बिहार चुनाव 2020 – एनडीए में शामिल एलजेपी को ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व पर नहीं रहा भरोसा !

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बिहार चुनाव में भले ही एनडीए गठबंधन एकजुट होकर चुनावी मैदान में ताल ठोकने का दावा कर रहा हो लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है ! बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए में जोर-आजमाइश तेज हो गई है। लोक जनशक्ति पार्टी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता पर सवाल उठाए हैं। लोजपा के बिहार संसदीय दल के कई नेताओं ने पार्टी से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ने की मांग की है। हालांकि, इस बारे में अंतिम फैसला पाटी अध्यक्ष चिराग पासवान करेंगे।

विधानसभा चुनाव को लेकर लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान की अध्यक्षता में हुई बिहार संसदीय दल की बैठक में अधिकतर सदस्यों की राय थी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। पार्टी के एक नेता ने बताया कि बैठक में सदस्यों का कहना था कि लॉकडाउन और बाढ़ से नीतीश कुमार की छवि पर नकारात्मक असर पड़ा है। इसके साथ पार्टी ने 143 सीट पर अपने उम्मीदवार जल्द से जल्द तय करने का भी फैसला किया है। बैठक में पारित प्रस्ताव के मुताबिक, पार्टी 143 सीट पर प्रत्याशियों की सूची तैयार कर जल्द से जल्द केंद्रीय संसदीय बोर्ड को भेज देगी। बिहार में गठबंधन के बारे में अंतिम फैसला लेने का अधिकार भी बिहार संसदीय बोर्ड ने चिराग पासवान को सौंप दिया है।

दरअसल, हिंदुस्तान अवामी मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी के एनडीए में शामिल होने के बाद लोजपा और जेडीयू के बीच तल्खी बढ गई है। लोजपा को लगता है कि मांझी के आने से गठबंधन में उसके हिस्से में आने वाली सीट की संख्या कम हो सकती है। लोजपा के एक नेता के मुताबिक, बिहार संसदीय दल की बैठक में चिराग पासवान ने मांझी के खिलाफ कुछ नहीं बोलने की हिदायत दी है। लोजपा जिन 143 सीट पर अपने उम्मीदवारों की सूची तैयार कर रही है, यह सभी सीट वह है जिनपर भाजपा चुनाव नहीं लड़ेगी। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि लोजपा इस वक्त एनडीए से अलग होने का जोखिम नहीं उठाएगी, वह चुनाव में अधिक सीट हासिल करने के लिए दबाव बना रही है। क्योंकि, लोजपा लगातार यह संकेत दे रही है कि वह भाजपा के खिलाफ नहीं है।

चुनाव में लोजपा का जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारना लोजपा के साथ भाजपा के लिए भी फायदेमंद हैं। लोजपा की वजह से जेडीयू एक दर्जन सीट भी हार जाती है, तो बिहार एनडीए मेंं भाजपा की ताकत बढ़ जाएगी। भाजपा के मुकाबले जेडीयू की सीट कम रहती है, तो लोजपा के जरिए भाजपा मुख्यमंत्री पद तक पहुंच सकती है। पर अभी काफी दांवपेंच बाकी हैं।

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