पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों से आम जनता बेहाल, विपक्ष कर रहा सवाल

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देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों ने आसमान छू लिया है। राजस्थान के श्री गंगानगर में पेट्रोल 106 रुपये और मुंबई में यह 102 रुपये के पार हो गया है। कोरोना काल में पेट्रोल की कीमतों ने लोगों को हलकान किया हुआ है। देश में पेट्रोल और डीजल का इस्तेमाल जितना ज्यादा होता है, उसकी कीमत भी उतनी ही ज्यादा है। बीते कुछ सालों में इसमें बेतहाशा वृद्धि हुई है। अगर किसी दिन यह सस्ता हुआ भी है, तो भी लोगों की जेब पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ा। आम लोग और विपक्ष इसका विरोध कर रहे हैं। लगातार ईंधन की कीमतें बढ़ने से ट्रांसपोर्टेशन खर्च भी बढ़ रहा है, इसका असर सब्जियों के दाम समेत कई और चीजों पर भी पड़ रहा है। 

आइए जानते हैं पिछले सात सालों में पेट्रोल और डीजल कितना महंगा हुआ है, एक्साइज डयूटी से केंद्र को कितनी कमाई हुई, VAT/सेल्स टैक्स से राज्य सरकारों ने कितना कमाया और देश की शीर्ष तीन सरकारी तेल कंपनियों को कितना मुनाफा हुआ?

पिछले सात सालों में कितना बढ़ा दाम?

अगर पिछले कुछ सालों की बात करें, तो मालूम हो कि साल 2014-15 से लेकर अब तक देश में पेट्रोल 30 रुपये और डीजल 36 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ है, जिसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ा। सात साल पहले जहां पेट्रोल का दाम 66.09 रुपये प्रति लीटर था, वह अब दिल्ली में 95.85 रुपये प्रति लीटर का हो गया है। वहीं 50.32 रुपये में मिलने वाला डीजल अब 86.75 रुपये प्रति लीटर का है। भारत में तेल पर सरकार द्वारा भारी टैक्स वसूला जाता है।

पांच सालों में एक्साइज डयूटी से कितनी हुई केंद्र की कमाई?

पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच सालों में केंद्र सरकार की कमाई बढ़ी है। तेल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने से सरकार को अधिक मुनाफा हुआ है। मई 2020 में ही मोदी सरकार ने एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी। उस वक्त एक लीटर पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 22.9 रुपये से 32.9 रुपये और डीजल पर 18.8 रुपये से 31.8 रुपये बढ़ाई गई थी। साल 2015-16 में केंद्र सरकार को एक्साइज डयूटी से 1.78 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई, जो 2020-21 (अप्रैल से दिसंबर तक) में बढ़कर 2.35 लाख करोड़ रुपये हो गई।

पांच सालों में VAT/सेल्स टैक्स से कितनी हुई राज्य सरकारों की कमाई?

राज्य सरकारों की कमाई की बात करें, तो पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के अनुसार, 2015-16 में इसमें 4.11 फीसदी की वृद्धि हुई थी। तब राज्य सरकारों ने 1.42 लाख करोड़ रुपये कमाए थे। वर्ष 2020-21 (अप्रैल से दिसंबर तक) VAT/सेल्स टैक्स से राज्य सरकारों ने 1.35 लाख करोड़ रुपये कमाए। 

शीर्ष तीन सरकारी तेल कंपनियों को कितना मुनाफा हुआ?

मालूम हो कि प्रतिदिन सुबह छह बजे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव होता है। सुबह छह बजे से ही नई दरें लागू हो जाती हैं। पेट्रोल व डीजल के दाम में एक्साइज ड्यूटी, डीलर कमीशन और अन्य चीजें जोड़ने के बाद इसका दाम लगभग दोगुना हो जाता है। इन्हीं मानकों के आधार पर पेट्रोल रेट और डीजल रेट रोज तय करने का काम तेल कंपनियां करती हैं। डीलर पेट्रोल पंप चलाने वाले लोग हैं। देश की शीर्ष तीन तेल कंपनियों, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम की बात करें, तो बीते वर्षों में इनका मुनाफा भी बढ़ा है। मार्च 2021 को समाप्त तिमाही में इन्होंने क्रमश: 8781 करोड़ रुपये, 3018  करोड़ रुपये और 11940 करोड़ रुपये कमाए हैं।

कांग्रेस ने आज पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन किया। दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि- “मोदी सरकार आम जनता को लूटना बंद करे। पिछले 5 महीनों में पेट्रोल डीजल के दाम 44 बार बढ़ाए गए हैं। देश के 250 शहरों में पेट्रोल के दाम ₹100 प्रति लीटर से अधिक है।”

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