भारत माता के वीर सपूतों, सैनिकों को समर्पित रचना-‘दीपावली’

0
183

त्यौहार पर घर की रौनक रंग रोगन मिठाई तमाशे से ही नहीं होती है। घर पर रौनक घर से बाहर रहने वालों के घर आने से होती है। अपनी यह भावना देश के लिए समर्पित सैनिक और उनके परिवार को समर्पित है,जो सब कुछ त्याग देश सेवा में लगे रहते हैं और हम उनकी बदौलत जीवन के सब सुख उठाते हैं। भारत माता के वीर सपूतों, सैनिकों को बहुत बहुत आभार।

‘दीपावली’

कह गये हो तुम,आ रहा हूँ मैं
तू दीप तैयार रखना ।
खिल रहे है आज ,गुल गालों पर।
झँकार सी मचल रही ,मनव्यथा।
चौबारे पर माँड आई है,वह माँडना।
दहलीज दरवाजे पर, बाँधे बन्दनवार।
सुगबुगाहट सी है ,ह्रदय अकुलाता है।
मंगल कलश धरा है , दीपों की कतार है।
जगमगा रहे दीप, बस तुम्हारा इंतजार है।
त्यौहार बहुत ,उम्मीद उमंग लाता है।
तुम घर आ जाओ, मनुहार तुमसे मनुहार है।
कितने बरस बीते ,संग दीपावली नही मनाई।
हर त्यौहार पर ही नहीं हर दिन तेरी बहुत याद आई।
गली मुहल्ले में यह खुशी बाँट आई_ तुम दीपावली पर आ रहे हो।
खुशी का गहना मैंने पहना है। इस बार भी पता है, यही कहना है मुझे सबसे।
आने की चाह उनको भी थी ,घर आने की चाहत
मन रहेगा आहत जानती हूँ धड़कने अपनी _
पर मेरा प्रीतम मुझसे पहले ,देश का रक्षकदार है।
देश के लिए जीना जगमग ,हर दिन दीपावली त्यौहार है।

🙏 प्रेषिका-
माया मालवेंद्र बदेका
उज्जैन, मध्य प्रदेश

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here