चुनाव से पहले एमपी में बागियों से डरी बीजेपी, निष्कासित नेताओं की शुरू हो गई वापसी !

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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में छह माह से भी कम का समय बचा है। इससे पहले भाजपा ने असंतुष्टों और बागी नेताओं को साधने में जुट गई है। पार्टी एक खास रणनीति के तहत निष्कासित नेताओं की वापसी करवा रही है। बीते एक महीने के अंदर दो बागियों की घर वापसी बड़े धूम धाम से पार्टी में हुई। इसमें सिद्धार्थ मलैया और प्रीतम लोधी का नाम है। अब पार्टी नई ज्वाइंनिंग के साथ ही असंतुष्ट और निष्कासित नेताओं की बड़े स्तर पर वापसी कराने की शुरुआत करने वाली है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या भाजपा बागी नेताओं से डर गई है? 

विधानसभा चुनाव में बीजेपी इस बार रिस्क लेने को तैयार है। एक-एक वोट का हिसाब रखा जा रहा है। क्षेत्रीय समीकरणों का खास ध्यान रखा जा रहा है। यही वजह है कि ओबीसी समाज में बड़ी पैंठ रखने वाले प्रीतम लोधी की वापसी कराई गई है। यह वही प्रीतम लोधी हैं जो कुछ दिन पहले तक बीजेपी नेताओं के खिलाफ आग उगल रहे थे। सीएम शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में कुछ दिन पहले उनकी घर वापसी हो गई है। वरिष्ठ पत्रकार प्रभु पटेरिया का कहना है कि चुनावी साल में पार्टी चुनाव प्रभावित करने वाले नेताओं को साधने का प्रयास करती है, जो कहीं न कहीं उनकी चुनाव जीताने की संभावनाओं पर विपरीत असर डाल सकती है। पार्टी की तरफ से नगरीय निकाय चुनाव में कई नेताओं पर कार्रवाई की थी। सिद्धार्थ अब पार्टी के उन सभी नेताओं को साधकर चुनाव में जाएंगे।

इस वजह से प्रीतम पर हुई थी कार्रवाई
प्रीतम लोधी ने ब्राह्मण समाज के ऊपर टिप्पणी की थी, जिसका विरोध हुआ। इसके बाद प्रीतम लोधी ने माफी मांग ली। इसके बावजूद पार्टी ने प्रीतम को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इस कार्रवाई को प्रीतम ने जातिवाद से जोड़ दिया। प्रीतम को लोधी और ओबीसी समाज का समर्थन है। वह लोधी समाज के नेता हैं। ग्वालियर-चंबल अंचल से लेकर महाकौशल तक लोधी वोटर प्रभावी भूमिका हैं। पूर्व सीएम उमा भारती भी उनके साथ में आ गई थीं। जगह-जगह पर प्रीतम लोधी ने शक्ति प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके बाद उनकी वापसी हुई है। 

दमोह फतह के लिए मलैया की वापसी 
वहीं, दमोह में पूर्व वित्तीय मंत्री जयंत मलैया का अच्छा होल्ड है। जयंत की विरासत सिद्धार्थ के पास जाएगी। दमोह उपचुनाव में सिद्धार्थ मलैया पर भीतरघात कर भाजपा को हराने के आरोप लगे थे। दरअसल, 2021 में भाजपा ने जयंत मलैया को छोड़कर राहुल सिंह को उम्मीदवार बनाया था। राहुल सिंह कांग्रेस से आए थे। इसका मलैया ने खुलकर विरोध किया था। उपचुनाव में भाजपा कांग्रेस के अजय टंडन से हार गई थी। 
राहुल सिंह ने शिकायत की थी, जिस पर पार्टी ने सिद्धार्थ मलैया को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इसके बाद सिद्धार्थ ने नगरीय निकाय चुनाव में भी अपने उम्मीदवार उतार दिए थे, जिससे भाजपा को नुकसान हुआ था। चुनाव से ठीक पहले मान मनौव्वल का दौर चल रहा है। सिद्धार्थ मलैया मान गए हैं। गुरुवार को बीजेपी में उनकी घर वापसी हो गई है।  

अंतुष्ट और नाराज नेताओं का मना रही 
भाजपा 2018 की गलती नहीं दोहराना चाहती है। इसलिए पार्टी हर एक सीट के समीकरण के अनुसार कदम उठा रही है। पार्टी ने सबसे पहले अपने असंतुष्ट और नाराज नेताओं को मनाने पर काम शुरू कर दिया है। पार्टी के 14 वरिष्ठ नेताओं की रिपोर्ट के अनुसार काम कर रही है। हाल ही में भाजपा मुख्यालय में जिला पदाधिकारियों और सांसद-विधायकों की बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने नाराज नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी है।  साथ ही जनप्रतिनिधियों के रवैए से नाराज नेताओं को व्यवहार सुधारने नसीहत दी है। पार्टी ने साफ कहा है कि पार्टी के निर्देशों के अनुसार काम नहीं करने का असर टिकट वितरण में दिख सकता है। 

विशेष रिपोर्ट-

प्रकाश बारोड़
‘सह-संस्थापक’
एवं ‘स्टेट ब्यूरो चीफ’- मध्य प्रदेश

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