मध्य प्रदेश- जब चुनाव की नजदीक आई मियाद, पार्टियों ने कार्यकर्ताओं को किया याद !

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मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस हर संभव प्रयास कर रही है। अब कांग्रेस भी भाजपा की तरह ही अपने 16 नेताओं को अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी सौंप कर जिला स्तर पर पार्टी के कार्यकर्ताओं की गुटबाजी को खत्म करने, समन्वय बनाने और जमीनी फीडबैक लेने की जिम्मेदारी सौंपने जा रही है। कांग्रेस की राजनीतिक मामलों की कमेटी की बैठक में नेताओं को जिम्मेदारी सौंपने का फैसला किया गया। ये नेता पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की तरह की अलग-अलग जिलों का दौरा करेंगे और रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस कमेटी को सौंपेंगे।

प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब 6 माह का समय बचा है। इसके पहले कांग्रेस कार्यकर्ताओं का सक्रिय कर चुनावी अभियान को तेज करना चाहती है। इससे पहले कांग्रेस जिलों में नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी, गुटबाजी को खत्म करना और संगठन के जमीनी स्तर तक का फीडबैक लेना चाहती है। इसके लिए कांग्रेस के 16 वरिष्ठ नेताओं को तीन-चार जिलों की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। ये नेता जिलों में प्रवास करके कार्यकर्ताओं से बातचीत के आधार पर संगठन की स्थिति, कार्यकर्ताओं की नाराजगी और वचन पत्र के लिए सुझाव आदि पर चर्चा करेंगे। संबंधित जिले के प्रभारी नेता जिला स्तर पर कार्यकर्ताओं में आपसी समन्वय बनाने का काम करेंगे। उनके बीच मनमुटाव को दूर करेंगे। आगामी चुनाव के लिए संभावित जिताऊ उम्मीदवारों का पैनल बनाकर जिले की रिपोर्ट पीसीसी को सौंपेंगे। हालांकि, प्रदेश कांग्रेस ने 16 नेताओं की संभावित सूची तैयार कर ली है, लेकिन इसे औपचारिक रूप से जारी नहीं किया है। कुछ नेताओं ने अपने प्रभार वाले जिलों में बदलाव का भी आग्रह किया है। इसलिए फाइनल सूची में फेरबदल संभव है।

भाजपा ने 14 नेताओं को भेजा था

बता दें, इससे पहले भाजपा ने 14 नेताओं को असंतुष्ट और नाराज कार्यकर्ताओं और जमीनी फीडबैक लेने की जिम्मेदारी सौंपी थी। जिन्होंने अपनी रिपोर्ट प्रदेश भाजपा संगठन को सौंप दी है। इसमें नेताओं और कार्यकर्ताओं के नाराजगी की बात सामने आई है। भाजपा ने अपने नाराज कार्यकर्ताओं और नेताओं को मनाने का काम भी शुरू कर दिया है। 

इन 16 कांग्रेस नेताओं को इन जिलों की जिम्मेदारी

फूलसिंह बरैया- श्योपुर, मुरैना, भिंड 
अजय सिंह राहुल- ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी 
अरुण यादव- निवाड़ी, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर 
जीतू पटवारी- सतना, पन्ना, दमोह,रायसेन 
सुरेश पचौरी- सिंगरौली, सीधी, रीवा, कटनी
गोविंद सिंह- अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, जबलपुर
तरुण भनोत- डिंडौरी,बालाघाट,सिवनी,मंडला,नरसिंहपुर
सज्जन सिंह वर्मा- छिंदवाड़ा, बैतूल, हरदा, नर्मदापुरम 
बाला बच्चन- बुरहानपुर, खंडवा, धार 
कांतिलाल भूरिया- बड़वानी, खरगोन 
मीनाक्षी नटराजन-आलीराजपुर, झाबुआ, आगर 
कमलेश्वर पटेल- नीमच, मंदसौर, रतलाम 
जयवर्धन सिंह- इंदौर और उज्जैन 
रामनिवास रावत- राजगढ़ और शाजापुर 
केपी सिंह- गुना, अशोकनगर, विदिशा 
लाखन सिंह यादव- सीहोर और देवास

आइए हमारे साथ हम सुनेंगे आपकी बात

अक्सर यह देखा गया है कि सभी राजनीतिक दल आम तौर पर अपने कार्यकर्ताओं की अनदेखी करते हैं। कई बार देखा गया है कि चुनाव में धनबल और बाहुबल के आगे नतमस्तक होकर पार्टियां चुनाव में पैराशूट उम्मीदवार उतार देती हैं। आईटी के जो कार्यकर्ता सालों साल जमीन पर उनके लिए संघर्ष करते हैं उनकी अनदेखी आभार पार्टी के लिए आम बात है। आखिर क्यों जो कार्यकर्ता आपने मेहनत से अपने संघर्ष से पार्टी को सीखते हैं उन्हें अपनी पार्टी अनदेखा कर देती है। इस बार हमने हर पार्टी के कार्यकर्ताओं के मन की बात सुनने और मीडिया में होने जगह देने का निर्णय लिया है। आता जो भी कार्य करता है चाहे जिस भी पार्टी का हो हमारे साथ खुलकर अपनी बात साझा कर सकते हैं। उनके वक्तव्य को हम अपने समाचार माध्यम में स्थान देंगे।

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विशेष रिपोर्ट-
प्रकाश बारोड़
‘सह-संस्थापक’
एवं ‘स्टेट ब्यूरो चीफ’- मध्य प्रदेश

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