केंद्रीय नितिन गडकरी ने माना, COVID-19 महामारी के कारण होगा 10 लाख करोड़ का घाटा

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भारत सरकार में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मामलों के कैबिनेट मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार केंद्र और राज्य सरकारों को COVID-19 महामारी के कारण 10 लाख करोड़ रुपये के बजट का घाटा होगा। 39 वें राष्ट्रीय व्यापीय मंडल के सदस्यों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बातचीत करते हुए गडकरी ने कहा कि- “विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार को COVID-19 महामारी के कारण 10 लाख करोड़ रुपये का बजट घाटा होगा। इसलिए हमें अर्थव्यवस्था में तेल डालकर उसे पंप करने की ज़रूरत है नहीं तो उद्योग और व्यवसाय नहीं चलेंगे।”

उदाहरण देते हुए गडकरी ने कहा, “जैसे अगर किसी किसान के पास पैसा नहीं है तो वह मोटरसाइकिल कैसे खरीदेगा, वह कैसे पेट्रोल का उपयोग करेगा या होटल या रेस्तरां में खर्च करेगा या नए कपड़े खरीदेगा। इसलिए पूंजी गरीब लोगों तक पहुंचनी चाहिए।” उन्होंने जोर देकर कहा कि 115 आकांक्षी जिलों को विकसित करने की जरूरत है जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं।

उन्होंने कहा, “इसके लिए, हमने तय किया है कि हमारे 115 आकांक्षी जिले जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं, हमें इनकी अर्थव्यवस्थाओं को विकसित करना चाहिए” गडकरी ने कहा कि अर्थव्यवस्था बेहतर करना भी उतना ही जरूरी है जितना कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ना। उन्होंने कहा, “हमें भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के मिशन को पूरा करना है और हमारे पास वह क्षमता है। हमारे पास युवा, प्रतिभाशाली और कुशल शक्ति है।”


पिछले काफ़ी समय कांग्रेस पार्टी और ख़ासकर राहुल गाँधी इस बात पर जोर देते रहे हैं कि सरकार कोरोना महामारी से तबाह अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए लोगों के खाते में सीधे नक़द पैसे हस्तांतरित करे। इसके लिए उन्होंने सरकार को ‘न्याय योजना’ जैसी किसी योजना का सुझाव दिया। उनका यह मानना है कि जब लोगों के हाथ में पैसे आएंगे तभी आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और स्थिति में सुधार आएगा। लोगों की क्रय क्षमता बढ़ाने से ही अर्थव्यवस्था में मांग और उत्पादन का संतुलन फिर से बन पाएगा।

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