पीएम के ‘मन की बात’ कार्यक्रम को यूट्यूब पर लाईक से कई गुना अधिक मिले डिसलाइक

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ को जो रविवार को प्रसारित हुआ, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यूट्यूब पर लाइक से कई गुना अधिक डिसलाइक मिले। पीएम के यूट्यूब अकाउंट पर 30 अगस्त 2020 के ‘प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी- मन की बात विद नेशन’ शीर्षक वाले कार्यक्रम को रात 10:30 तक 17000 लोगों ने लाइक किया था जबकि 38000 से अधिक लोगों ने इसे डिसलाइक किया था यानी कार्यक्रम को लाइक करने वालों से दोगुने से अधिक लोगों ने इस कार्यक्रम को नापसंद किया।

वहीं भारतीय जनता पार्टी के यूट्यूब चैनल पर इस कार्यक्रम को 11 हजार लोगों ने ही लाइक किया जबकि एक लाख 41 हजार लोगों ने इसे नापसंद किया। जबकि रात 10:30 बजे तक इस कार्यक्रम को चार लाख 66 हजार 59 बार देखा गया।

इस कार्यक्रम से जुड़े वीडियो को लाइक और डिसलाइक के अलावा अगर हम बात करें तो कई सारे कॉमेंट्स नीट और जेईई परीक्षा से जुड़े मिले। यूजर्स ने कहा कि यह डिसलाइक ये दर्शाने के लिए काफी है कि स्टूडेंट्स को उलझाया नहीं जाता है। एक अन्य यूजर्स ने लिखा- प्रधानमंत्री जी यह मेरी चूक थी कि मैंने सोचा आप जेईई और नीट परीक्षा को लेकर कुछ बोलेंगे, हमारा साल जाया करने के लिए शुक्रिया।

दरअसल इस कार्यक्रम के दौरान पीएम ने स्टार्टअप और नए उद्यमियों से खिलौना उद्योग से बड़े पैमाने पर जुड़ने के साथ-साथ भारत में और भारत के ‘कंप्यूटर गेम्स’ बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान में इन क्षेत्रों को बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार रहना चाहिए। आकाशवाणी पर ‘मन की बात’ के 68वीं कड़ी के प्रसारण में पीएम ने कहा कि विश्व खिलौना उद्योग 7 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक का है लेकिन इसमें भारत की स्थिति बहुत कम है इसी तरह कंप्यूटर गेम्स के मामले में भी बाहरी ताकतों का प्रभुत्व बना हुआ है।

उन्होंने कहा कि इसके बावजूद 7 लाख करोड़ रुपए के विश्व खिलौना कारोबार में भारत का हिस्सा बहुत कम है। अब सभी को लोकल खिलौनों के लिए वोकल होने का समय है। आइए हम अपने युवाओं के लिए कुछ नए प्रकार के अच्छी गुणवत्ता वाले खिलौने बनाते हैं। खिलौना वह हो जिसके मौजूदगी में बचपन खिले भी, खिलखिलाए भी.. हम ऐसे खिलौने बनाए जो पर्यावरण के भी अनुकूल हों।

पीएम ने कहा- यह आत्मनिर्भर भारत के लिए, देश के भविष्य के लिए बहुत ही शुभ संकेत है। काफी जांच परख के बाद अलग-अलग श्रेणियों में लगभग दो दर्जन ऐप को पुरस्कार भी दिए गए। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि हमारे किसानों ने कोरोना की इस कठिन परिस्थिति में भी अपनी ताकत को साबित किया है हमारे देश में इस बार खरीफ की फसल की बुवाई पिछले साल के मुकाबले 7% ज्यादा हुई है।

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