मध्य प्रदेश में ‘पुरानी भाजपा’ के असंतुष्टों को साधने में जुटी कांग्रेस !

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मध्य प्रदेश में इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव की भाजपा-कांग्रेस दोनों ने तैयारी तेज कर दी है। भाजपा नाराज और असंतुष्ट नेताओं व कार्यकर्ताओं से परेशान है। वहीं, कांग्रेस के पास ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं के क्षेत्र में संगठन नहीं है। ऐसे में कांग्रेस अब ‘नई भाजपा’ को टक्कर देने के लिए उस क्षेत्र की ‘पुरानी भाजपा’ को साधने की रणनीति पर काम कर रही है। इसमें अधिकतर ग्वालियर-चंबल की सीटें हैं और ये केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ है। यहां महल की राजनीति का सीधा असर होगा, लेकिन कांग्रेस ने इसमें सेंध लगाने का कांग्रेस ने जिम्मा राघौगढ़ के युवराज जयवर्धन सिंह को सौंपा है।

2018 में कांग्रेस की सीट पर जीते विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके कारण कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई थी। फिर भाजपा ने सरकार बना ली थी। इन सीटों पर हुए उपचुनाव में अधिकतर भाजपा में शामिल हुए नेताओं ने दोबारा जीत दर्ज की। इनमें से अधिकतर शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। इन नेताओं के भाजपा में शामिल होने के बाद उन क्षेत्रों में कांग्रेस का संगठन पूरी तरह खत्म ही हो गया।

कांग्रेस को नहीं मिल रहे उम्मीदवार
अब कांग्रेस को 2023 के चुनाव के लिए ग्वालियर चंबल की सीटों पर भाजपा को टक्कर देने के लिए उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं। वहीं, कांग्रेस से आए नए नेताओं के कारण भाजपा के पुराने नेता नाराज हैं। कई जगह यह बात खुलकर सामने आ रही है तो कुछ जगह अभी नेता अपनी उपेक्षा को लेकर शांत बैठे हैं। यह बात हाल ही में भाजपा के 14 नेताओं की रिपोर्ट में भी सामने आई। इसके बाद भाजपा ने उनकी नाराजगी दूर करने के लिए सांसद-विधायक से लेकर जिला पदाधिकारियों को लगा दिया है।

कांगेस इस रणनीति पर कर रही काम
कांग्रेस को भाजपा में जाने के बाद उन सीटों पर जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस 2023 के चुनाव में भाजपा के नाराज नेताओं को टिकट दे सकती है। जिनका क्षेत्र में जनाधार है। सीधे सीधे नाराज भाजपा से नई भाजपा को लड़ाने की रणनीति पर कांग्रेस काम कर रही है।

 इन सीटों पर भाजपा के असंतुष्टों की तलाश
अशोकनगर की मुंगावली सीट पर बृजेंद्र सिंह यादव के जाने के बाद कांग्रेस खाली है। यहां पर भाजपा से तीन बार विधायक रहे देशराज सिंह यादव विधायक रहे हैं। हाल ही में देशराज के बेटे यादवेंद्र यादव ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की है। ऐसे में उनका मुंगावली से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। इस तरह पार्टी
ग्वालियर शहर, सांची, सुरखी, सांवेर, बमोरी, बदनावर, सुवासरा, अनूपपुर, अंबाह, पोहरी, अशोक नगर समेत अन्य सीटों पर कांग्रेस भाजपा के असंतुष्ट और नाराज को ढूंढ रही है।
 
दिग्विजय सिंह सीधे दे रहे महाराज को चुनौती

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह हारी सीटों पर कांग्रेस संगठन को एकजुट करने के लिए लगातार दौरे कर रहे हैं। इस दौरान दिग्विजय सिंह सीधे महाराज यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हमले कर रहे हैं।
 
जयवर्धन सिंह बना रहे अपनी पैठ

उधर, ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद दिग्विजय सिंह के बेटे और पूर्व मंत्री व वर्तमान विधायक जयवर्धन सिंह ग्वालियर-चंबल इलाके में सक्रिय हैं। वे लगातार अपनी पैठ बना रहे हैं। बता दें, आजादी के पूर्व ग्वालियर रियासत में अलग-अलग क्षेत्रों के राजा होते थे। उनको जगीरदार कहा जाता था। राघौगढ़ में दिग्विजय सिंह का घराना इसी रियासत का एक हिस्सा था और सिंधिया परिवार के अधीन ही था। इन दोनों परिवारों के बीच लंबी सियासी अदावत है।

विशेष रिपोर्ट-

प्रकाश बारोड़
‘सह-संस्थापक’
एवं ‘स्टेट ब्यूरो चीफ’- मध्य प्रदेश

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