जन्मकुंडली में पितृदोष हो या परिवार पर हो इसका साया, जानिए क्या है समाधान ध्यान योगी रोहित गुरु जी से..

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यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में पितृदोष है या कोई परिवार पितृदोष से पीड़ित है और बहुत उपाय कर लेने पर भी कोई लाभ नहीं हो रहा हो, पैसा पानी की तरह बर्बाद हो रहा हो, घर में संतान का विवाह संपन्न नहीं हो रहा है या और किसी प्रकार की संतान बाधा हो , पारिवारिक कलह हो, टोने टोटके आदि से परेशानी हो, घर का कोई व्यक्ति बहुत दिनों से बीमार हो और इलाज का फ़ायदा नहीं हो रहा हो, व्यापार व्यवसाय ठप हो, इसी प्रकार पितृदोष संबंधित कोई भी समस्या हो, आप बिल्कुल चिंता ना करें सरल व सटीक उपायों के माध्यम से प्रत्येक समस्याओं का निवारण संभव है। आज हम बताने जा रहे हैं आपको बहुत ही आसान से उपाय, यह उपाय भले ही आसान हो किंतु शत-प्रतिशत कारगर एवं सफल हैं।

पिछले भाग में हमने बताया था कि पितृदोष के लिए श्राद्ध तर्पण नारायणबली नागबली त्रिपिंडी श्राद्ध इत्यादि अनुष्ठान द्वारा निवारण योग्य आचार्य द्वारा संपन्न करा सकते हैं साथ ही कुछ सटीक उपाय है जिनके माध्यम से पितृ दोष का शमन किया जा सकता है।

  1. प्रतिदिन या प्रति शनिवार या प्रत्येक अमावस्या को पीपल वृक्ष को जल चढ़ाएं एवं पित्र देवता से क्षमा याचना करें।
  2. प्रतिदिन या प्रति शनिवार या प्रत्येक अमावस्या को पानी वाले कुएं में दक्षिण मुख होकर कच्चा दूध अर्पण करें दूध में जौ एवं काले तिल मिलाएं।
  3. प्रति शनिवार या प्रति अमावस्या को खोपरे के गोले में सुराख करके उसमें घी ,जौ का आटा, काले तिल एवं शकर का मिश्रण रखें और उसे किसी पीपल वृक्ष के समीप जहां काली चीटियों का झुंड हो वहां रख देवे या हल्का गड्ढा खोदकर उसे हल्की मिट्टी से दबा देवें।
  4. चावल का आटा, काले उड़द का आटा, जौ का आटा तीनों प्रकार का आटा एक एक मुट्ठी लेकर एक पुतला बनाएं उसे अपने पूरे घर में घूमाऐं फिर अपने मुख्य द्वार से 7 बार उसे उतारे ,तत्पश्चात उसे काले कपड़े में लपेटकर किसी बहते हुए जल में विसर्जित कर देवे ,यह क्रिया शनिवार या अमावस को दिन में करना चाहिए।
  5. गुरु, ब्राह्मणों ,आचार्यों या भांजा-भांजी को गो दान करें ,गोदान से अपने समस्त कुल के दोष , सभी प्रकार के पित्रदोष व अपने पूर्वजों के सभी पाप दोष दूर होते हैं।
  6. अपने पूर्वजों के निमित्त दक्षिण दिशा में मुंह रखकर गीताजी के 11 अध्याय का पाठ प्रतिदिन श्राद्ध पक्ष में करना चाहिए या गीता जी के सभी अध्याय का पाठ भी कर सकते हैं साथ ही गीता जी की पुस्तक किसी वेदपाठी व्यक्ति या योग्य छात्रों को भेंट करना चाहिए।
  7. श्राद्ध पक्ष में किसी भिक्षुक को भरपेट प्रेम से भोजन कराना चाहिए भोजन में चावल की खीर या हलवा या कुछ भी मीठा अवश्य होना चाहिए।

ध्यान देने योग्य बातें-

यदि किसी परिवार ने अपने पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध पूजा रखी है या श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों के निर्मित भोजन प्रसादी का आयोजन रखा है, तो इन बातों का अवश्य ध्यान रखें !

  1. यदि आपके धर्म गुरु उसी नगर में रहते हैं तो उन्हें जरूर आमंत्रित करें।
  2. यदि आपके मोहल्ले में कर्मकांडी ब्राह्मण परिवार रहता है तो कम से कम ब्राह्मण जोड़े को जरूर आमंत्रित करें।
  3. आपके परिवार के जो भी ब्राह्मण देवता आपके सभी मांगलिक कार्य संपन्न कराते हो उन्हें जरूर आमंत्रित करें।
  4. ऐसे व्यक्ति, ज्योतिषी , पंडित , आचार्य इत्यादि जिन्होंने आपको पित्र पूजा की या श्राद्ध पूजा संपन्न कराने की सलाह दी हो उन्हें जरूर आमंत्रित करें।
  5. आपकी बहन बेटी बुआ भांजा भांजी, आपके घर से 4 कोस यानी 16 किलोमीटर के अंदर अंदर रहते हैं,और आप उन्हें आमंत्रित नहीं करते हैं तो आपकी श्राद्ध पूजा व्यर्थ है। आपके पूर्वज वह तर्पण स्वीकार नहीं करते हैं। साथ ही अपने भाई बंधु को भी आमंत्रित करना चाहिए, चाहे वह कहीं भी रहते हो। यदि कोई नहीं आ पाता है या नहीं आना चाहता है तो यह उसकी इच्छा है, आमंत्रण देना अनिवार्य होता है।

6.अकस्मात कोई अतिथि आजावे या अपने आने की सूचना दें, तो उन्हें रोके नहीं बल्कि आदर सम्मान से भोजन प्रसादी करावें।

7.जिन पूर्वजों के निमित्त पूजा अनुष्ठान किया जा रहा है वे अपने जीवन काल में जिन व्यक्तियों से बहुत पसंद रहते थे या उनके जो भी मित्र गण हैं उन्हें भी आमंत्रित करें।

  1. वैसे तो चावल की खीर आवश्यक होती है साथ ही अपने पूर्वजों के पसंद का भोजन प्रसादी भी बना सकते हैं।
  2. आपके मोहल्ले में व घर से दक्षिण दिशा की ओर तीन चौराहे तक जितने भी गाय कुत्ते एवं भिक्षुक दिखाई दे उन्हें अवश्य ही भोजन प्रदान करना चाहिए, ध्यान रहे बासी भोजन नहीं देना चाहिए।
  3. पितृ पूजा में प्रदर्शन दिखावा इत्यादि नहीं करना चाहिए जो भी घर में हो यथाशक्ति उसी प्रकार व अपनी स्थिति अनुसार कार्य करना चाहिए,
    पूर्वज देवता प्रेम के भूखे होते हैं वह दिखावा पसंद नहीं करते। इसके अलावा यदि व्यक्ति साधन संपन्न है तो कंजूसी नहीं करना चाहिए प्रेम व पवित्रता के साथ तर्पण इत्यादि कार्य करना चाहिए।
  4. आपको कोई समस्या है या नहीं है श्राद्ध पक्ष में यह समय-समय पर तर्पण विधि कार्य अवश्य ही कराना चाहिए।

श्राद्ध तर्पण कार्य करते समय यह दृष्टिकोण नहीं होना चाहिए कि समस्याओं से निजात पाने के लिए यह पूजा की जा रही है बल्कि यह दृष्टिकोण होना चाहिए कि हमारे अपने पूर्वज जहां भी रहे जिस लोक में रहे तृप्त रहे और ईश्वर उन्हें मोक्ष प्रदान करें।

भव्यशक्ति ज्योतिष अनुसंधान- ध्यान योगी रोहित गुरु जी द्वारा प्रतिदिन श्राद्ध पक्ष में पित्र दोष के कारण एवं निवारण जानने के लिए जुड़े रहिये ELE India News से..

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