‘वेतन और पेंशन पाना कर्मचारियों का मौलिक अधिकार’- दिल्ली हाईकोर्ट

0
130

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पिल्लई की पीठ ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम की याचिका खारिज कर दी। इस याचिका में सभी सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के बकाया भुगतान के लिए समय सीमा को पांच अप्रैल से बढ़ाकर 30 अप्रैल करने का अनुरोध किया गया था।

पीठ ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा, ‘वेतन और पेंशन पाना कर्मचारियों का मौलिक अधिकार है। वेतन और पेंशन पाना संविधान के अंतर्गत जीवन और आजादी के अधिकार के तहत आता है। इसलिए हम ऐसा कोई आदेश जारी नहीं करना चाहते जिससे कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन हो।’

उच्च न्यायालय ने कहा कि धन उपलब्ध नहीं होना, वेतन और पेंशन समय पर नहीं देने का आधार नहीं हो सकता। पीठ ने फैसले में कहा, ‘उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने कर्मचारियों को अपनी सेवाएं देने के लिए नियुक्त किया है। यह नगर निगम पर है कि वह अपने कर्मचारियों को भुगतान का रास्ता तलाश करे।’

निगम की ओर से पेश अधिवक्ता दिव्य प्रकाश पांडे ने इस आधार पर बकाया भुगतान का समय बढ़ाने का अनुरोध किया कि उसे दिल्ली सरकार से बेसिक टैक्स असाइनमेंट (बीटीए) का पूरा भुगतान नहीं हुआ है। निगम के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने रकम का भुगतान किया लेकिन इसमें कुछ कटौती की गई।

उधर, दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने कहा कि यह इकलौती सरकार है जिसे नगर निगमों को भुगतान करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से रकम नहीं मिलती और और उन्हें खुद ही इसके लिए रकम की व्यवस्था करनी पड़ती है। अदालत मामले पर अब 27 अप्रैल को सुनवाई करेगी।

पीठ ने कोष की कमी का मुद्दा उठाने और अखबारों में रोज पूरे पन्ने के नेताओं के विज्ञापन दिए जाने को लेकर भी सवाल उठाया। पीठ ने कहा, ‘धन कहां से आ रहा है। इस समय प्रचार पर पैसे खर्च किए जा रहे हैं। क्या यह अपराध नहीं है। इन कर्मचारियों को वेतन का भुगतान कर देने से आपकी ख्याति और बढ़ेगी।’

अदालत ने नौ मार्च को दिल्ली के तीनों नगर निगमों (पूर्वी, उत्तरी और दक्षिणी) से पांच अप्रैल के पहले सभी श्रेणियों के मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों के वेतन व पेंशन का बकाया भुगतान करने को कहा था। तीनों निगमों के आयुक्त इस निर्देश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए निजी तौर पर जिम्मेदार होंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here