सुप्रीम कोर्ट ने अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में एक्सपर्ट्स के नाम सीलबंद लिफाफे में लेने से इनकार कर दिया है। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट के कहने पर सरकार एक्सपर्ट कमेटी बनाने को तैयार हो गई थी। उस समय सरकार ने एक्सपर्ट्स के नाम सीलबंद लिफाफे में देने की पेशकश की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह ट्रांसपेरेंसी चाहता है। लिहाजा केंद्र का सुझाव नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा- आपने जो नाम सौंपे हैं, वह दूसरे पक्ष को नहीं दिए गए तो पारदर्शिता की कमी होगी। इसलिए हम अपनी तरफ से कमेटी बनाएंगे। उन्होंने कहा कि हम आदेश सुरक्षित रख रहे हैं। कमेटी यह देखेगी कि स्टॉक मार्केट के रेगुलेटरी मैकेनिज्म में फेरबदल की जरूरत है या नहीं।
हिंडनबर्ग मामले में समिति का गठन करेगा सुप्रीम कोर्ट#Adani | #HindenburgReport pic.twitter.com/7XTTnFn3BQ
— News24 (@news24tvchannel) February 17, 2023
अडाणी-हिंडनबर्ग केस में SC पहुंचीं 4 याचिकाएं
इस मामले में अभी तक 4 जनहित याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। एडवोकेट एम एल शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सोशल वर्कर मुकेश कुमार ने ये याचिकाएं दायर की हैं। मामले में पहली सुनवाई चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने 10 फरवरी को की थी। दूसरी सुनवाई सोमवार 13 फरवरी को हुई।
याचिकाओं में FIR दर्ज करने और जांच की मांग
- मनोहर लाल शर्मा ने याचिका में SEBI और केंद्रीय गृह मंत्रालय को हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने और FIR करने के लिए निर्देश देने की मांग की है।
- विशाल तिवारी ने SC के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी बनाकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच की मांग की। तिवारी ने अपनी याचिका में लोगों के उन हालातों के बारे में बताया जब शेयर प्राइस नीचे गिर जाते हैं।
- जया ठाकुर ने इस मामले में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की भूमिका पर संदेह जताया है। उन्होंने LIC और SBI की अडाणी एंटरप्राइजेज में भारी मात्रा में सार्वजनिक धन के निवेश की भूमिका की जांच की मांग की है।
- मुकेश कुमार ने अपनी याचिका में SEBI, ED, आयकर विभाग, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस से जांच के निर्देश देने की मांग की है। मुकेश कुमार ने अपने वकीलों रूपेश सिंह भदौरिया और महेश प्रवीर सहाय के जरिए ये याचिका दाखिल कराई है।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से निवेशकों को नुकसान
याचिकाओं में दावा किया गया है कि हिंडनबर्ग ने शेयरों को शॉर्ट सेल किया जिससे ‘निवेशकों को भारी नुकसान’ हुआ। इसमें ये भी कहा गया है कि रिपोर्ट ने देश की छवि को धूमिल किया है। यह अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है। इसके साथ ही रिपोर्ट पर मीडिया प्रचार ने बाजारों को प्रभावित किया और हिंडनबर्ग के फाउंडर नाथन एंडरसन भी भारतीय नियामक सेबी को अपने दावों का प्रमाण देने में विफल रहे।
कोर्ट ने पूछा ये शॉर्ट सेलिंग क्या है?
- याचिका दायर करने वाली एडवोकेट शर्मा ने कहा- मुझे शॉर्ट सेलिंग को लेकर चिंता है।
- CJI ने एडवोकेट से कहा- आप हमें बताइए कि शॉर्ट सेलर और शॉर्ट सेलिंग क्या है?
- शर्मा ने बताया कि पहले शेयरों को बेचा जाता है, फिर औने पौने दामों में खरीदा जाता है।
- कोर्ट ने शर्मा की बात को गंभीरता से नहीं लिया, फिर प्रशांत भूषण ने तकनीकी बातें बताई।
- भूषण ने कहा- अडाणी ग्रुप की कंपनियों में 75% से ज्यादा शेयर ग्रुप के प्रमोटर्स के पास थे।
- हमारी याचिका में ये अपील है कि मामले की जांच विशेष समिति यानी SIT से कराई जाए।
हिंडनबर्ग ने शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए
24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। रिपोर्ट में ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए गए थे। रिपोर्ट के बाद ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। 3 फरवरी को अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 1000 रुपए के करीब पहुंच गया था।
विशेष रिपोर्ट-
सुरेन्द्र कुमार
‘एक्सपर्ट एडवाइजर’ -ELE India News