंताएं जताई जाने लगी हैं। सबसे अधिक भ्रम आम निवेशकों में फैला हुआ है, जिन्होंने विभिन्न सरकारी संस्थानों में पैसे निवेश किए हैं।
इसलिए कि अडाणी की कंपनियों में सबसे अधिक पैसा सरकारी बैंकों और भारतीय जीवन बीमा निगम जैसे संस्थानों का लगा हुआ है। हिंडनबर्ग का कहना है कि अडाणी समूह ने धोखाधड़ी करके अपनी कंपनियों के लिए सरकारी बैंकों से कर्ज लिया है और उनके शेयरों की कीमतें गलत ढंग से बढ़ा-चढ़ा कर पेश की गई हैं, जबकि वास्तव में उनका मूल्य काफी कम है।
विपक्ष इसलिए सरकार पर हमलावर है कि उसका कहना है कि सरकार की सहमति से ही अडाणी समूह की कंपनियों को कर्ज दिए गए हैं। फिर यह कि जिन बैंकों ने कर्ज दिया, उन्होंने अडाणी समूह की कंपनियों की वास्तविक हैसियत का मूल्यांकन किए बिना आंख मूंद कर इतनी भारी रकम कैसे उनमें लगा दी। जीवन बीमा निगम ने भी किस आधार पर इतने बड़े पैमाने पर उसके शेयर खरीद लिए। फिर सवाल यह भी उठ रहा है कि प्रतिभूति बाजार में हुई गड़बड़ियों पर नजर रखने की जिम्मेदारी सेबी की है, वह कैसे और क्यों अपनी आंखें बंद किए बैठा रहा।
शायद वित्तमंत्री जी, लहसुन-प्याज़ न खाने की तर्ज़ पर अपनी कमाई के पैसे भी #SBI #LIC में जमा नहीं करतीं !
इसीलिए जनता की जमा पूंजी पर लगातार खतरे के बावजूद कह रही हैं- “घबराने की जरूरत नहीं है..”
डरी-घबराई हुई तो सरकार है,
संसद में चर्चा से भाग रही हैं !मोदी जी, चुप्पी तोड़िए! https://t.co/IxNTPxvfnU
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) February 4, 2023
अब भी जब अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखी जा रही है, वह चुप्पी क्यों साधे हुए है। रिजर्व बैंक ने जरूर उन बैंकों से स्थिति रपट मांगी है, जिन्होंने अडाणी समूह की कंपनियों को कर्ज दिया है। मगर बहुत सारे लोगों को इस कार्रवाई पर भरोसा इसलिए नहीं हो रहा कि सरकार ने भी अभी तक चुप्पी साध रखी है।
हालांकि शेयर बाजार में उथल-पुथल का असर कंपनियों की पूंजी और साख पर पड़ता है और इस बाजार के सटोरिए ऐसा खेल करते रहते हैं। मगर अडाणी समूह के शेयरों की गिरती कीमतों का मामला केवल इतना भर नहीं है। इसमें सरकार पर भी अंगुलियां उठ रही हैं कि उसी की सहमति से बैंकों ने नियम-कायदों को ताक पर रख कर कर्ज दिया।
“विपक्ष के पास चर्चा के लिए कोई मुद्दा नहीं है”
◆ केंद्रीय मंत्री @JoshiPralhad का बयान pic.twitter.com/2St8RJNXYH
— News24 (@news24tvchannel) February 3, 2023
अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें गिरने से उन निवेशकों की धड़कनें बढ़ गई हैं, जिन्होंने इनमें काफी पूंजी लगा रखी है। उन्हें चिंता है कि उनकी पूंजी कभी लौट भी पाएगी या नहीं। हालांकि अडाणी खुद निवेशकों को भरोसा दिला रहे हैं कि उनकी साख कमजोर नहीं हुई है और उनके खिलाफ साजिश रची गई है।
मगर भ्रम और आशंकाओं के बादल छंट नहीं रहे। ऐसे में सरकार से चुप्पी तोड़ कर इस मामले में सीधा और व्यावहारिक हस्तक्षेप की अपेक्षा की जाती है। निवेशकों का भरोसा कायम रहना बहुत जरूरी है। फिर, इस मामले में चूंकि सरकार की साख भी दांव पर लगी है, इसलिए उसे निष्पक्षता का परिचय देना ही चाहिए। सरकार जितनी देर चुप्पी साधे रहेगी, विपक्ष को उसे घेरने का मौका मिलता रहेगा।