डेंटिस्ट्री यानी दंत चिकित्सा के क्षेत्र में बनाएं अपना करियर

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लोगों के मन में अपने सेहत के प्रति जागरूकता के साथ ही डेंटिस्ट्री के क्षेत्र में कुशल लोगों की मांग को लेकर वृद्धि देखी जा रही है। अभी भी भारत में जनसंख्या और डेंटिस्ट्स का अनुपात बहुत कम है। यह एक सदाबहार करियर है, जिसमें सरकारी नौकरी के भी भरपूर अवसर मिलेंगे। डेंटिस्ट्री में करियर का क्या है रास्ता, यहां जानें विस्तृत जानकारी !

हेल्थ केयर के क्षेत्र में डेंटिस्ट्री यानी दांतों की चिकित्सा एक लोकप्रिय करियर है। इस स्पेशलाइजेशन के बाद युवाओं के लिए देश ही नहीं, विदेश में भी अवसर खुलते हैं। भारत में भी अच्छे डेंटिस्ट्स की मांग बढ़ रही है। मेडिकल फील्ड का होने के कारण इस क्षेत्र में एक कुशल युवा के लिए अवसर कभी कम नहीं होने वाले। अब, डेंटिस्ट्री यानी दंत चिकित्सा का क्षेत्र तेजी से बदल रहा है, कई अवसरों और चुनौतियों का निर्माण हो रहा है। अच्छी बात यह है कि इसके बाद आप केवल दंत चिकित्सक के रूप में ही नहीं, कई अन्य तरह से अपने स्पेशलाइजेशन का उपयोग कर सकते हैं। ऐसे में विद्यार्थियों के लिए डेंटिस्ट्री में भविष्य बनाना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

भारत में डेंटिस्ट्री की डिमांड

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में डेंटिस्ट और जनसंख्या अनुपात शहरी क्षेत्रों में 1: 9000 व ग्रामीण क्षेत्रों में 1: 200000 के लगभग है। डेंटिस्ट की मांग का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। इंडियन डेंटल मार्केट आउटलुक 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार डेंटिस्ट्री को लेकर एशियाई बाजार में 10 प्रतिशत की उच्चतम वृद्धि दर देखी गई है। भारत दंत चिकित्सा उत्पादों का केंद्र भी माना जा रहा है। वर्ष 2017-2030 की अवधि के दौरान भारत के दंत चिकित्सा बाजार की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट 7.34 प्रतिशत तक हो जाने की उम्मीद है। स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूकता, स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च, ग्रामीण और शहरी स्वास्थ्य मिशनों का बढ़ता चलन, निजी दंत चिकित्सा कार्यालयों की बढ़ती संख्या के कारण सस्ती कीमतों पर बेहतर दंत चिकित्सा सुविधाओं की मांग बहुत बढ़ गई है।

योग्यता और कोर्स

इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए छात्र का 12वीं कक्षा में भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान के विषयों के साथ कम से कम 50 प्रतिशत अंकों से पास होना जरूरी है। इसके बाद संयुक्त प्रवेश परीक्षा देनी होती है। डेंटिस्ट्री में बैचलर यानी बीडीएस और पोस्ट ग्रेजुएट यानी एमडीएस स्तर के कोर्स हैं।

बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी– अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा में अंकों के आधार पर उम्मीदवारों को बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (बीडीएस) में सीट मिलती है। यह कोर्स चार साल का है। बीडीएस उस कॉलेज से करें, जिसका पाठ्यक्रम डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (डीसीआई) द्वारा मान्यता प्राप्त हो। डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया भारत में दंत विज्ञान शिक्षा के लिए शीर्ष निकाय है। बीडीएस के बाद, छात्र को कम से कम एक साल की इंटर्नशिप पूरी करनी होती है। छात्र व्यावहारिक कौशल प्राप्त करने के लिए एक वरिष्ठ दंत चिकित्सक के साथ काम कर सकता है।

मास्टर इन डेंटल सर्जरी– ग्रेजुएशन के बाद यह 3 साल का होता है। इसमें चयन राष्ट्रीय, राज्य या डीम्ड विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं में प्राप्त अंकों के आधार पर होता है। एमडीएस में स्पेशलाइजेशन विभिन्न तरह के हैं। इनमें इंडोडांटिक्स, ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल पैथोलॉजी, ओरल सर्जरी, ऑर्थोडॉन्टिक्स, पीडोडोंटिक्स, पीरियडॉन्टिक्स एवं प्रोस्थोडोंटिक्स जैसे क्षेत्र शामिल हैं। मास्टर्स डिग्री प्राप्त करना न केवल कौशल को बढ़ाता है, बल्कि पेशेवर के लिए प्रोफेसरशिप के साथ और बेहतर स्थान हासिल करने के अवसर बढ़ेंगे।

प्रमुख प्रवेश परीक्षाएं

डेंटिस्ट्री के पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए युवा को राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर आयोजित संयुक्त चिकित्सा / दंत प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। बेहतर कॉलेज मिले, इसके लिए विभिन्न स्तरों पर ज्यादा से ज्यादा परीक्षाएं देनी चाहिए।

नेशनल लेवल एग्जाम्स- बीडीएस के कोर्स के लिए नीट-यूजी की परीक्षा आयोजित की जाती है। यह एक राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा है, जिसमें बड़ी संख्या में कॉलेज शामिल होते हैं। प्रतियोगिता बहुत कठिन होती है, जिसके लिए बहुत मेहनत और लगन से पढ़ाई करना जरूरी है।

स्टेट लेवल- विभिन्न स्टेट मेडिकल प्रवेश परीक्षाएं। ये प्रवेश परीक्षाएं अलग-अलग राज्यों में राज्य स्तर पर आयोजित की जाती हैं। राज्यों की आधिकारिक साइट से इनकी जानकारी मिल सकती है।

संस्थागत प्रवेश परीक्षाएं- कई निजी संस्थानों और डीम्ड विश्वविद्यालयों की अपनी प्रवेश परीक्षाएं भी होती हैं। लेकिन बेहतर होता है कि ऐसे विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने की इच्छा रखने वले उम्मीदवार विश्वविद्यालय की पूरी जानकारी, उसकी मान्यता और प्रस्तावित पाठ्यक्रम की गुणवत्ता के बारे में पूरी जानकारी ले लें।

विशेषज्ञता के क्षेत्र

डेंटिस्ट्री में चिकित्सक के तौर पर तो आप काम कर ही सकते हैं, साथ ही आप डेंटल हाइजीन का क्षेत्र भी चुन सकते हैं। एक डेंटिस्ट किसी डेंटल हाइजीनिस्ट के साथ मिलकर मरीजों की मौखिक स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने के लिए मिलकर काम करता है। डेंटल हाइजीनिस्ट दांतों से टार्टर और प्लाक को हटाने, दांतों में फ्लोराइड या सीलेंट लगाने, एक्सरे लेने और उचित मौखिक स्वच्छता पर मरीजों की मदद करता है।

इसके अलावा बतौर डेंटिस्ट आपको कुछ विशेषज्ञता के क्षेत्र चुनने का विकल्प होगा।

एंडोडॉन्टिक्स : इसमें दांत की बायोलॉजी के आधार पर मरीज की दांतों की समस्या का निदान करना शामिल है। रूट कैनाल प्रोसीजर, दांत की चोट, उसके लिए प्रिवेंटिव तरीके आदि अपनाना इनका कार्यक्षेत्र होता है।

ओरल ऐंड मैक्सिलोफेशियल

पैथोलॉजी : इसमें दांतों की समस्याओं को लेकर रिसर्च व विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए परीक्षण आदि के माध्यम से निदान पर कार्य किया जाता है।
ओरल सर्जरी : ये विशेषज्ञ जबड़े, सिर या गर्दन के ट्यूमर्स आदि का निदान व इलाज करते हैं।
ऑर्थोडॉन्टिक्स : दांतों की बनावट या संरचना में या चेहरे की संरचना में अनियमितताओं का इलाज करते हैं।
पेडोडॉन्टिक्स : बच्चों के मसूड़ों, जबड़ों और दांतों की देखरेख और सेहत से जुड़ा क्षेत्र है यह।
पेरिडोडॉन्टिक्स : इस क्षेत्र के जानकार मसूड़ों से जुड़ी समस्याओं पर काम करते हैं और उनका इलाज भी करते हैं।
प्रोस्थोडॉन्टिक्स : मुंह, चेहरे और दांतों के कार्यसंचालन में होने वाली किसी भी समस्या को देखते हैं।

क्या होंगे विकल्प

दंत चिकित्सा के क्षेत्र में दंत चिकित्सक, डेंटल असिस्टेंट और बतौर डेंटल हाइजीनिस्ट बनकर अच्छा करियर बनाया जा सकता है। अपना खुद का क्लिनिक खोला जा सकता है, लेकिन उसके लिए आपके पास लाइसेंस होना जरूरी है। एक डेंटिस्ट्री अस्पताल से लेकर कम्युनिटी डेंटल सर्विस में भी काम कर सकते हैं। साथ ही वे पीरियोडोंटिक्स या बाल दंत चिकित्सा में भी कार्य कर सकते हैं।

भारतीय सैन्य सेवाओं में भी डेंटिस्ट के लिए अलग से नियुक्तियां होती हैं। चूंकि यह सरकारी नौकरी होगी, इसलिए आपको सभी सेवाएं और भत्ते भी बेहतर मिलेंगे। भारतीय सैन्य सेवाओं में शामिल होना भी आपके लिए गर्व का विषय रहेगा।

आप डेंटल लैब टेक्नीशियन के तौर पर भी काम कर सकते हैं। यह एक्सपर्ट डेंटिस्ट की टीम के साथ मिलकर काम करता है। ये डेंटिस्ट्स के बताए निर्देशों पर मरीज के अनुकूल डेंटल एप्लाएंसेज बनाने के एक्सपर्ट होते हैं। डेंटल एप्लाएंसेज जैसे डेंचर, प्रोस्थेसिस, इम्प्लांट्स व अन्य उपकरण आदि।

भारतीय रेल सेवाओं में भी डेंटिस्ट्स की नियुक्तियां की जाती हैं। इस तरह डेंटिस्ट्री के बाद आपके लिए सरकारी नौकरी के भी भरपूर अवसर होंगे। कई अन्य सरकारी सेवाओं में डेंटिस्ट्स के लिए नौकरी के अवसर समय-समय पर निकलते रहते हैं।

क्या होगी आय

बीडीएस की डिग्री हासिल करने के बाद सबसे पहले आपको जूनियर डॉक्टर के रूप में नियुक्ति मिलती है। इस क्षेत्र में शुरुआती न्यूनतम आय चार लाख रुपये प्रति वर्ष होती है। धीरे-धीरे अनुभव हो जाने पर यह आय दस लाख रुपये प्रति वर्ष तक हो सकती है। वहीं निजी अस्पतालों में शुरुआत में कम वेतन मिल सकता है, लेकिन पद बढ़ने के साथ वेतन बढ़ने की अधिक संभावना होती है। एमडीएस करने के बाद पद के साथ आपके वेतन में भी बढ़ोतरी होती है।

मनीष राय (करियर काउंसलर)

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