“सरकार कानून वापस न लेने की मजबूरी तो बता दे, हम उसका सिर झुकने नहीं देंगे..” राकेश टिकैत

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भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केन्द्र सरकार से कहा कि वह खुद किसानों को बताए कि कृषि कानूनों को वापस क्यों नहीं लेना चाहती। उन्होंने आगे कहा कि हम वादा करते हैं कि सरकार का सिर दुनिया के सामने झुकने नहीं देंगे।

ट्रैक्टर परेड में हिंसा के कारण किसान आंदोलन के कमजोर पड़ने के बाद एक बार फिर जोर पकड़ने के बीच टिकैत ने सरकार से कहा कि सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है कि जो वह नए कृषि कानूनों को निरस्त नहीं करने पर अड़ी हुई है?

उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को अपनी बात बता सकती है। हम (किसान) ऐसे लोग हैं जो पंचायती राज में विश्वास करते हैं। हम कभी भी दुनिया के सामने सरकार का सिर शर्म से नहीं झुकने देंगे।

टिकैत ने कहा सरकार के साथ हमारी विचारधारा की लड़ाई है और यह लड़ाई लाठी/डंडों, बंदूक से नहीं लड़ी जा सकती और ना ही उसके द्वारा इसे दबाया जा सकता है। किसान तभी घर लौटेंगे जब नए कानून वापस ले लिए जाएंगे।

यह किसान की पगड़ी और गरीब की रोटी की लड़ाई है : टिकैत
इससे पहले पुण्यतिथि पर अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद करते हुए भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने यूपी गेट पर कहा कि यह आंदोलन शांतिपूर्ण था और आगे भी शांति व अहिंसा के साथ चलेगा। 66 दिनों में किसान आंदोलन में कोई भी गड़बड़ी नहीं हुई। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संकेत कर कहा है कि दोबारा बातचीत होगी और उसी से समाधान निकलेगा। यदि बातचीत से सहमति नहीं बनी थी तो उसका मतलब यह नहीं कि कानून जबरदस्ती मान लिया जाए। यह किसानों की पगड़ी और गरीबों की रोटी की लड़ाई है। 

अगर कोई किसानों की पगड़ी पर हाथ डालेगा तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस बीच उन्होंने मंच और आंदोलन स्थल पर जगह-जगह घूमकर किसानों से बातचीत की। राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन को समर्थन देने के लिए लोग पानी भी साथ ला रहे हैं, यह उनकी भावनाएं हैं। 

हमने पहले भी झंडे मांगे थे तो हमें दो लाख झंडे मिले थे। पानी से जीवन का रिश्ता है, हमारे शरीर में 70 प्रतिशत पानी है तो आंदोलन में भी पानी की उतनी जरूरत है, जितनी लोगों को भोजन की। लोग पानी लेकर आ रहे हैं। अब वह इस आंदोलन को टूटने नहीं देंगे। 

28 जनवरी की रात पुलिस फोर्स की सख्ती के बारे में उन्होंने कहा कि मैंने संविधान का उल्लंघन होते देखा था। यह आंदोलन किसानों की पगड़ी और गरीब की रोटी की लड़ाई है। यदि कोई पगड़ी पर हाथ डालेगा तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राकेश टिकैत ने फिर यह बात दोहराई की कि बातचीत से ही इसका हल निकलेगा, भले सरकार डेढ़ साल बाद ही बात करे।

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