महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में इन दिनों भारी बाढ़ से जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। जबकि कोरोना की मार ये राज्य पहले से ही झेल रहा है। इस बीच विधानसभा के अध्यक्ष नाना पटोले ने लगातार बाढ़ग्रस्त क्षेत्र का दौरा किया है। संवैधानिक पद पर होते हुए भी उनकी राजनीतिक सक्रियता या यूँ कहें कि जनता से जुड़ाव कम नहीं हुआ है। वो हवाई दौरे की बजाय न केवल बाढ़ के बीच घिरे गाँवों में पहुँचे, बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों को तत्काल राहत और बचाव कार्य के निर्देश भी दिए हैं। नाँव के ज़रिए गाँव गाँव जाकर बाढ़ प्रभावित लोगों का हाल चाल लेने और मदद मुहैया कराने का काम लगातार कर रहे हैं। जहां इस क्षेत्र से आने वाले कई बड़े नेता इस मुश्किल वक्त में नदारद हैं ऐसे में नाना पटोले का बाढ़ पीड़ित लोगों के बीच मौजूद होना चर्चा का विषय बना हुआ है। इस पर तमाम तरीके की आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति भी हो रही है, संभवत भाजपा के कुछ बड़े नेताओं को उनकी यह सक्रियता रास नहीं आ रही लेकिन क्षेत्र की जनता और पटोले समर्थक उनके कार्यों को लेकर ख़ासा उत्साहित हैं। इसी को लेकर कल सोशल मीडिया में #NanaPatoleOnGround टॉप फाइव में ट्रेंड हुआ है।
आपको बता दें कि विदर्भ क्षेत्र पूरे महाराष्ट्र में एक प्रमुख राजनीतिक केंद्र है और विदर्भ का सबसे बड़ा शहर नागपुर महाराष्ट्र की उपराजधानी है। महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र नागपुर में ही होता है। महाराष्ट्र विधानसभा की कुल 288 विधानसभा सीटों में से 62 केवल विदर्भ में ही हैं। भारत के लगभग दस राज्य के कुल विधानसभा क्षेत्रों की संख्या विदर्भ से कम है। भाजपा की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी इसी क्षेत्र से जुड़े हैं, वहीं RSS का मुख्यालय नागपुर में होने के कारण भाजपा यहाँ पैठ बनाने में जुटी रहती है। वैसे विदर्भ पर हमेशा से कांग्रेस का प्रभाव रहा है और इस क्षेत्र से आने वाले नाना पटोले कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता हैं जो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के भी क़रीबी हैं।
महाराष्ट्र में जब सरकार गठन किया जा रहा था, तब कांग्रेस के हिस्से में सबसे बड़ी जिम्मेदारी के रूप में विधानसभा अध्यक्ष का पद ही हासिल हुआ था और शीर्ष नेतृत्व ने इसके लिए कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेताओं को दरकिनार करके नाना पटोले पर भरोसा जताया। नाना पटोले हमेशा जनता से अपने जुड़ाव और संघर्षशील व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं। भंडारा-गोंदिया से भाजपा का सांसद होते हुए भी उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने ही किसानों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए इस्तीफ़ा दे दिया था। इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें ‘किसान कांग्रेस’ का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी थी। उनकी गिनती राहुल गांधी के करीबी नेताओं में होती है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने भाजपा की पूर्व सरकार के ख़िलाफ़ ‘महा पर्दाफाश अभियान’ की शुरुआत की थी।
जनता के साथ उनका सीधा जुड़ाव और लाभ हानि से परे हमेशा जनता के मुद्दों के लिए संघर्ष करना उन्हें दूसरे नेताओं से अलग बनाता है। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं उनके विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र साकोली में चुनाव प्रचार के लिए आए। इसके बावजूद नाना पटोले न केवल चुनाव जीते बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में कांग्रेस का भविष्य और एक मजबूत चेहरा बन कर उभरे हैं। काफी समय से उन्हें महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाए जाने की भी चर्चाएं हो रही हैं। दरअसल उनकी छवि हमेशा एक तेज तर्रार और जुझारू नेता की रही है। इसलिए कांग्रेस के कार्यकर्ता और उनके समर्थक उन्हें सक्रिय राजनीति में देखना चाहते हैं। खासतौर से यदि महाराष्ट्र में कांग्रेस को भाजपा के ख़िलाफ़ जनाधार तैयार करना है और अन्य पार्टियों की तुलना में एक बेहतर विकल्प बनना है तो इस मामले में नाना पटोले, पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने से लेकर मजबूत नेतृत्व देने तक हर तरीके से मजबूत चेहरा हैं।